Tata Motors: हाइवे से कैसे नीचे उतर गया टाटा मोटर्स का शेयर, कौन से फैक्टर स्टॉक के लिए बने स्पीडब्रेकर?
Tata Motors Share: टाटा मोटर्स के शेयर में बीते दिन तेजी आई थी, लेकिन अभी ये अपने हाई लेवल से बहुत नीचे कारोबार कर रहा है. अपनी गाड़ियों की तरह कभी तूफानी रफ्तार भरने वाला टाटा मोटर्स का शेयर लगातार क्यों टूट रहा है और इसके पीछे की क्या वजहें क्या है?
Why Tata Motors Share Fall: सड़कों पर दनदनाती दौड़ती टाटा मोटर्स की गाड़ियों की सेल ने 2024 में कंपनी के शेयर को भी रफ्तार का हाइवे पकड़ा दिया. इसके बाद जैसे-जैसे सड़कों पर टाटा मोटर्स की गाड़ियां बढ़ीं, शेयर भी उसी रफ्तार से बढ़ता गया. यानी गाड़ियों की सेल बढ़ती गई, कंपनी की बैलेंसशीट में मुनाफा वाला कॉलम मजबूत होता गया और शेयर भी टॉप गियर में बढ़ता चला गया. लेकिन फिर शेयर को रफ्तार देने वाला ईंधन ही कम होने लगा. यानी गाड़ियों की सेल घटने लगी और इंवेट्री बढ़ने लगी. फिर शेयर ऐसा फिसला कि अब नेगेटिव रिटर्न देने की कगार पर पहुंच गया है. टाटा मोटर्स दलाल स्ट्रीट पर सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले शेयरों में से एक था. लेकिन अब स्थिति बदल गई है. तो ऐसी क्या चीज हुई की टाटा मोर्टस के शेयरों को जोर का झटका लगा है.
हाई लेवल से कितनी गिरावट?
मार्च 2020 में टाटा मोटर्स का शेयर 64 रुपये पर कारोबार कर रहा था, लेकिन जुलाई 2024 तक चीजें सुधरने लगीं और शेयर 1,179 रुपये के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया. फिर जैसे-जैसे देश में मौसम का तापमान गिरा, शेयर भी गिर गया. 16 दिसंबर को शेयर गिरकर 787 रुपये पर गया. यह स्टॉक के हाई लेवल से 35.44 फीसदी की गिरावट आई. यह निफ्टी ऑटो इंडेक्स पर 15 ऑटोमोबाइल स्टॉक में सबसे बड़ी गिरावट रही.
टाटा मोटर्स के शेयर को सेक्टोरल इंडेक्स में देखें, तो पिछले दो महीनों में निफ्टी ऑटो में 18 फीसदी की गिरावट आई, लेकिन फिर भी इसमें सुधार हुआ. हालांकि, गिरावट अभी भी है. लेकिन 16 दिसंबर को इंडेक्स अपने ऑल टाइम हाई लेवल से 15 फीसदी नीचे था. लेकिन टाटा मोटर्स अपने ऑलटाइम हाई से अभी भी बहुत पीछे है.
बिक्री में मंदी से टूटा शेयर
शेयर में गिरावट के पीछे टाटा मोटर्स का कमजोर कारोबार है. टाटा मोटर्स के ज्यादातर बिजनेस सेगमेंट में फिलहाल स्ट्रेस में हैं. घरेलू पैसेंजेर से लेकर कमर्शियल व्हीकल्स और जगुआर लैंड रोवर (JLR) का बिजनेस, इंडस्ट्री के स्लोडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
रेलिगेयर ब्रोकिंग में रिसर्च एनालिसस के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट रवि सिंह कहते हैं कि ऑटो इंडस्ट्री में मंदी है, क्योंकि गाड़ियां नहीं बिक रही हैं. टाटा मोटर्स की इन्वेंटरी करीब तीन महीने तक पहुंच गई है, जिससे साफ नजर आ रहा है कि बिक्री में गिरावट आई है और इसका असर कंपनी के शेयर पर पड़ा है. स्टॉक के आउटलुक पर कहते हैं कि फिलहाल तो इसमें खरीदारी की सलाह नहीं है. अगर शेयर 850 रुपये के लेवल पर पहुंचता है, तो निवेशकों को फिलहाल एग्जीट ले लेना चाहिए.
