Suzlon vs Waaree Energies: कौन से ग्रीन स्टॉक में तगड़े रिटर्न की एनर्जी, किसके फंडामेंटल में ज्यादा दम?
Best Green Energy Stock: 2030 तक भारत को 500 गीगावाट रिन्युएबल एनर्जी उत्पादन की क्षमता हासिल करनी है. इसके लिए सरकार खूब खर्च कर रही है. जानते हैं Suzlon Energy और Waaree Energies दोनों में कौनसी कंपनी सरकार के बूस्ट से ज्यादा फायदा उठाने की स्थिति में है.
Suzlon vs Waaree Energies: देश को 2030 तक 500 गीगावाट रिन्युएबल एनर्जी उत्पादन की क्षमता और 2070 नेट जीरो इमिशन का लक्ष्य हासिल करना है. इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सरकार रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर पर जमकर खर्च कर रही है. देशभर में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के जरिये इस सेक्टर को बूस्ट दिया जा रहा है. इससे कई कंपनियां इस सेक्टर में बड़े खिलाड़ी के तौर पर उभर रही हैं.
सुजलॉन और वारी एनर्जीज
Suzlon और Waaree Energies दोनों ही कंपनियों को सरकारी पहलों की वजह से बड़ा फायदा मिला है. सुजलॉन जहां भारत की सबसे बड़ी विंड टर्बाइन बनाने वाली कंपनी हैं. वहीं, वारी एनर्जीज देश में सोलर फोटोवोल्टेक (PV) मॉड्यूल बनाने वाली कंपनी है. फिलहाल, देश में सरकारी पहलों के चलते ग्रीन एनर्जी के सेक्टर में आए उफान का दोनों कंपनियेां को कितना फायदा मिलेगा, इसे लेकर एनालिस्ट अलग-अलग राय रखते हैं. दोनों कंपनियों के सामने विशेष चुनौतियां और अवसर हैं. ऐसे में एनालिस्ट्स का मानना है कि दोनों की ग्रोथ की ट्रैजेक्टरी समान नहीं हो सकती है.
सुजलॉन की ताकत
1995 में स्थापित सुजलॉन की शेयर बाजार में 2005 में एंट्री हुई. 2008 में कंपनी शेयर बाजार में अपने शीर्ष पर पहुंच गई. हालांकि, 2019 कंपनी ने कर्ज डिफॉल्ट किया. अब कंपनी ग्रोथ के लिए प्रॉफिट मार्जिन में स्टेबिलिटी को बढ़ाने पर जोर दे रही है. कंपनी भारत में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 31% के मार्केट शेयर के साथ प्रभावशाली स्थिति में है. लेकिन, आईनॉक्स, वोस्टास विंड सिस्टम, एनरकॉन और टाटा पॉवर से चुनौती मिल रही है.
धुंआ हुआ मुनाफा
सुजलॉन के लिए कॉम्पटिशन से ज्यादा बड़ी चुनौती सोलर एनर्जी है. क्योंकि, सोलर एनर्जी के प्लांट लगाना ज्यादा आसान है और सोलर एनर्जी प्लांज विड एनर्जी की तुलना में किफायती भी होते हैं. सरकार का भी ध्यान सोलर एनर्जी पर ज्यादा है. इसी वजह से 2017 में कंपनी की ऑर्डर बुक में जहां 12,714 करोड़ रुपये के ऑर्डर थे, 2020 में घटकर 2,973 करोड़ रुपये के रह गए. इसका असर यह हुआ कंपनी ने जहां 2017 में 852 करोड़ रुपये प्रॉफिट रिपोर्ट किया, वहीं 2020 में 2,692 करोड़ के घाटे में चली गई.
सुजलॉन शेयर प्राइस मूमेंटम
सुजलॉन शेयर प्राइस के मूमेंटम को देखें, तो मई 2023 से सितंबर 2024 के दौरान में इसमें 880 फीसदी की जबरदस्त रैली आई है, जिसके चलते शेयर प्राइस 15 साल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है. निवेशकों को उम्मीद है कि रिन्युएबल एनर्जी पर सरकार की तरफ से किए जाने वाले खर्च का फायदा कंपनी को मिलेगा. लेकिन, 86.04 रुपये के 52 वीक हाई से शेयर प्राइस करीब 31.43 फीसदी गिरकर 51.04 रुपये पहुंच गई है.
