शेयर बाजार के ब्रोकर्स को सेबी ने दिया दिवाली गिफ्ट, पोजिशन लिमिट को बढ़ाकर 7,500 करोड़ किया

सेबी ने मंगलवार को एक सर्कुलर जारी कर शेयर बाजार के ब्रोकरों की पोजिशन लिमिट से जुड़े नियमों को तुरंत प्रभाव से बदल दिया है. नए नियमों से बड़े ब्रोकरों को काफी राहत मिलेगी.

सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया Image Credit: TV9 Bharatvarsh

बाजार नियामक सेबी ने मंगलवार को ब्रोकरों के लिए राहत का बड़ा ऐलान किया. सेबी की तरफ से जारी एक सर्कुलर में बताया गया है कि ब्रोकर्स की परेशानियों को ध्यान में रखकर पोजिशन लिमिट बढ़ाने का फैसला किया है. सेबी के सर्कुलर में बताया गया है कि ब्रोकर्स के लिए इंडेक्स फ्यूचर और ऑप्शंस में अब पोजिशन लिमिट को बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है. हालांकि, 7500 करोड़ रुपये की लिमिट फ्लैट नहीं है. बल्कि यह लिमिट या कुल ओपन इंटरेस्ट के 15% या अधिकतम 7,500 करोड़ रुपये तक होगी, पहले यह लिमिट 500 करोड़ रुपये या कुल ओपन इंटरेस्ट के 15% के बराबर थी.

सेबी ने अपने सर्कुलर में साफ कर दिया है कि इस पोजिशन लिमिट में ब्रोकर के ग्राहकों के साथ उसकी प्रॉपराइटरी पोजिशन भी शामिल होगी. इसके अलावा पोजिशन लिमिट इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस के लिए अलग-अलग रहेगी. इस तरह ब्रोकर्स को मोटेतौर पर 15 हजार करोड़ तक की पोजिशन लिमिट मिलेगी. सेबी ने यह भी साफ कर दिया है कि इस फैसले को तुरंत लागू कर दिया गया है.

क्यों किया गया यह बदलाव

पिछले दिनों तमाम इंडेक्स का मार्केट कैप और ट्रेडर्स की तादाद में जबरदस्त उछाल आया है. ऐसी स्थिति में प्रति ब्रोकर 500 करोड़ रुपये की पोजिशन लिमिट काफी कम पड़ रही थी. ब्रोकर अब इंडेक्स में आसानी से बड़ी पोजिशन ले पाएंगे. सेबी ने इसके साथ ही यह भी साफ किया है कि पोजिशन लिमिट की निगरानी पिछले दिन के ओपन इंटरेस्ट के आधार पर की जाएगी.

किसको मिलेगा फायदा

सेबी के इस बदले हुए नियम से सबसे ज्यादा फायदा डिस्काउंट ब्रोकर्स को होगा. क्योंकि, उनके लिए 15% या 500 करोड़ रुपये की लिमिट बहुत छोटी पड़ रही थी. इसकी वजह से ब्रोकर जल्द ही अपनी पोजिशन बदल नहीं पाते थे. लिमिट बढ़ने से पोजिशन फ्रीज होने की समस्या से निजात मिल जाएगी.

क्या है पोजिशन लिमिट

शेयर बाजार में पोजीशन लिमिट का मतलब किसी ब्रोकर की तरफ से किसी विशेष शेयर या इंडेक्स में रखे जा सकने वाले कुल शेयरों या कॉन्ट्रैक्टस की अधिकतम संख्या है. यह सीमा बाजार को सट्टेबाजों से बचाने और स्थिर बनाए रखने के लिए तय की जाती है. बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की तरफ से बाजार की जरूरत के मुताबिक इसे तय किया जाता है .