घरेलू कमर्शिल वाहन की हिस्सेदारी में गिरावट
वित्त वर्ष 25 की पहली छमाही में टाटा मोटर्स की घरेलू कमर्शिल वाहन (CV) बाजार में 38.1 फीसदी हिस्सेदारी थी. इस कारोबार में गिरावट देखने को मिली है. वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के एग्जीक्यूशन में स्लोडाउन, माइनिंग गतिविधियों में कमी और भारी बारिश के चलते बेड़े के उपयोग में ओवरऑल गिरावट जैसे फैक्टर के चलते कमर्शिल वाहन के वॉल्यूम साल-दर-साल (Y-o-Y) आधार पर 19.6 फीसदी कम था. वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में रेवेन्यू साल दर साल आधार पर 13.9 फीसदी कम था. जबकि पहली छमाही में यह 5.2 फीसदी तक गिर गया.
पहली छमाही में बिक्री घटी
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के दौरान कमर्शिल वाहन उद्योग की बिक्री में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 11 फीसदी की गिरावट आई, जिसमें मिडियम और हैवी कमर्शियल वाहनों की बिक्री में 12.2 फीसदी और हल्के कमर्शियल वाहनों की बिक्री में 10.2 फीसदी की गिरावट आई. सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में टाटा मोटर्स की बिक्री में 9.6 फीसदी की गिरावट आई.
जगुआर लैंड रोवर के मार्जिन पर दबाव
जगुआर लैंड रोवर (JLR) एबिटा (ब्याज, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमोरटाइजेशन से पहले की आय) मार्जिन पिछली दो तिमाहियों से दबाव में है. जेएलआर ने साल की शुरुआत में दिए गए गाइडेंस के अनुसार वॉल्यूम मोमेंटम, मुनाफा या फ्री कैश फ्लो के रूप में प्रदर्शन नहीं किया है. सप्लाई चेन में चुनौतियों के कारण ये मीट्रिक लड़खड़ा गए हैं. इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर प्रीमियम कार बाजार मुश्किल हो गया है. ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन की बाजार में चुनौतियां जेएलआर के कारोबार को प्रभावित कर रही हैं. चीन का मार्केट जेएलआर के वॉल्यूम का 25 फीसदी हिस्सा है. इसके अलावा यूरोप के अन्य मार्केट में मंदी भी एक नेगेटिव पहलू है. यूरोप और चीन दोनों ही प्रीमियम कारों के लिए बड़े बाजार हैं.
टाटा मोटर्स के मार्केट शेयर में गिरावट
वित्त वर्ष 25 में नवंबर तक टाटा मोटर्स का मार्केट शेयर 13.65 फीसदी (SIAM डेटा) आंकी गई थी. वहीं, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में पहली तिमाही में सेल्स वॉल्यूम 1 फीसदी और दूसरी तिमाही में 6 फीसदी घटा है. दूसरी तिमाही में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की थोक बिक्री में साल-दर-साल आधार पर 16 फीसदी की गिरावट आई और यह 15,600 यूनिट रह गई. टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल्स और टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के मैनेजिंग डायरेक्टर शैलेश चंद्रा ने पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री में गिरावट के लिए कमजोर कंज्यूमर डिमांड और मौसमी वजहों को जिम्मेदार ठहराया. ईटी ने चंद्रा के हावाले से लिखा कि पर्सनल सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री प्रमुख राज्यों में रजिस्ट्रेशन की समाप्ति और रोड-टैक्स छूट से प्रभावित हुई.
दोहरी मार
इस त्यौहारी सीजन में सभी वाहन निर्माताओं ने भारी डिस्काउंट ऑफर किया. टाटा मोटर्स के इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) वाहनों पर 2 लाख रुपये तक की छूट की पेशकश की गई. यहां तक कि नेक्सन जैसी ईवी की कीमत में भी 3 लाख रुपये तक की छूट देखने को मिली, खासकर कर्व इलेक्ट्रिक एसयूवी कूप के लॉन्च के बाद. भारी डिस्काउंट के बावजूद त्योहारी सीजन में सेल्स अच्छी नहीं रही.
टाटा मोटर्स के लिए यह दोहरी मार है, क्योंकि अब उसे इलेक्ट्रिक व्हीकल के सेगमेंट में महिंद्रा एंड महिंद्रा से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. साथ ही जेएलआर के आंकड़ों पर भी दबाव है. बाजार में हिस्सेदारी के मामले में टाटा मोटर्स के शिखर से फिसलने के संकेत मिल रहे हैं. टाटा मोटर्स को अपनी गति को बनाए रखने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में भारी कटौती करनी पड़ी. चूंकि टाटा मोटर्स मार्केट लीडर है. इसलिए ऑटो इंडस्ट्री के स्लोडाउन का असर टाटा मोटर्स पर अधिक नजर आ रहा है.
डिसक्लेमर– मनी9 लाइव किसी भी शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश करने की सलाह नहीं देता है. खबर में सिर्फ शेयर के बारे में जानकारी दी गई है. निवेश से पहले आप किसी वित्तीय सलाहकार की राय जरूर लें.