वारी एनर्जीज
1990 में स्थापित हुई वारी एनर्जीज ने पिछले साल शेयर बाजार में एंट्री की है. वारी एनर्जी के लिए सबसे बड़ा ब्रेकथ्रू इसकी रिन्युएबल एनर्जी कैपेसिटी में तेजी से बढ़ोतरी है. 2021 में कंपनी के पास 2 गीगावाट की क्षमता थी, जो 2024 में बढ़कर 12 गीगावाट हो गई. इसके साथ ही कंपनी ने हाल में आईपीओ के जरिये 4,321 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इस रकम से कंपनी अपने पीवी मॉड्यूल बनाने की क्षमता को बढ़ा रही है. पीवी मॉड्यूल की कीमतों में कमी आने से वारी का प्रॉफिट भी बढ़ रहा है. पीवी मॉड्यूल के मामले में वारी घरेलू बाजार में 21% और निर्यात में 44% का मार्केट शेयर होल्ड करती है. हालांकि, सोलर सेक्टर में रिलायंस और अडानी समूह भी उतर रहे हैं, जिससे वारी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं
वारी एनर्जीज शेयर प्राइस मूमेंटम
अक्टूबर 2024 में शेयर बाजार में एंट्री के बाद वारी के शेयर की कीमत 3,743 रुपये तक पहुंच गई. हालांकि, इसके बाद अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने और तेल व गैस के दाम कम करने के लिए उत्पादन बढ़ाने का ऐलान करने के बाद से वारी के शेयर प्राइस में लगातार गिरावट आ रही है. अपने शीर्ष स्तर से वारी के शेयर का प्राइस अब 43.89 फीसदी तक गिर चुकी है.
कितना है दोनों कंपनियों का PE रेश्यो
किसी भी कंपनी की शेयर प्राइस पर आधारित मार्केट वैल्यू और उसकी इनके के बीच के फासले को प्राइस टू अर्निंग यानी PE रेश्यो कहा जाता है. इस मोर्चे पर सुजलॉन और वारी को कंपेयर किया जाए, तो जब वारी एनर्जी बाजार में लिस्ट हुई, उस समय वारी का PE रेश्यो करीब 34 गुना था. जबकि, उस दौरान सुजलॉन का पीई रेश्यो 99 गुना था. बाद में वारी एनर्जी के शेयर प्राइस में आए उछाल के चलते वारी का पीई रेश्यो बढ़कर 56.5 गुना तक पहुंच गया, जबकि सुजलॉन का घटकर 72 गुना आ गया. 14 फरवरी को दोनों कंपनियों के शेयर प्राइस के हिसाब से देखा जाए, तो वारी का PE रेश्यो 48.21 गुना है, जबकि सुजलॉन का 61.04 गुना है. इस तरह सुजलॉन वारी की तुलना में अब भी ओवरवैल्यूड है.
क्या कहते हैं Q3 के नतीजे
दोनों कंपनियों में मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के नतीजे जारी कर दिए हैं. दोनों ही कंपनियों ने सालाना आधार पर मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही अक्टूबर से दिसंबर 2024 के दौरान अच्छी रेवेन्यू ग्रोथ रिपोर्ट की है. इसके अलावा प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) और EBITDA में भी ग्रोथ रिपोर्ट की है. हालांकि, मोटे तौर पर दोनों कंपनियों की तुलना की जाए, तो Q3 रिजल्ट के आंकड़े वारी के पक्ष में नजर आते हैं.
Q3 रिजल्ट | वारी एनर्जी | सुजलॉन |
रेवेन्यू ग्रोथ | 115% | 91% |
PAT | 260% | 90% |
EBITDA | 257% | 101.61% |
ब्रोकरेज हाउस का रुख
जेएम फाइनेंशियल और आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने सुजलॉन को 80 रुपये के टार्गेट प्राइस के साथ बाय रेटिंग दे रखी है. कंपनी की ऑर्डर बुक और ऑपरेशनल एक्टिविटीज बढ़ने से कंपनी को लेकर ब्रोकरेज हाउस आशावादी हैं. वहीं, वारी को फिलहाल कोई ब्रोकरेज हाउस कवर नहीं कर रहा है. हालांकि, आईपीओ की लिस्टिंग के तुरंत बाद ही कोटक सिक्योरिटीज ने वारी को लेकर सेल रेटिंग के साथ 2525 का टार्गेट दिया था. इसका स्टॉक अब इससे नीचे आ चुका है.
कौनसा शेयर बेहतर
दोनों ही कंपनियां ग्रीन एनर्जी सेक्टर में काम कर रही हैं. दोनों के रेवेन्यू का सबसे बड़ा स्रोत बड़े सरकारी ऑर्डर हैं. हालांकि, सुजलॉन की तुलना में वारी एक ज्यादा डाइवर्सीफाइड एक्सपेंशन स्ट्रैटजी पर काम कर रही है. आने वाले दिनों में जून 2026 में लागू होने वाली घरेलू सामग्री आवश्यकता (डीसीआर) नीति और सेल निर्माताओं की स्वीकृत सूची (एएलसीएम) वारी के सोलर मॉड्यूल और सेल एक्सपेंशन के लिए अहम साबित होंगे. हालांकि, वारी का ओवरवैल्यूएशन इसके लिए जोखिम पैदा करता है. वहीं, दूसरी तरफ सुजलॉन के पास स्थिर मुनाफा है. इसके अलावा कंपनी के प्रॉफिट मार्जिन में सुधार हो रहा है. इस तरह देखा जाए, तो सुजलॉन के शेयर में शॉर्ट टर्म में स्थिर ग्रोथ की संभावना है. वहीं, वारी एनर्जी की एग्रेसिव एक्सपेंशन स्ट्रैटजी रिस्क के साथ ज्यादा रिवार्ड की संभावना रखती है.
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