FPI को पछाड़ DII बनेंगे शेयर मार्केट के सरताज, जानें कैसे बढ़ रहा घरेलू निवेशकों का दबदबा
डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर (DII) का दबदबा भारतीय कंपनियों में बढ़ रहा है और दिसंबर तिमाही में विदेशी निवेशकों के साथ ऑनरशिप गैप कम हो गया है. अब FPI और DII के बीच यह अंतर सिर्फ 29 बेसिस प्वाइंट रह गया है, जबकि मार्च 2015 में यह 1,031 बेसिस प्वाइंट था. विश्लेषकों का मानना है कि FPI में बिकवाली का सिलसिला जारी रहेगा और DII जल्द ही FPI को पीछे छोड़ सकता है.
FPI vs DII: भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेशकों और डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) के बीच ऑनरशिप का अंतर दिसंबर तिमाही में रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया. विदेशियों द्वारा लगातार बिक्री और घरेलू म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों की ओर से लगातार खरीदारी ने इस अंतर को कम किया है. ET की रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर तक यह अंतर घटकर 29 बेसिस प्वाइंट रह गया है, जो मार्च 2015 में 1,031 बेसिस प्वाइंट के उच्चतम स्तर से काफी कम है. मार्च 2015 में FPI और DII के बीच सबसे बड़ा अंतर था, जब FPI के पास 20.70 फीसदी और DII के पास 10.38 फीसदी हिस्सा था.
डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स की बढ़ती हिस्सेदारी
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने दिसंबर तिमाही के दौरान 1.51 लाख करोड़ रुपये और 1 जनवरी से 67,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. विदेशियों की लगातार बिकवाली और घरेलू म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों की ओर से लगातार खरीदारी ने इस अंतर को और कम कर दिया है. NSE-लिस्टेड कंपनियों में FPI का स्वामित्व दिसंबर 2024 के अंत में 56 आधार अंक घटकर 17.55 फीसदी से 16.99 फीसदी पर आ गया, जो पिछले 12 सालों में सबसे कम है.
वहीं, इस दौरान DII की हिस्सेदारी 16.46 फीसदी से बढ़कर 23 आधार अंक के इजाफे के साथ 16.69 फीसदी के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई. अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली का यह ट्रेंड जारी रहता है, तो घरेलू संस्थान भारतीय कंपनियों में विदेशी निवेशकों के ऑनरशिप को पार कर सकते हैं.
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2015 में था सबसे बड़ा गैप
विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल रिस्क-रिवार्ड रेशियो अमेरिकी इक्विटी और डेट के पक्ष में है, जिससे FPI द्वारा बिक्री जारी रहने की संभावना है. ऐसी स्थिति में DII आगे निकल सकते हैं. DII, जिसमें म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और बैंक शामिल हैं, ने दिसंबर तिमाही में लगभग 1.85 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया.
यह निवेश हाल की तिमाहियों में FPI होल्डिंग्स में आई गिरावट को संतुलित करने में मददगार रहा. FPI और DII के बीच सबसे बड़ा अंतर मार्च 2015 में दर्ज किया गया था, जब FPI के पास 20.70 फीसदी और DII के पास 10.38 फीसदी हिस्सा था.