आखिर क्यों टूट रहे हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर? 10 साल में पहली बार नेगेटिव रिटर्न की राह पर कंपनी
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर लगातार गिर रहे हैं. जबकि हाल ही में कंपनी बोनस शेयर बांटे थे, लेकिन इसके बावजूद RIL के शेयर की चाल नहीं बदली और ये गिरावट की मोड में बने हुए हैं. जुलाई के अपने हाई लेवल से कंपनी के शेयर 20 फीसदी से अधिक टूट चुके हैं और मार्केट कैप में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है.
साल 2024 को रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) शायद कभी नहीं याद रखना चाहेगी, क्योंकि शेयर मार्केट की इस सबसे बड़ी कंपनी का स्टॉक साल के आखिरी में नेगेटिव रिटर्न के ट्रैक की तरफ बढ़ गया है. यह लगभग एक दशक में पहली बार है, जब मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी के शेयरों में इतनी गिरावट देखने को मिली है. कंपनी का मार्केट कैप जुलाई के अपने हाई लेवल से 4.4 लाख करोड़ रुपये से अधिक गिर गया है. शेयर अपने हाई लेवल 1,608.95 रुपये से लगभग 21 फीसदी टूट चुका है. रिलायंस के शेयरों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है, लेकिन इसके पीछे की वजहें क्या हैं… इसे समझ लेते हैं.
रिलायंस के शेयर का प्रदर्शन
पिछले कुछ वर्षों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर ने जोरदार प्रदर्शन किया है. साल 2015 में 13.63 और 2016 में 6.67 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला था. साल 2017 में रिलायंस के स्टॉक ने 70.55 फीसदी का बंपर रिटर्न दिया था. इसके बाद 2018 में 21.71 फीसदी, 2019 में 35.06, 2020 में 32.22 फीसदी का रिटर्न स्टॉक ने दिया. इसके बाद 2021 में रिटर्न घटकर 19.32 फीसदी, 2022 में 7.60 फीसदी और 2023 में 1.44 फीसदी रह गया. 2024 में अनुमान है कि 1 फीसदी से अधिक का नेगेटिव रिटर्न देखने को मिल सकता है.
क्यों आ रही है स्टॉक में गिरावट?
स्टॉक में आई लगातार गिरावट के पीछे रिफाइनिंग मार्जिन में गिरावट को एक प्रमुख वजह बताया जा रहा है. रेलिगेयर ब्रोकिंग में रिसर्च एनालिसस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रवि सिंह कहते हैं कि रिफाइनिंग मार्जिन जून से तेजी से गिर गया था. साथ ही दूसरी तिमाही के नीतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं थे, जिसका दबाव स्टॉक पर नजर आ रहा है. वित्त वर्ष 2024-25 (Q2FY25) की जुलाई-सितंबर तिमाही के नतीजों में ऑयल टू केमिकल के कारोबार में सुस्त वृद्धि देखने को मिली थी.
रेवेन्यू और मार्जिन पर दबाव
इसके अलावा जानकारों का कहना है कि धीमी ग्रोथ, रियल स्टेट की बढ़ती लागत और कारोबार के विस्तार के लिए जरूरी कैपिटल एक्सपेंडिचर का हवाला देते हुए निवेशक रिलायंस के शेयर को लेकर थोड़े सर्तक नजर आ रहे हैं. साथ ही क्विक कॉमर्स कंपनियों के तेजी से बढ़ने से समूह के रिटेल कारोबार के रेवेन्यू और मार्जिन पर दबाव बढ़ा है. रिलायंस रिटेल को 2024 में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. खासतौर पर फैशन सेगमेंट में कमजोर मांग और पिछले वर्ष की तुलना में हाई बेस वाले इकोसिस्टम में ऑपेरशनल चुनौतियां बढ़ी हैं. कंपनी को 1,185 स्टोर बंद करने पड़े हैं और बढ़ती भीड़ के बावजूद रेवेन्यू में सुस्ती देखने को मिली है. रिटेल के कारोबार को क्विक कॉमर्स कंपनियों के उदय ने जटिल बना दिया है, क्योंकि रिटेल मार्केट में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है.
