बाजार की वोलैटिलिटी का असर, डीमैट खातों की ग्रोथ पर लगा ब्रेक, 23 महीने के निचले स्तर पर वृद्धि

पिछले वर्ष सितंबर के बाद से भारतीय Share Market में जारी उतार-चढ़ाव का असर डीमैट खातों की ग्रोथ पर देखने को मिला है. खासतौर पर इस साल जनवरी से मार्च के बीच में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ग्लोबल मार्केट में जारी वोलैटिलिटी का असर अब भारतीय बाजार पर दिख रहा है.

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शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव की वजह से आम लोगों की दिलचस्पी घटने ली है. इस बात की तस्दीक डीमैट खातों की ग्रोथ के आंकड़े कर रहे हैं. इस साल मार्च में डीमैट खातों की वृद्धि 23 महीनों के निचले स्तर पर आ गई है. फरवरी के 30.3 लाख की तुलना में मार्च में केवल 20.4 लाख नए डीमैट खाते खुले हैं. बाजार में उतार-चढ़ाव और निवेशकों के कमजोर भरोसे के के चलते यह गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा आईपीओ बाजार में सुस्ती और वैश्विक अनिश्चितताओं ने भी निवेशकों को नए खाते खोलने से रोका है. मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह रुझान आगे भी जारी रहने की संभावना है.

अप्रैल 2023 के बाद सबसे धीमी ग्रोथ

मार्च में 20.4 लाख नए डीमैट खाते खोले गए, जो अप्रैल 2023 के बाद सबसे कम वृद्धि है. इससे पहले पिछले महीने फरवरी में 30.3 लाख खाते खोले गए थे. यह लगातार तीसरा महीना है, जब नए खातों की संख्या में गिरावट आई है.

कुल खातों की संख्या बढ़ी

भले ही पिछले तीन महीने से लगातार नए खातों की संख्या घट रही है. लेकिन, कुल खातों की संख्या में इजाफा हो रहा है. इससे यह पता चलता है कि जो लोग बाजार में हैं, वे भाग नहीं रहे हैं. मार्च के अंत तक, NSDL और CDSL के पास डीमैट खातों की कुल संख्या 19.24 करोड़ हो गई, जो फरवरी में 19.04 करोड़ थी.

क्यों घटी ग्रोथ?

बाजार विशेषज्ञ इस मंदी का कारण निवेशकों की कमजोर धारणा और आईपीओ बाजार की सुस्ती को मानते हैं. क्योंकि, जब बाजार की परिस्थितियां प्रतिकूल होती हैं, तो आईपीओ गतिविधि धीमी होती है. इस दौरान रिटेल इन्वेस्टर भी बाजार में कम रुचि लेते हैं. ऐसे में जब तक बाजार में विश्वास की बहाली नहीं होती और आईपीओ बाजार की गतिविधियां तेज नहीं होती हैं, तब तक यह प्रवृत्ति बनी रहने की संभावना है.

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