5 बड़ी वजहें, जिनसे आज दलाल स्ट्रीट, द ‘लाल’ स्ट्रीट बन गई, नहीं संभले हालात तो आगे भी जारी रहेगा रक्तपात

शुक्रवार का दिन भारतीय शेयर बाजारों के लिए काला साबित हुआ. सेंसेक्स, निफ्टी, बैंकेक्स और बैंक निफ्टी जैसे बेंचमार्क इंडेक्स में भारी गिरावट के चलते निवेशकों को 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. खासतौर पर बैंकिंग कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई है. आइए जानते हैं उन वजहों को जिनसे दलाल स्ट्रीट लाल हो गई है.

एफआईआई तुम कब आओगे Image Credit: Wong Yu Liang/Moment/Getty Images

सेंसेक्स 1,017 अंक की गिरावट के साथ 81,183.93 अंक पर बंद हुआ वहीं, निफ्टी 292 अंकों की गिरावट के साथ 24,852.15 अंक पर बंद हुआ है. सेंसेक्स की 30 में से 24 कंपनियों के शेयरों में गिरावट आई है. इसी तरह निफ्टी की 50 में से 42 कंपनियों के शेयरों की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है. इसके अलावा बैंकिंग इंडेक्स बैंकेक्स में 1.93% और बैंक निफ्टी में 1.74% की गिरावट हुई है. इन दोनों इंडेक्स में शामिल देश के 12 बड़े बैंकों में से सभी के शेयरों में गिरावट देखी गई. सबसे ज्यादा 4% की गिरावट एसबीआई के शेयरों में दिखी.

बाजार की गिरावट के पीछे कुछ घरेलू और कुछ वैश्विक कारण हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक निवेशकों को अमेरिका में नौकरियों को लेकर अहम रिपोर्ट का इंतजार है, जो शुक्रवार को जारी होनी है. यह रिपोर्ट अहम है, क्योंकि इसके आधार पर ही अमेरिका का केंद्रीय बैंक ब्याज दर पर फैसला करेगा. भारतीय बाजार में आज बैंक, तेल और गैस, ऑटो और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सहित प्रमुख क्षेत्रों में गिरावट देखी गई. वैश्विक बाजारों में भी इन सेक्टरों में नरमी का रुख देखने को मिला है.

बाजार में आई इस गिरावट की वजह से बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 5.3 लाख करोड़ रुपये घटकर 460.35 लाख करोड़ रुपये रह गया है. इसके अलावा सेंसेक्स में शामिल रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक, एलएंडटी, इंफोसिस, आईटीसी, एचसीएल टेक और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में बड़ी गिरावट आई है. अगर सेक्टर के लिहाज से देखें, तो निफ्टी पीएसयू बैंक और तेल एवं गैस सूचकांकों में 2% से अधिक की गिरावट आई, जबकि ऑटो, बैंक, मीडिया, धातु और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में % से अधिक की गिरावट आई है. वहीं, घरेलू स्तर पर केंद्रित स्मॉल-कैप में 0.9% की गिरावट आई और मिड-कैप में 1.3% की गिरावट आई है.

ये हैं पांच कारण जिनके चलते धराशायी हुआ बाजार

  1. अमेरिकी रोजगार आंकड़ों से पहले घबराहट
  2. बैंकों में जमा वृद्धि से जुड़े आंकड़ों से पहले निराशा
  3. सप्ताह भर से वैश्विक बाजारों में नरमी का रुख
  4. एफआईआई की तरफ से भारी बिकवाली
  5. कच्चे तेल के दामों में कमी और रुपये की मजबूती

अमेरिकी रोजगार के आंकड़ों से घबराहट क्यों

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार कहते हैं कि शुक्रवार को अमेरिका में गैर-कृषि पेरोल रिपोर्ट आनी है. इसे लेकर निवेशकों में घबराहट है. यही घबराहट भारतीय बाजारों को प्रभावित कर रही है. असल में घबराहट का कारण इस रिपोर्ट के आधार पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक की तरफ से ब्याज दरों को तय करना है. अमेरिकी रिजर्व बैंक के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा था कि नीति निर्माता के तौर पर वे बेरोजगारी दर को और ज्यादा नहीं बढ़ने देना चाहते. डॉ. विजयकुमार का कहना है कि अगर अगस्त का रोजगार डाटा उम्मीद से कम रहा और बेरोजगारी पूर्वानुमान से अधिक बढ़ जाती है, तो अमेरिकी केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में 50 आधार अंकों की कटौती कर सकता है. बाजार अचानक इतनी बड़ी गिरावट के पक्ष में नहीं है.

भारतीय बैंकों में जमा संबंधी आंकड़ों का डर

बैंकिंग शेयरों में गिरावट के पीछे भारतीय बैंकों में जमा संबंधी स्थिति के गंभीर हालात से जुड़ी चिंताएं हैं. भारतीय बैंकिंग क्षेत्र जमा को लेकर दो दशक के सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है. रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों से पता चला है कि जून 2024 तिमाही में जमा में 11.7% की वृद्धि हुई, जबकि ऋण में 15% की वृद्धि हुई. जमा और ऋण वृद्धि के बीच इस बढ़ते अंतर की वजह से बैंकों के सामने नकदी के प्रवाह को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं.

वैश्विक बाजारों की नरमी के रुख का असर

इस सप्ताह की शुरुआत से ही अमेरिका, जापान, यूरोप सहित दुनिया के सभी प्रमुख शेयर बाजारो में गिरावट का रुख रहा. हालांकि, सप्ताह की शुरुआत में भारतीय बाजार वैश्विक रुख का प्रतिरोध करता रहा. लेकिन, शुक्रवार को सप्ताहंत में यह प्रतिरोध टूट गया और वैश्विक रुख के हिसाब से भारतीय बाजारों में भी गिरावट शुरू हो गई.

एफआईआई शुद्ध विक्रेता बने

विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) 5 सितंबर को शुद्ध विक्रेता बन गए. गुरुवार को एफआईआई ने 688 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने उसी दिन 2,970 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे. विदेशी संस्थागत निवेशकों में प्रकटीकरण मानकों को लेकर सेबी की तरफ से तय की गई डेडलाइन को लेकर घबराहट है.

कच्चे तेल के दाम गिरना और रुपये का बढ़ना


बीते एक सप्ताह के भीतर कच्चे तेल की कीमतों में खासी गिरावट आ चुकी है. फिलहाल, कच्चे तेल की कीमतें 14 महीने के निचले स्तर पर बनी हुई हैं. कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और अमेरिका में मंदी की आशंका का असर रुपये में मजबूती के तौर पर दिख रहा है. रुपये की मजबूती एफआईआई को रास नहीं आ रही है. यही वजह है कि एफआईआई अमेरिकी ब्याज दरों पर फैसले से लेकर क्रूड के भाव तक में बदलाव का इंतजार कर रहे हैं.