ये कंपनी कर रही बड़ा फ्रॉड! सेबी ने किया भंडाफोड़, कहीं आपके पास भी तो नहीं इसके शेयर?
भारतीय इक्विटी बाजार नियामक सेबी ने गुरुवार को 850 करोड़ रुपये के प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट मामले में बड़ी कार्रवाई की है. सेबी ने इस मामले में शामिल पेचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस लिमिटेड (PIFL) सहित सात कंपनियों के शेयर बाजार में कारोबार पर रोक लगा दी है. जानिए क्या है पूरा मामला?
भारतीय शेयर बाजार के नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने गुरुवार 16 जनवरी को प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट के मामले में कार्रवाई करते हुए 7 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है. ये सभी कंपनियां असल में पचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस लिमिटेड के साथ प्रेफरेंशियल शेयर अलॉटमेंट के मामले में शामिल हैं. यह एक तरह से पंप एंड डंप फ्रॉड था, जिसके जरिये पेचेली का मार्केट कैप महज 8 महीनों में 40 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है.
सेबी ने आम निवेशकों को इस संभावित पंड एंड डंप फ्रॉड से बचाने के लिए अंतरिम आदेश जारी कर इन कंपनियों को किसी भी तरह से स्टॉक मार्केट में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया है. सेबी ने अपने आदेश में बताया कि जब 850 करोड़ रुपये के प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट मामले की जांच की गई, तो प्राइस मूवमेंट के आधार पर पता चला कि पेचेली इन कंपनियों के साथ मिलकर पंप एंड डंप का खेल खेल रही है. सेबी ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि कंपनी के प्रबंधन ने सोची समझी रणनीति के तहत 1000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया. बाद में इस कर्ज को इक्विटी में बदल दिया. इस तरह कंपनी ने हवाई महल की तरह अपना मार्केट कैप बढ़ाया.
9 दिसंबर से लगातार अपर सर्किट
सेबी ने बताया कि पंप डंप के खेल के चलते ही पेचेली के स्टॉक में 9 दिसंबर से लगातार अपर सर्किट लग रहा है. इसी वजह से इसके शेयर प्राइस में करीब 400 फीसदी की तेजी आई है. गुरुवार को बाजार बंद होने के समय इसके शेयर की प्राइस 78 रुपये रही. महज 8 महीने के दौरान इसका मार्केट कैप 40 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है. जबकि, कंपनी ने पिछले तीन वित्त वर्ष के दौरान नाममात्र का रेवेन्यू रिपोर्ट किया है.
मैनेजमेंट बदलने का असर
सेबी की जांच में सामने आया कि कंपनी के मैनेजमेंट में बदलाव के बाद यह घोटाला शुरू हुआ. कंपनी ने कर्ज बढ़ाया, कर्ज को शेयरों में बदला और शेयर कैपिटल को बढ़ाया. सेबी के आदेश के मुताबिक कंपनी ने अगस्त 2024 में एजीएम आयोजित की थी. इस दौरान अपने ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल को 55 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया. इसके बाद 16.5 रुपये के इश्यू प्राइस पर 7 अलॉटीज को प्रेफरेंशियल बेस पर 849 करोड़ रुपये के 51.51 करोड़ इक्विटी शेयर जारी करने की मंजूरी दी. लेकिन, कंपनी ने कर्ज का स्पष्ट विवरण नहीं दिया, जो असल में उन्हीं कंपनियों से लिया गया था, जिन्हें प्रेफरेंशियल शेयर अलॉटमेंट किया गया.
प्रमोटर्स की हिस्सेदारी तेजी से घटी
इसके साथ ही सेबी पाया कि मार्च 2019 के अंत में कंपनी में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी जहां 29 फीसदी से ज्यादा थी, सितंबर 2024 तक यह घटकर महज 0.01 फीसदी हिस्सेदारी रह गई. प्रबंधन में बदलाव के बाद पहले के प्रमोटरों को सार्वजनिक शेयरधारकों के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया.
सेबी का एक्शन अहम
सेबी ने यह कार्रवाई ऐसे समय में की है, जब प्रिफरेंशियल बेस पर अलॉट किए गए शेयरों को बाजार में डंप किए जाने की शुरुआत होने वाली है. सेबी के मुताबिक 11 मार्च के बाद से इन शेयरों को बाजार में डंप किया जा सकता था, जिससे बड़ी संख्या में रिटेल निवेशक इसके शिकार हो सकते थे. सेबी ने अपने आदेश में कहा, “यह कार्रवाई जरूरी थी, ताकि शेयर खुले बाजार में न बेचे जाएं और आम निवेशकों को इसका नुकसान न उठाना पड़े.
क्यों लग रहा था अपर सर्किट
कंपनी की तरफ से प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट किए जाने के बाद करीब 99.28 फीसदी शेयर लॉक-इन पीरियड में हैं. यानी महज 0.72 फीसदी शेयर ही ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हैं. इसकी वजह से ही कंपनी के शेयर प्राइस में लगातार अपर सर्किट लगा और मार्केट कैप में तेजी उछाल आया.
क्यों हुआ शक
सेबी ने अपने आदेश में बताया कि प्राइस मूवमेंट के आधार पर सेबी के रडार पर जब यह स्टॉक आया, तो कंपनी के कमजोर फाइनेंशियल फंडामेंटल ने सवाल खड़े किए. खासतौर पर कंपनी ने पिछले तीन वित्त वर्ष में मामूली रेवेन्यू रिपोर्ट किया है. इसके बाद जब विस्तृत जांच की गई, तो यह प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट के जरिये पंड एंड डंप का संंभावित मामला निकला.
PE रेश्याे 4,00,000 पहुंचा
सेबी ने अपने ऑर्डर में बताया कि बिना रेवेन्यू बेस के लगातार शेयर प्राइस बढ़ने से कंपनी का पीई रेश्यो रिकॉर्ड 4,00,000 से ज्यादा हो गया. यह आंकड़ा अपने आप में कंपनी के शेयर प्राइस को लेकर सवाल खड़े करता है. आमतौर पर कहा जाता है कि शेयर प्राइस हवा में नहीं बढ़ जाता, लेकिन यह मामला हवा में महल बनाने के काफी करीब पहुंच गया था.
इन कंपनियों पर बैन
सेबी ने अपने आदेश में कहा कि जब तक इस मामले में अंतिम आदेश नहीं आ जाता है कि पेचेली और इसकी सभी प्रेफरेंशियल अलॉटी कंपनियों के शेयरों को फ्रीज किया जाता है. इसके साथ ही अगले आदेश तक पचेली के स्टॉक में ट्रेडिंग को प्रतिबंधित किया जाता है.