सब याद दिला रहे हैं ब्लैक मंडे, जानें 35 साल पहले क्या हुआ था, एक फैसले से मच गई थी तबाही

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो अप्रैल को किए रियायती रेसिप्रोकल टैरिफ ऐलान ने दुनियाभर के लिए नई मुसीबत लेकर आया है. ट्रंप ने 180 से ज्यादा देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया है. आज बाजार में रिकॉर्ड तोड़ गिरावट देखी जा रही है. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 3,000 अंक से भी अधिक गिर चुका है. वहीं निफ्टी 1,000 अंक फिसल गया है. ऐसे में आइए आपको अतीत में लेकर चलते है. जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के चपेट में आ गई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप Image Credit: Money 9

 The Story of Great Depression of 1929: शेयर बाजार के मारों का इतना ही फसाना है. हंसने को कोई नहीं, रोने को टैरिफ का बहाना है. निवेशकों पर मौजूदा समय में ये लाइनें बिल्कुल सटीक बैठती है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो अप्रैल को किए रियायती रेसिप्रोकल टैरिफ ऐलान ने दुनियाभर के लिए नई मुसीबत लेकर आया है. ट्रंप ने 180 से ज्यादा देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दिया है. इस फैसले का असर सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि एशियाई बाजार समेत यूरोपीय बाजारों तक में भारी गिरावट देखने को मिल रही है.

एक्सपर्ट ऐसा मानने लगे है कि दुनिया मंदी की ओर बढ़ रही है. हफ्ते के पहले ही दिन टैरिफ का असर साफ दिखा. आज बाजार में रिकॉर्ड तोड़ गिरावट देखी जा रही है. शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 3,000 अंक से भी अधिक गिर चुका है. वहीं निफ्टी 1,000 अंक फिसल गया. मिनटों में निवेशकों के 19 लाख करोड़ डूब भी चुके हैं. और इस समय दुनिया 1987 के ब्लैक मंडे को याद कर रही है. उस वक्त भी ऐसा ही कुछ हुआ था. आइए जानते हैं कि 38 साल पहले दुनिया के शेयर बाजारों ने कैसी तबाही देखी थी.

ब्लैक मंडे

19 अक्टूबर 1987 का वो दिन दुनिया भर के शेयर बाजार के लिए ब्लैक मंडे साबित हुआ. दुनिया भर के शेयर बाजार में एक बड़ी गिरावट आई. इस गिरावट के कारण दुनिया भर में 1.71 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने बाजार में तरलता प्रदान की और आर्थिक संकट को रोकने की कोशिश की थी. 19 अक्टूबर 1987 को जब न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज खुला तो विक्रेताओं का दबाव बहुत अधिक था. शेयरों की कीमत गिरने लगीं. इस दिन डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 22.6 फीसदी गिर गया. यह एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट थी.

कई शेयरों का कारोबार रुक गया और कंप्यूटर सिस्टम भी फेल हो गए. इस दिन का नुकसान बहुत बड़ा था. वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज (DJIA) का इंडेक्स एक ही दिन में 22.6 फीसदी नीचे चला गया था. फेडरल हिस्ट्री रिजर्व ऑर्ग के अनुसार, यह इतिहास में सबसे बड़ी गिरावट थी. शेयर बाजार में एक दिन की भयावह गिरावट ने एक स्नोबॉल इफेक्ट पैदा कर दिया था. यह गिरावट दुनिया भर में जारी रही थी. यह गिरावट हांगकांग से शुरू हुई और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका पहुंचने से पहले पूरे एशिया और यूरोप में फैल गई थी.

अतीत से कराते है रूबरू

आइए आपको अतीत के एक और ऐसे ही कहानी के बारे में बाताते है. जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी के चपेट में आ गई थी. आप में से कई लोगों को साल 1929 की महामंदी तो याद ही होगा. 29 अक्टूबर 1929 का दिन इतिहास में ‘काला मंगलवार’ के नाम से जाना जाता है. यहीं वह दिन था जब अमेरिका का शेयर बाजार धड़ाम से गिरा और इसके साथ ही दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में एक भयंकर मंदी का आगाज हुआ. आखिर वो दिन कैसे आया? आखिर उस दिन क्या हुआ? क्या था इसके पीछे का कारण? सब कुछ जानते है विस्तार से…

ब्लैक थर्सडे का वह दिन…

साल 1929 में अक्टूबर में ब्लैक थर्सडे के बाद वीकेंड आया. लोग सोच रहे थे कि नया हफ्ता क्या लाएगा. लेकिन सोमवार को बाजार और नीचे गिरा. मंगलवार को थोड़ा रुका पर तब तक बहुत नुकसान हो चुका था. दो दिन में बाजार का एक चौथाई हिस्सा खत्म हो गया. ये ग्रेट क्रैश की शुरुआत थी. तीन साल में डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 90 फीसदी तक गिर गया. फ्रेड श्वेड जूनियर नाम के लेखक ने अपनी किताब “व्हेयर आर द कस्टमर्स यॉट्स? में इसे दुखद बताया. इस क्रैश ने ग्रेट डिप्रेशन शुरू किया. यह पूरे दस साल तक चला. यूरोप, जापान, साउथ अमेरिका समेत सभी देश इसकी चपेट में आ गए.

कब-कब आई आर्थिक मंदी?

मंदी का नामशुरुआतप्रमुख कारणप्रभावअवधि
1929 की महामंदी1929शेयर बाजार का पतनबेरोजगारी, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, वैश्विक प्रभाव1929-1939
1973 का तेल संकट1973ओपेक द्वारा तेल की कीमतों में बढ़ोतरीआर्थिक संकट, उच्च मुद्रास्फीति, विकसित देशों पर प्रभाव1970 के दशक
2002 की मंदी2001-2002डॉट-कॉम बबल का फूटना, 9/11 हमलाबेरोजगारी, आर्थिक गतिविधियों में गिरावट, नैस्डेक में 80% नुकसान2000 के शुरुआती साल
2008 की मंदी2008हाउसिंग सेक्टर का संकटबैंकों का दिवालियापन, आर्थिक विकास में गिरावट, बेरोजगारी2008-2009 से आगे
कोरोना लॉकडाउन2019 के अंत से 2020COVID-19 महामारी और लॉकडाउनवैश्विक जीडीपी में 3% गिरावट, आर्थिक गतिविधियों पर गंभीर प्रभाव2020-2021

बाजार को बचाने की हुई पूरी कोशिश

साल 1929 में 25 अक्टूबर को 12.9 मिलियन शेयर बिके. बड़े दिग्गज बिजनेसमैन ने बाजार को बचाने की पूरी कोशिश की. उन्होंने एक बिलियन डॉलर लगाकर बाजार को बचाने की कोशिश की. शुक्रवार को थोड़ा सुधार हुआ पर शनिवार को फिर गिरावट आई. बैरन मैगजीन के लेखक हैरिस जे. नेल्सन ने कहा कि जल्दी रिकवरी मुश्किल है. सोमवार को उनकी बात सच हुई. लोग घाटा कम करने या उधार चुकाने के लिए बेच रहे थे. डाउ 12.82 फीसदी गिरा. ये उस समय का रिकॉर्ड था. मंगलवार को और तेजी से 16 मिलियन शेयर बिके. डाउ 11.73 फीसदी और नीचे गया.

ये भी पढ़े: रिलायंस, टाटा मोटर्स, NTPC ग्रीन से लेकर सुजलॉन तक धड़ाम, ब्लैक मंडे ने निवेशकों को किया कंगाल