इन 4 वजहों से शेयर मार्केट में तबाही, भूचाल ऐसा कि रिलायंस भी 3% टूटा, निवेशकों के डूबे 6 लाख करोड़
बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पिछले सत्र के 448 लाख करोड़ रुपये से घटकर लगभग 442 लाख करोड़ रुपये रह गया, जिससे निवेशकों के लगभग 6 लाख करोड़ एक ही सेशन में डूब गए.
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार, 4 नवंबर को भारी बिकवाली देखने को मिल रही है. बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप पिछले सत्र के 448 लाख करोड़ रुपये से घटकर लगभग 442 लाख करोड़ रुपये रह गया, जिससे निवेशकों के लगभग 6 लाख करोड़ एक ही सेशन में डूब गए. बीएसई पर सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री (RIL) के शेयरों में 3 फीसदी से अधिक की गिरावट देखने को मिली. रिलायंस के बाद आईसीआईसीआई बैंक (ICICI BANK) में भी बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. इंफोसिस लिमिटेड (Infosys) के शेयर भी 2 फीसदी टूट गए थे . इन बड़े शेयरों में गिरावट ने मार्केट को संभलने का मौका नहीं दिया और गिरावट बड़ी होती गई. शेयर मार्केट में आई इतनी बड़ी गिरावट के पीछे क्या फैक्टर्स हैं, समझ लेते हैं.
अमेरिकी चुनाव
5 नवंबर को होने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव (USA President Election) को लेकर अनिश्चितता ने आज भारतीय बाजार में उथल-पुथल मचा दी है. डेमोक्रेटिक की तरफ से उम्मीदवार कमला हैरिस (Kamla Harris) और रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच कड़ी टक्कर के कारण निवेशक संभावित आर्थिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं. जानकारों का कहना है कि इस नतीजे से भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले अलग-अलग नीतिगत फैक्टर्स सामने आ सकते हैं.
हैरिस की जीत से यू.एस. फेडरल रिजर्व का रुख और अधिक उदार हो सकता है, जिससे संभावित रूप से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) घरेलू दरों में कटौती कर सकता है. इसके उलट, ट्रम्प की जीत से यू.एस. ब्याज दरें ऊंची बनी रह सकती हैं, जिससे आरबीआई के लिए रेपो रेट में कटौती मुश्किल हो सकती है. इस अनिश्चितता ने निवेशकों को वेट एंड वॉच मोड में ला दिया है. इस वजह से स्टॉक मार्केट पर प्रभाव पड़ रहा है.
फेड मीटिंग का नतीजा
7 नवंबर को होने वाली यू.एस. फेडरल रिजर्व (US Fed Reserve ) की पॉलिसी मीटिंग भी भारतीय बाजार में आशंका को बढ़ा रही है. एक्सपर्ट का अनुमान है कि तिमाही परसेंट प्वाइंट रेट में कटौती से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में और अधिक बिकवाली कर सकते हैं. हालांकि, जब तक फेड के रुख पर स्पष्टता नहीं आती, तब तक निवेशकों ने सतर्क रहने का फैसला किया है. इस वजह से भी आज बाजार में गिरावट ट्रिगर हुई है.
तेल की कीमतों में तेजी
तेल उत्पादक देशों के संगठन OPEC+ ने एक बार फिर कच्चे तेल देशों के उत्पादन को बढ़ाने का फैसला एक महीने आगे खिसका दिया है. इसकी वजह से आज तेल की कीमतों में 1.18 डॉलर प्रति बैरल तक तेजी आई और ब्रेंट क्रूड 74.28 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इसका असर भी भारतीय मार्केट पर नजर आ रहा है.
तिमाही के खराब नतीजे
भारतीय कॉरपोरेट्स की दूसरी तिमाही के खराब नतीजों का असर मार्केट पर नजर आ रहा है. इससे इक्विटी बाजार में गिरावट आई है और विदेशी निवेशक इस वजह से भी भारतीय मार्केट से निकल रहे हैं.
चीनी फैक्टर
अमेरिकी चुनाव शुरू होने के साथ ही चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक बीजिंग में सोमवार से शुरू हो गई. एक बार जब यह बैठक पूरी हो जाएगी, तो समिति एक आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज को मंजूरी दे सकती है. इस पैकेज का इस्तेमाल बेकार पड़ी जमीन और प्रॉपर्टी खरीदने, बैंकों को फिर से कैपिटल उपलब्ध कराने, प्रांतीय-सरकारी कर्ज को रीफाइनेंस करने और परिवारों को सहायता प्रदान करने के लिए हो सकता है.