क्यों बुरी तरह टूटा शेयर बाजार, आखिर कौन से फैक्टर्स ने ला दिया गिरावट का तूफान?

Why Share Market Crash Today: कई फैक्टर्स के कॉम्बिनेशन के चलते भारतीय शेयर बाजार दबाव में है. लगातार पांचवें दिन मार्केट ने गोता लग दिया है और निवेशकों के लाखों करोड़ डूब गए हैं. आखिर ऐसी कौन सी वजह है, जिससे मार्केट में इतनी बड़ी गिरावट आई.

शेयर बाजार में भारी गिरावट. Image Credit: Tv9

Why Share Market Crash Today: शेयर बाजार लगातार पांचवें सेशन में टूटा है. बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स में सोमवार, 24 फरवरी को इंट्राडे कारोबार में 700 अंक से गिरावट आई है. कमजोर ग्लोबल संकेतों, अमेरिका और दुनिया की अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वॉर को लेकर चिंता बनी हुई है और विदेशी निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं. सेंसेक्स अपने पिछले क्लोजिंग लेवल 75,311.06 के मुकाबले 74,893.45 पर खुला और 757 अंक गिरकर 74,554 के स्तर पर आ गया. निफ्टी अपने पिछले बंद स्तर 22,795.90 के मुकाबले 22,609.35 पर खुला और 1 फीसदी टूटकर 22,562 के स्तर पर आ गया. आखिर ऐसा क्या हुआ है कि मार्केट आज के कारोबार में बुरी तरह टूटा है.

ट्रेड वॉर की टेंशन

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते टकराव पर चिंताएं बढ़ रही हैं. एक्सपर्ट्स को डर है कि ट्रंप के टैरिफ का कदम बड़े स्तर पर ट्रेड वॉर को बढ़ावा दे सकता है, जो ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ को काफी हद तक प्रभावित करेगा. दुनिया की अर्थव्यवस्थाएं महंगाई और ग्रोथ स्लोडाउन के दौर से गुजर रही हैं.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) पिछले साल अक्टूबर से ही हाई मार्केट वैल्यूएशन, बढ़ते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और आर्थिक मंदी के संकेतों के बीच भारतीय इक्विटी की लगातार बिक्री कर रहे हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि FPI ने फरवरी में (21 तारीख तक) कैश मार्केट में लगभग 37,000 करोड़ रुपये की वैल्यू के भारतीय शेयर बेचे. कुल मिलाकर, उन्होंने अक्टूबर 2024 से अब तक 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक वैल्यू के भारतीय शेयर बेचे हैं.

मैक्रोइकॉनोमिक घबराहट

विशेषज्ञ भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत दे रहे हैं, जो निवेशकों की जोखिम लेने की क्षमता पर असर डाल रहा है. भारत की आर्थिक ग्रोथ की फ्लेक्सिबिलटी पिछले साल शेयर बाजार के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के पीछे का मुख्य फैक्टर था. हालांकि, हाल ही में मैक्रोइकॉनोमिक डेटा और प्रमुख एजेंसियों के बदले हुए अनुमानों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था अब मंदी का अनुभव कर रही है.

चीन फैक्टर

चीन के शेयर बाजार में पिछले कुछ दिनों में अच्छी तेजी देखी गई है, जो भारतीय शेयर बाजार के लिए अतिरिक्त बाधा के रूप में काम कर रही है. चीनी शेयरों के आकर्षक वैल्यूएशन और भारतीय शेयरों के अभी भी बढ़े हुए वैल्यूएशन ने भारतीय बाजार से चीनी बाजार में कैपिटल फ्लो को गति दी है. चीन की सरकार ने पिछले कुछ महीनों में अपने शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए कई उपायों की घोषणा की है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि ये उपाय दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे होंगे और ट्रंप के टैरिफ के झटके को कम करेंगे.

मूडीज एनालिटिक्स का मानना ​​है कि नए अमेरिकी टैरिफ और ग्लोबल डिमांड में नरमी के कारण भारत की जीडीपी ग्रोथ दर 2024 में दर्ज 6.6 फीसदी से घटकर 2025 में 6.4 फीसदी हो जाएगी, जिससे देश के निर्यात पर असर पड़ेगा.