Sensex 1000 अंकों से ज्यादा क्यों टूटा, ये रही 5 बड़ी वजह
30 सितंबर को सेंसेक्स 1000 अंकों से ज्यादा टूट गया. निवेशकों के जमकर मुनाफावसूली करने से नुकसान पिछले सत्र से ज्यादा बढ़ गया. मिडिल ईस्ट में चल रहे तनाव से लेकर कुछ अन्य कारणों से भारतीय बाजार में गिरावट देखने को मिली.
भारतीय शेयर बाजार के लिए 30 सितंबर यानी सोमवार का दिन भूचाल लेकर आया. भारतीय बेंचमार्क, सेंसेक्स 1000 अंकों से ज्यादा टूट गया. निवेशकों के जमकर मुनाफावसूली करने से नुकसान पिछले सत्र से ज्यादा बढ़ गया. निफ्टी भी अपने महत्वपूर्ण स्तर 26,000 से नीचे चला गया. दोपहर 12:30 बजे तक सेंसेक्स 971 अंक या 1.1 प्रतिशत गिरकर 84,600 पर आ गया, जबकि निफ्टी 280 अंक गिरकर 25,898 पर आ गया. इस दौरान न सिर्फ लार्ज कैप बल्कि मिड और स्मॉल-कैप स्टॉक भी दबाव में दिखे. बाजार में आई इस बड़ी गिरावट से निवेशकों में बेचैनी बढ़ गई है, लेकिन इस गिरावट के पीछे मिडिल ईस्ट में चल रहे तनाव से लेकर कुछ और बड़ी वजह है, जो इस प्रकार हैं.
मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव
ईरान-इजरायल में तनाव बढ़ने से पूरी दुनिया के बाजार को अस्थिर कर दिया है. इजरायल की ओर से बेरूत में हिजबुल्लाह नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह को मारने के बाद हालत और खराब हो गए है. लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में और हमले हुए. तनाव बढ़ने से निवेशकों के बीच चिंता बढ़ गई है. निवेशक जोखिम से बचने के लिए शेयरों को बेचकर सोने में निवेश कर रहे हैं.
चीन की रणनीति ने पल्टा रुख
जानकारों के मुताबिक चीनी अधिकारियों की ओर से घोषित मौद्रिक और राजकोषीय प्रोत्साहन के चलते चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार आया है. इसी वजह से वहां के मार्केट में उछाल आया है. निवेशकों को वहां ग्रोथ की संभावना नजर आ रही है. ऐसे में बहुत से विदेशी निवेशक भारत की जगह चीन की ओर रुख करना बेहतर समझ रहे हैं.
निवेशकों ने की प्रॉफिट बुकिंग
पिछले सत्र में मार्केट में आई गिरावट से पहले निफ्टी और सेंसेक्स अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. यूएस फेड के ब्याज दरों में कटौती के चलते यहां मार्केट में 3 फीसदी से ज्यादा की बढ़त देखने को मिली थी. ऐसे में ज्यादातर विदेशी कंपनियां भारत में पैसा लगा रही थीं, मार्केट के अप होने पर बहुत से निवेशक प्रॉफिट बुकिंग में लग गए और जमकर बिकवाली हुई, जिसकी वजह से भी सेंसेक्स में गिरावट देखने को मिल रही है.
ग्लोबल मार्केट के मिले-जुले संकेत
सेंसेक्स के लुढ़कने का एक और कारण ग्लोबल मार्केट से हासिल हुए मिले-जुले संकेत भी हैं. दरअसल सितंबर के पीएमआई के 49.8 पर आने के बाद आज चीन के शेयरों में 4 प्रतिशत की तेजी आई. इसके अलावा, जापान के निक्केई 225 में 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई क्योंकि निवेशकों ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के चुनावों में शिगेरू इशिबा की जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त की.
पॉवेल के भाषण से पहले घबराहट
इस हफ्ते कई महत्वपूर्ण ऐलान होने वाले हैं, जिनमें से एक है फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की घोषणा. वह नौकरी के अवसर, निजी भर्ती के आंकड़े और आईएसएम विनिर्माण डेटा सहित प्रमुख डेटा रिलीज़ करेंगे. इसके अलावा हफ्ते के आखिर में अमेरिकी गैर-कृषि पेरोल रिपोर्ट और अमेरिकी बेरोजगारी दर रिपोर्ट भी पेश होगी, इससे आगे की रणनीति तय होगी. इन्हीं के चलते निवेशक काफी सतर्क हैं.