IRFC और RVNL जैसी रेलवे कंपनियों का कहां बिगड़ रहा खेल? जानें- आगे कैसा रहेगा शेयरों का प्रदर्शन
Railway PSU Stocks: . वित्त वर्ष 25 के बजट के साथ ही सरकार के रेलवे कैपिटल एक्सपेंडिचर में स्थिरता के संकेत दिखने लगे थे, जिसमें खर्च में मामूली सिंगल डिजिट की वृद्धि ही देखी गई थी. लॉन्ग टर्म वाले निवेशक इन शेयरों की ट्रेन में सवार होने से क्यों बचना चाह रहे हैं.
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Railway PSU Stocks: रेलवे पीएसयू स्टॉक, जो कभी इंफ्रास्ट्रक्चर के दीवाने लोगों की पहली पसंद हुआ करते थे, अब उतार-चढ़ाव के दौर से गुजर रहे हैं. पिछले साल रिकॉर्ड सरकारी खर्च के दम पर इन शेयरों ने जोरदार उड़ान भरी थी, लेकिन अब ये शेयर अपनी पीक 50 फीसदी तक गिर चुके हैं. ज्यादातर गिरावट पिछले कुछ हफ्तों में ही आई है. वित्त वर्ष 25 के बजट के साथ ही सरकार के रेलवे कैपिटल एक्सपेंडिचर में स्थिरता के संकेत दिखने लगे थे, जिसमें खर्च में मामूली सिंगल डिजिट की वृद्धि ही देखी गई थी. हाल के बजट में वित्त वर्ष 26 के लिए 2.52 लाख करोड़ रुपये के स्थिर कैपिटल एक्सपेंडिचर के साथ यह ट्रेंड जारी रहा, जिससे शेयरों के प्रदर्शन में गिरावट आई.
वैल्यूएशन का आकर्षण
रेलवे के शेयरों में आई तेज गिरावट से सवाल तो उठता ही है. क्या वैल्यूएशन इतने आकर्षक हो गए हैं कि इन खिलाड़ियों पर विचार किया जा सके? जबकि उनका आकर्षण भारत के बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ से जुड़ा हुआ है, लेकिन करीब से देखने पर पता चलता है कि लॉन्ग टर्म वाले निवेशक इस ट्रेन में सवार होने से क्यों बचना चाह रहे हैं.
सफलता का श्रेय
रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों ने हाल के वर्षों में अपनी सफलता का श्रेय बड़े पैमाने पर सरकारी एक्सपेंडिचर को दिया है. वित्त वर्ष 22 में 1.10 लाख करोड़ रुपये से लेकर वित्त वर्ष 24 में 2.40 लाख करोड़ रुपये तक, सरकार के रेलवे कैपिटल एक्सपेंडिचर ने अवसरों की बाढ़ ला दी. उदाहरण के लिए, रेल विकास निगम (RVNL) की ऑर्डर बुक वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में 55,000 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में 90,000 करोड़ रुपये हो गया.
सरकारी पैसा कैसे बन रहा मुसीबत?
लेकिन सरकार का एक्सपेंडिचर ही इन कंपनियों के लिए समस्या भी है. दरअसल, सरकारी खर्च पर निर्भरता एक दोधारी तलवार है. वित्त वर्ष 26 के लिए पूंजी निवेश में कमी ने अब भविष्य की ग्रोथ को जोखिम में डाल दिया है, इसलिए हाल ही में इन शेयरों में गिरावट आई है. पिछले साल से शुरू हुई कैपिटल एक्सपेंडिचर में गिरावट पहले ही स्पष्ट हो चुकी है. इस क्षेत्र की दो प्रमुख इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों, इरकॉन और आरवीएनएल ने पिछले वर्षों में रिकॉर्ड ग्रोथ के बाद क्रमश वित्त वर्ष 2025 की तीन और दो तिमाहियों में सेल्स में गिरावट दर्ज की है.
बुक वैल्यू
वैल्यू रिर्सच के अनुसार, हाल की भारी गिरावट के बाद भी इस सेक्टर में वैल्यूएशन बहुत अधिक है. IRFC के शेयर पर नजर डालें, तो यह स्टॉक एक समय अपने बुक वैल्यू से नीचे कारोबार कर रहा था. लेकिन अब इसका प्राइस-टू-बुक (P/B) रेश्यो 3x से अधिक है, जो कि सरकार की रेगुलेटेड NBFC के लिए बहुत अधिक है. इसी तरह, RVNL अपने पांच साल के औसत P/E रेश्यो से 650 फीसदी अधिक प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों के लिए आय की विजिबलिटी सबसे महत्वपूर्ण है, ऐसे हाई मल्टीपल में गलती की कोई गुंजाइश नहीं होती है. खासकर तब जब ग्रोथ के ट्रिगर्स स्पष्ट रूप से मौजूद नहीं हों.
प्राइसिंग स्ट्रक्चर
इसके अलावा प्राइसिंग स्ट्रक्चर सरकार के पास होने के चलते कंपनी के पास मूल्य निर्धारण की शक्ति नहीं है. इसलिए मार्जिन विस्तार के लिए बहुत ही कम स्पेस मिल पाता है. उदाहरण के लिए, IRFC को ही लें. इसकी उधार दरें सरकार निर्धारित करती है, जिससे इसका मार्जिन सीमित हो जाता है. एग्जीक्यूशन रिस्क, समीकरण को और जटिल बनाते हैं. परियोजना में देरी और लंबे समय तक पेमेंट सायकिल और सरकारी कॉन्ट्रैक्ट की पहचान, इन कंपनियों पर भारी पड़ते हैं. अगर अर्निंग ग्रोथ हाई वैल्यूएशन के साथ तालमेल नहीं बना सकती है, तो शेयरों को आगे और करेक्शन का सामना करना पड़ेगा.
IRCTC और रेलटेल
रेलवे पीएसयू के लिए संभावनाएं भले ही निराशाजनक हों, लेकिन इस सेक्टर की हर एक कंपनी सरकारी फंडिंग सायकिल से बंधी हुई नहीं है. दो कंपनियां इससे अलग हैं. भारतीय रेलवे के लिए ऑनलाइन टिकटिंग, खानपान और पर्यटन सेवाओं के एकाधिकार ऑपरेटर के रूप में IRCTC ने रेवेन्यू में विविधता लाया है.
खानपान (रेवेन्यू का 46 फीसदी) और टिकटिंग (रेवेन्यू का 30 फीसदी) सरकारी बजट की तुलना में पैसेंजर मांग से अधिक ऑपरेट होते हैं, जो फंडिंग फ्रीज के खिलाफ सिक्योरिटी प्रदान करते हैं.
टेलीकॉम और आईटी सेवाएं प्रदान करने वाली रेलटेल, रेलवे परियोजनाओं से अपने रेवेन्यू का केवल 10 फीसदी कमाती है. इसका कंज्यूमर बेस प्राइवेट वेंचर, डिफेंस, एजुकेशन और इंटरनेशनल मार्केट में भी है.
डिस्क्लेमर– Money9Live पर दी गई सलाह एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी हैं. निवेश से पहले आप अपने वित्तीय सलाहकार की राय अवश्य लें.
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