शेयर बाजार में दिन भर रहा उतार-चढ़ाव, सेंसेक्‍स-निफ्टी गिरावट के साथ हुए बंद, निफ्टी फार्मा में 2% का उछाल

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तरफ से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे बाजार को बुधवार को निराशा हाथ लगी. रिजर्व बैंक की इस समिति ने दरों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं करने का एलान किया है. हालांकि, बाजार की तरफ से इसे लेकर कोई मजबूत प्रतिक्रिया नहीं दी गई. मोटेतौर पर बाजार इस फैसले को लेकर उदासीन रहा.

लाल निशान में बंद हुए बेंचमार्क इंडेक्स Image Credit: Yuichiro Chino/Moment/Getty Images

रिजर्व बैंक की तरफ से मौद्रिक नीति में किसी तरह के बड़े बदलाव नहीं किए जाने का बाजार पर खास असर नहीं दिखा. दिनभर के उतार-चढ़ाव के बाद बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में बंद हुए. सेंसेक्स जहां 0.21% यानी 167.71 अंक की गिरावट के साथ 81,467.10 के स्तर पर बंद हुआ. वहीं, निफ्टी 0.04% यानी 10.35 अंक की गिरावट के साथ् 25,002.80 पर बंद हुआ. हालांकि, निफ्टी फार्मा इंडेक्‍स 2 फीसदी और निफ्टी रियल्‍टी 2.15 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए.

एमपीसी के फैसले पर बाजार की प्रतिक्रया को विशेषज्ञों का कहना है कि समिति के किसी भी फैसले से बाजार का रुख प्रभावित होने की ज्यादा उम्मीद नहीं थी. हालांकि, एक सकारात्मक बदलाव यह देखने को मिला है कि एमपीसी ने पिछले कुछ महीनों में जो महंगाई के आंकड़े आए हैं, उन पर गौर किया है और उम्मीद जताई है कि आने वाले दिनो में समग्र महंगाई में और राहत मिल सकती है. मोटे तौर बाजार इस बात से आश्वस्त है कि एमपीसी ने अपने पॉलिसी स्टांस में बदलाव किया है. इससे आने वाले दिनों में ब्याज दरें घटने की संभावनाएं बढ़ गई हैं.

एसबीआई म्यूचुअल फंड फिक्स्ड इनकम के सीआईओ राजीव राधाकृष्णन ने कहा कि घरेलू विकास और मुद्रास्फीति के मौजूदा परिदृश्य को ध्यान में रखकर साफ तौर पर मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ रखना एक उपयुक्त फैसला है. एमपीसी ने मुद्रास्फीति के उभरते जोखिमों के बारे में जागरूक रहते हुए, तटस्थ रुख के साथ अर्थव्यवस्था की व्यापक गतिशीलता को ध्यान में रखकर नीतिगत लचीलेपन का रास्ता बनाया है. आने वाले दिनो में नीतिगत स्तर पर रिजर्व बैंक का ध्यान सिस्टम लिक्विडिटी में आने वाले प्रतिकूलताओं और वित्तीय स्थिरता के लिए संभावित जोखिमों पर रहेगा.

वहीं, इस संबंध में इक्विरस की अर्थशास्त्री अनीता रंगन कहती हैं कि रिजर्व बैंक ने मोटे तौर पर दरों में कटौती की संभावना के द्वार खोले हैं. लेकिन, बहुत जल्द रेट कट की उम्मीद नहीं की जा सकती है. हालांकि, मुद्रास्फीति में अगर तीव्र गिरावट, वैश्विक स्तर के जोखिमों में कमी और कृषि उत्पादन में उत्साहजनक नतीजे मिलते हैं, तो रेट कट की उम्मीद की जा सकती है.