रिटेल ट्रेडर्स से फ्यूचर एंड ऑप्शन का नशा उतारने को सेबी ने दी कड़वी दवा, 93 फीसदी लोगों ने खाया घाटा
सेबी ने पिछले महीने एक रिपोर्ट जारी कर बताया था कि स्टॉक मार्केट में फ्यूचर एंड ऑप्शन में ट्रेडिंग करने वाले लोगों में 93 फीसदी से ज्यादा लोगों को घाटा हुआ है. फ्यूचर एंड ऑप्शन शेयर बाजार का सबसे ज्यादा जोखिम वाला सेगमेंट होता है. सेबी ने आम लोगों को इस जोखिम से दूर रखने के लिए 6 उपाय किए हैं.
बाजार नियामक सेबी ने कम पूंजी वाले रिटेल इन्वेस्टर व ट्रेडर्स को फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) के भारी जोखिम से बचाने के लिए नियमों में कुछ बदलाव किए हैं. सेबी ने ही पिछले महीने एक रिपोर्ट बताया था कि F&O में ट्रेडिंग करने वालों में से 93% से ज्यादा लोगों को घाटा हुआ है. असल में फ्यूचर एंड ऑप्शन शेयर बाजार का सबसे ज्यादा जोखिम वाला सेगमेंट होता है. सेबी ने मंगलवार को इस संबंध में एक सर्कुलर जारी कर बताया कि इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स मार्केट को स्थिर और सुरक्षित बनाने के लिए बनाया जाना जरूरी है. इसके लिए नए नियम तय किए गए हैं. ये नियम निवेशकों के संरक्षण के साथ ही डेरिवेटिव बाजार को सुव्यवस्थित बनाने में मदद करेंगे.
भारत में इंडेक्स डेरिवेटिव्स बाजार का पिछले कुछ वर्षों में काफी विस्तार हुआ है. 2022 में देश में इंडेक्स डेरिवेटिव्ज मार्केट में करीब 51 लाख रिटेल ट्रेडर थे. 2024 में यह संख्या बढ़कर 96 लाख हो गई है. सेबी की रिपोर्ट के मुताबिक देश में F&O में 99.8% ट्रेडर रिटेलर हैं. F&O में जैसे-जैसे आम लोगों की संख्या बढ़ रही है, सटोरिये और बड़े ट्रेडर इसका फायदा उठा रहे हैं. इन चिंताओं को दूर करने के लिए SEBI ने एक विशेषज्ञ कार्य समूह (EWG) गठित किया. इस समूह ने बाजार प्रतिभागियों, स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉरपोरेशन और निवेशकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर कई सिफारिशें जारी की हैं. सेबी ने इन सिफारिशों के आधार पर इंडेक्स डेरिवेटिव्स के लिए मौजूदा नियामकीय ढांचे में 6 बड़े बदलाव किए हैं.
ऑप्शन के लिए अब एडवांस प्रीमियम
सेबी की तरफ से जारी सर्कुलर के मुताबिक ऑप्शन ट्रेडिंग करने वालों को 1 फरवरी, 2025 से प्रीमियम की पूरी रकम देनी होगी. फिलहाल, टोकन अमाउंट के जरिये ऑप्शन खरीदने की सुविधा मिलती है. सेबी का कहना है कि इस बदलाव का मकसद यह तय करना है कि ट्रेडिंग करने वाले डिफॉल्टर न बनें और उनके पास अपनी जवाबदेही पूरी करने के लिए पर्याप्त रकम उपलब्ध हो. सेबी इसके जरिये अत्यधिक जोखिम उठाकर ऑप्शन ट्रेडिंग करने वालों को हतोत्साहित करना चाहता है.
एक्सपायरी डे पर कैलेंडर स्प्रेड ट्रीटमेंट को हटाना
नए नियमों के मुताबिक F&O की एक्सपायरी के दिन अब कैलेंडर स्प्रेड का फायदा नहीं मिलेगा. यह नियम भी 1 फरवरी, 2025 से प्रभावी होगा. अब तक किसी एक दिन खत्म होने वाले कॉन्ट्रैक्ट के लिए अलग-अलग एक्सपायरी (कैलेंडर स्प्रेड) के बीच ऑफसेटिंग का फायदा उस दिन समाप्त होने वाले कॉन्ट्रैक्टस के लिए उपलब्ध नहीं होगा. इसका मकसद एक्सपायरी डेज में रिटेल ट्रेडर्स को सटोरियों की गतिविधियों से जुड़े जोखिमों से बचाना है.
पोजिशन लिमिट की इंट्राडे निगरानी
1 अप्रैल, 2025 से प्रभावी होने वाले इस नियम के तहत स्टॉक एक्सचेंजों को पूरे दिन पोजीशन की निगरानी करनी होगी. अब तक यह निगरानी केवल दिन के अंत में की जाती है. इसका मकसद ट्रेडर्स को पोजीशन सीमा पार करने से रोकना, बाजार में व्यवधान के जोखिम को कम करना और बाजार के व्यवस्थित कामकाज को सुनिश्चित करना है.
बड़ा होगा इंडेक्स डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट साइज
यह नियम अगले महीने 20 नवंबर से लागू हो जाएगा. यह सभी नए इंडेक्स डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट पर लागू होगा. अब तक मिनिमम कॉन्ट्रैक्ट साइज 5 लाख रुपये का है. 20 नवंबर से इसे बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दिया जाएगा. सेबी के मुताबिक इससे यह सुनिश्चित करना आसान होगा कि इंडेक्स डेरिवेटिव निवेशकों के लिए अनुकूल बने रहें और बाजार की वृद्धि के साथ अलाइन हों.
वीकली इंडेक्स डेरिवेटिव्स में सुधार
इस संबंध में नए नियम 20 नवंबर, 2024 से प्रभावी होंगे. इस बदलाव के तहत प्रत्येक स्टॉक एक्सचेंज को वीकली एक्सपायरी के साथ अपने बेंचमार्क इंडेक्स में से केवल एक के लिए डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट जारी करने की अनुमति होगी. इस बदलाव का मकसद एक्सपायरी के दिन इंडेक्स डेरिवेटिव में सटोरियों की गतिविधियों को रोकना और इंडेक्स डेरिवेटिव्ज को स्थिर व कम जोखिम वाला बनाना है.
ऑप्शन एक्सपायरी में टेल रिस्क कवरेज में वृद्धि
शॉर्ट ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट पर अतिरिक्त 2% का एक्सट्रीम लॉस मार्जिन (ईएलएम) लगाया जाएगा. इस बदलाव का मकसद एक्सपायरी के दिनों में रिस्का मैनेजमेंट को बेहतर बनाना और निवेशकों के लिए बड़े नुकसान की संभावना को घटाना है. इसे भी अगले महीने 20 नवंबर से लागू कर दिया जाएगा.