IPO दे सकता है रफ्तार
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि फिलहाल रिलायंस रिटेल का वैल्यूएशन डीमार्ट जैसे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में कम है. इसलिए रिटेल वैल्यूएशन में कोई भी उछाल, संभावित रूप से आईपीओ या हिस्सेदारी बिक्री से रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में मूवमेंट नजर आ सकता है. सीएनआई रिसर्च के सीएमडी किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि रिलायंस के शेयरों में अब तेजी तभी नजर आएगी, जब जियो का आईपीओ आएगा. इससे पहले स्टॉक मौजूदा रेंज भी नजर आएगा. हालांकि, एक-दो फीसदी की तेजी या गिरावट नजर आती रहेगी.
रिपोर्ट्स के अनुसार, मुकेश अंबानी 2025 तक जियो की लिस्टिंग का लक्ष्य बना रहे हैं. साल 2019 में अंबानी ने कहा था कि जियो और रिलायंस रिटेल दोनों ही पांच साल के भीतर लिस्टिंग की ओर बढ़ेंगे. हालांकि, रॉयटर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि जियो का आईपीओ 2025 में आना तय है, क्योंकि कंपनी के पास अब स्थिर कारोबार है और उसका रेवेन्यू लगातार बढ़ रहा है और वह भारत की टॉप टेलीकॉम ऑपरेटर बन गई है. इसके बाद ही रिटेल का आईपीओ आएगा.
ईटी के एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिलायंस ने रिटेल में तेजी से वृद्धि की है. साथ ही ई-कॉमर्स में कदम रखा है और अपने फिजिकल स्टोर का विस्तार किया है. हालांकि, इसके कुछ ब्रिक-एंड-मोर्टार स्टोर का प्रदर्शन खास नहीं रहा है. इस वजह से कंपनी अपने रिटेल सेगमेंट के लिए आईपीओ के साथ आगे बढ़ने से पहले ऑपरेशन संबंधित समस्याओं से निपटने की योजना बना रही है.
जियो ने गंवाए कंज्यूमर
Natverlal & Sons Stockbrokers के सीईओ, समीर दलाल ने मनी9 के साथ बातचीत में कहा कि में रिलायंस इंडस्ट्रीज के कारोबार को लेकर कुछ चिंताएं जाहिर की थी. उनका कहना था कि रिलायंस रिटेल के कारोबार में आने वाले समय में थोड़ा दबाव नजर आ सकता है. इसके पीछे की वजह उन्होंने तेजी से बढ़ते क्विक कॉर्मस को बताया था. साथ ही उन्होंने कहा कि कंपनी के टेलीकॉम कारोबार में भी थोड़ी सुस्ती आ सकती है, क्योंकि जुलाई में बढ़ाए गए टैरिफ प्लान के बाद बड़ी संख्या में यूजर्स ने जियो के टेलीकॉम सर्विस से दूसरे नेटवर्क पर शिफ्ट किया है. रिलायंस जियो ने अपने Q2 के नतीजों में खुलासा किया था कि तिमाही के दौरान लगभग 10.9 मिलियन ग्राहक नेटवर्क छोड़कर चले गए थे.
रिलायंस की प्लानिंग
दूसरी ओर एक्सपर्ट कहते हैं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज का लक्ष्य अपने जियो और रिटेल कारोबार के साइज को दोगुना करना है. साथ ही कंपनी न्यू एनर्जी बिजनेस को अपने ऑयल टू केमिकल के बराबर करने के प्लान पर काम कर रही है. पिछले दिनों मोतीलाल ओसवाल की आई एक रिपोर्ट में कहा गया था कि रिलायंस मार्च तक सोलर मॉड्यूल सेल प्लांट शुरू करने जा रही है. यानी कंपनी का एक नया वर्टिकल शुरू हो जाएगा और उसका फेज-2 सितंबर से शुरू हो जाएगा. हालांकि, कंपनी का मानना है वित्त वर्ष 27 में ही इस सेगमेंट से कंपनी को रेवेन्यू आना शुरू होगा.
रिस्क और रिवॉर्ड
रिलायंस इंडस्ट्रीज पर मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट में कहा गया था कि इसके स्टॉक पर रिस्क और रिवॉर्ड 1:10 है. यानी 10 फीसदी चांस है कि शेयर गिरेगा और 100 फीसदी चांस का है कि रिवॉर्ड मिलेगा. मतलब यह कि 1 रुपये की गिरावट और 10 रुपये का उछाल शेयर में देखने को मिल सकता है.
डिस्क्लेमर– मनी9 लाइव पर दी गई सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के निजी विचार हैं. निवेश से पहले आप अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर सलाह लें. यहां सिर्फ जानकारी दी गई है.