महाराष्ट्र-झारखंड के नतीजें, FII की बिकवाली के बीच बाजार पर किसका होगा राज? जानें अगले हफ्ते के बड़े फैक्टर

अगले हफ्ते बाजार का प्रदर्शन कई घरेलू और वैश्विक कारकों पर निर्भर करेगा. विधानसभा चुनाव के नतीजे, एफआईआई का रुख और आर्थिक आंकड़े बाजार की दिशा तय करेंगे.

अगले हफ्ते बाजार पर इन कारकों का होगा असर Image Credit: FreePik

लंबे वक्त से लाल गोते खा रहा भारतीय शेयर बाजार ने शुक्रवार को शानदार तेजी दर्ज की, जिससे निवेशकों ने थोड़ी राहत की सांस ली. हालांकि, यह मजबूती एक बेहद उतार-चढ़ाव भरे हफ्ते के बाद आई जिसे अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीतिक तनावों और अडानी ग्रुप पर लगे नए घोटाले और घूसखोरी के आरोपों की चिंताओं ने प्रभावित किया

अगले हफ्ते बाजार पर क्या रहेगा असर?

आने वाले हफ्ते में निवेशक कई प्रमुख घटनाक्रमों पर नजर बनाए रखेंगे. इनमें शामिल हैं:

सेंसेक्स और निफ्टी का प्रदर्शन

पिछले सेशन में Sensex 2.54% बढ़कर 79,117.11 पर बंद हुआ, जबकि Nifty 2.39% बढ़कर 23,907.25 पर बंद हुआ. इस तेजी ने दोनों इंडेक्स को दो हफ्तों की गिरावट के बाद 1.6% और 2% की साप्ताहिक बढ़त दी. मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, निचले स्तर से खरीदारी और घरेलू संस्थागत निवेशकों की मजबूत भागीदारी ने बाजार को ऊपर उठाया.

अगले हफ्ते के मुख्य ट्रिगर्स

  1. विधानसभा चुनाव के नतीजे

महाराष्ट्र: बीजेपी-नेतृत्व वाली महायुति की जीत ने बाजार में सकारात्मक माहौल बनाया. विशेषज्ञों के अनुसार, मजबूत जनादेश के बाद बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेजी आने की संभावना है.

झारखंड: JMM के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की वापसी से सामाजिक कल्याण और ग्रामीण विकास योजनाओं को बढ़ावा मिलने की संभावना है.

  1. FII फैसला

अक्टूबर और नवंबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजारों से ₹1.55 लाख करोड़ निकाले. हालांकि, हाल ही में कुछ खरीदारी ने सकारात्मक संकेत दिए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, विदेशी निवेशक भारत की ओर फिर से आकर्षित हो सकते हैं.

  1. तेल की कीमतें

यूक्रेन संकट के बीच कच्चे तेल की कीमतें पिछले हफ्ते लगभग 6% बढ़ीं. ब्रेंट क्रूड 75.17 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ. कच्चे तेल की ऊंची कीमतें भारतीय बाजारों पर असर डाल सकती हैं.

  1. वैश्विक संकेतक

अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आंकड़े, जैसे PCE महंगाई दर और FOMC बैठक के मिनट्स, निवेशकों का ध्यान खींचेंगे. साथ ही, चीन के बाजारों में घटती दिलचस्पी भारत के लिए सकारात्मक हो सकती है.

  1. आईपीओ और लिस्टिंग

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तकनीकी दृष्टिकोण

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