इस महीने निवेशकों के 11.30 लाख करोड़ स्वाहा, जानें- कब आएगी भारतीय बाजार में जोरदार तेजी

Share Market Outlook: डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ योजना के ऐलान के बाद शेयर मार्केट में भारी उथल-पुथल देखने को मिली है. वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई और भारत भी बिकवाली से अछूता नहीं रहा. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते हुए टैरिफ के साथ वैश्विक ट्रेड वॉर से तत्काल चुनौती उत्पन्न हो सकती है.

शेयर मार्केट में डूबे लाखों करोड़. Image Credit: Tv9 Bharatvarsh

Share Market Outlook: इस महीने की शुरुआत से निवेशकों की संपत्ति में 11.30 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है. ट्रंप के टैरिफ ने भारतीय बाजार को जोरदार झटका दिया, लेकिन फिर रिकवरी भी देखने को मिली है. हालांकि, इस बीच निवेशकों के 11.30 लाख करोड़ रुपये साफ हो गए. बीएसई सेंसेक्स में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ योजना के ऐलान के बाद शेयर मार्केट में भारी उथल-पुथल देखने को मिली है. टैरिफ को लेकर चीन और अमेरिका के रवैया ने ट्रेड वॉर की चिंताएं बढ़ा दी हैं.

गिरावट के बाद आई रिकवरी

2 अप्रैल से बीएसई बेंचमार्क गेज में 1,460.18 अंक या 1.90 फीसदी की गिरावट आई है. शेयरों में अनिश्चितता को देखते हुए, इस अवधि के दौरान बीएसई-लिस्टेड फर्मों का मार्केट कैप 11,30,627.09 करोड़ रुपये घटकर 4,01,67,468.51 करोड़ रुपये (4.66 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर) रह गया. शुक्रवार को बेंचमार्क इंडेक्स में करीब 2 फीसदी की उछाल आई, क्योंकि अमेरिका ने टैरिफ पर 90 दिनों की रोक लगा दी. भारतीय शे.र बाजार 10 अप्रैल को श्री महावीर जयंती और 14 अप्रैल को डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर जयंती के दिन बंद रहे.

चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ वॉर

अप्रैल के पहले सप्ताह में ट्रंप ने एक बड़े टैरिफ प्लान का ऐलान किया. व्हाइट हाउस ने बाद में चीन को छोड़कर अधिकांश देशों के लिए पारस्परिक टैरिफ पर 90 दिनों की रोक की घोषणा की. चीन ने शुक्रवार को अमेरिकी वस्तुओं पर अपने अतिरिक्त टैरिफ को बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया, जो अमेरिका के 145 फीसदी के टैक्स का जवाब है.

मजबूत नजर आया भारतीय बाजार

लेमन मार्केट्स डेस्क के एनालिस्ट सतीश चंद्र अलूरी ने कहा कि ट्रंप द्वारा दुनिया पर व्यापक पारस्परिक टैरिफ की घोषणा के बाद नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में बाजारों में उतार-चढ़ाव रहा. वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई और भारत भी बिकवाली से अछूता नहीं रहा, लेकिन अब तक अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है.

अमेरिका ने 2 अप्रैल को अमेरिकी बाजार में प्रवेश करने वाले भारतीय सामानों पर अतिरिक्त 26 फीसदी टैरिफ की घोषणा की. हालांकि, 9 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन ने भारत पर इस साल 9 जुलाई तक 90 दिनों के लिए इन पर रोक लगा दिया. हालांकि, देशों पर लगाया गया 10 फीसदी बेसलाइन टैरिफ लागू रहेगा.

टैरिफ का क्या होगा असर?

अलूरी ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते हुए टैरिफ के साथ वैश्विक ट्रेड वॉर से तत्काल चुनौती उत्पन्न हो सकती है. मार्केट पार्टिसिपेंट को डर है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव वैश्विक नुकसान का कारण बन सकता है. चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसने प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाकर जवाबी कार्रवाई की है.

मास्टर कैपिटल सर्विसेज में एवीपी (रिसर्च एंड एडवाइजरी), विष्णु कांत उपाध्याय ने कहा कि हाल के दिनों में भारतीय बाजारों ने वास्तव में घरेलू और वैश्विक फैक्टरों का कॉम्बिनेशन से उथल-पुथल का अनुभव किया है. लेकिन, अब वैश्विक अनिश्चितता बाजार पार्टिसिपेंट का प्रमुख डर है, जो निकट भविष्य में ट्रेंड और ट्रेजेक्टरी को तय करने में एक बड़ी ताकत हो सकती है.

भारतीय बाजार में कब आ सकती है तेजी?

उनके अनुसार, भारतीय इक्विटी बाजार एक जटिल आउटलुक से गुजर रहे हैं, जो वैश्विक अनिश्चितताओं और अमेरिकी व्यापार नीति में संभावित बदलावों से प्रभावित है. जबकि घरेलू फ्लेक्सिबिलटी और मजबूत होती कॉर्पोरेट इनकम रिकवरी के लिए आधार प्रदान कर सकती है.

पिछले वर्ष के अंत में हुए भारी करेक्शन के बावजूद, पार्टिसिपेंट को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में बाजार में उछाल आ सकता है. इस अनुमानित उछाल को कॉर्पोरेट मुनाफे में सुधार और नए सिरे से विदेशी कैपिटल फ्लो से सहायता मिलने की संभावना है क्योंकि वैल्यूएशन उचित हो गया है.

कब तक सताएगा मंदी का डर?

उपाध्याय ने कहा कि, लेकिन अनिश्चितता का मौजूदा चरण विशेष रूप से अमेरिकी मंदी और मंदी के डर के कारण अगले तीन से छह महीने तक चल सकता है, जो निवेशकों के सेंटीमेंट को दबा रहा है. इसके उलट अगर वैश्विक परिस्थितियां स्थिर होती हैं, तो भारतीय शेयर बाजार एक बार फिर लॉन्ग टर्म ग्रोथ क्षमता की तलाश कर रहे विदेशी निवेशकों के लिए एक बेहतरीन डेस्टिनेशन के रूप में उभर सकता है.

उन्होंने आगे कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था ग्रोथ के लिए अच्छी स्थिति में है, लेकिन वैश्विक बाजार की अनिश्चितताएं, अस्थिरता और व्यापार व्यवधान अभी भी बड़े जोखिम हैं. उपाध्याय ने कहा कि आर्थिक गति को बनाए रखने के लिए लगातार नीति समर्थन और घरेलू फ्लेक्सिबिलटी आवश्यक होगी.

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