डेरिवेटिव्स बाजार में सेबी लाएगा नए नियम, जोखिम प्रबंधन में बड़े बदलाव की तैयारी
सेबी डेरिवेटिव्स बाजार में एक बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रहा है. 'फ्यूचर इक्विवेलेंट' मेट्रिक और डेल्टा-आधारित जोखिम प्रबंधन पर विचार किया जा रहा है. जानिए कैसे यह कदम बाजार के मौजूदा नियमों और निवेशकों के फायदों को प्रभावित करेगा.
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) डेरिवेटिव्स बाजार में सुधार और जोखिम प्रबंधन के लिए नए कदम उठाने की तैयारी कर रहा है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य आनंद नारायण ने हाल ही में बताया कि नियामक “फ्यूचर इक्विवेलेंट” मेट्रिक को अपनाने की योजना पर विचार कर रहा है जिससे मौजूदा ओपन इंटरेस्ट आधारित जोखिम मेट्रिक्स में बदलाव किया जा सके. इस कदम का उद्देश्य बाजार में जोखिम प्रबंधन को ज्यादा सटीक बनाना है. इस बात की जानकारी बिजनेस स्टैन्डर्ड ने अपने एक रिपोर्ट में दी है.
क्या है नई योजना?
फिलहाल, ओपन इंटरेस्ट को फ्यूचर और ऑप्शंस के आंकड़ों को जोड़कर मापा जाता है. लेकिन नारायण के मुताबिक, यह प्रक्रिया “सेब और संतरे” जोड़ने जैसा है, क्योंकि फ्यूचर और ऑप्शंस के जोखिम मेट्रिक्स एक जैसे नहीं होते. नई “फ्यूचर इक्विवेलेंट” मेट्रिक में ऑप्शंस के डेल्टा (Delta) को फ्यूचर के साथ जोड़कर जोखिम का आकलन किया जाएगा.
डेल्टा एक ऑप्शन के मूल्य में होने वाले बदलाव को दर्शाता है, जब अंतर्निहित परिसंपत्ति (underlying asset) के मूल्य में बदलाव होता है. इस मेट्रिक को अपनाने से जोखिम मापने की प्रक्रिया अधिक सटीक और प्रभावी होगी.
सिंगल स्टॉक डेरिवेटिव्स के लिए नए प्रबंधन उपाय
रिपोर्ट के मुताबिक, सेबी अब यह सुनिश्चित करना चाहता है कि सिंगल स्टॉक फ्यूचर और ऑप्शंस में ट्रेडिंग के दौरान केवल वास्तविक जोखिम वाली स्थिति में ही स्टॉक बैन अवधि में जाए. मौजूदा सिस्टम में ज्यादा आउट-ऑफ-द-मनी स्ट्राइक ऑप्शंस का ट्रेडिंग स्टॉक को गैर जरूरी बैन अवधि में धकेल सकता है, जबकि जोखिम कम होता है.नए उपाय इस समस्या का समाधान करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि कैश और डेरिवेटिव बाजारों के बीच बेहतर संबंध बना रहे.
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इसके अलावा सेबी म्यूचुअल फंड्स द्वारा डेरिवेटिव्स में एक्सपोजर मापने के मौजूदा तरीकों की समीक्षा भी करेगा, साथ ही सेबी मूल्य सीमा को कैश मार्केट की डिलीवरी वॉल्यूम से जोड़ने की योजना बना रहा है. इसके तहत, जैसे-जैसे कैश मार्केट का वॉल्यूम बढ़ेगा, वैसे-वैसे डेरिवेटिव्स बाजार की पोजीशन सीमा भी बढ़ाई जाएगी.