क्या शेयर मार्केट को मिलेगा वैलेंटाइन गिफ्ट? ये 4 फैक्टर बदल सकते हैं बाजार का रुख

Stock Market Positive Factors: कहानी यही है कि उथल-पुथल का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. क्योंकि ट्रंप के टैरिफ वॉर, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जियो-पॉलिटिकल टेंशन और कमजोर ग्लोबल सेंटीमेंट ने बाजार को झकझोर कर रख दिया है.

पीएम मोदी और ट्रंप की मुलाकात, क्या बदल पाएगी बाजार की चाल. Image Credit: Getty image

Stock Market Positive Factors: भारतीय शेयर बाजार में भारी उथल-पुथल दिखने को मिल रही है. दलाल स्ट्रीट पर चल रही बिकवाली के बीच, फरवरी में अब तक बीएसई-लिस्टेड फर्मों के मार्केट कैपिटलाइजेशन में 17 लाख करोड़ से अधिक की गिरावट आई है. इस दौरान बीएसई सेंसेक्स करीब 2 फीसदी टूटा है. दूसरी तरफ बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप में करीब 5 फीसदी तक की गिरावट आई है. कुल मिलाकर अब तक की कहानी यही है कि उथल-पुथल का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. क्योंकि ट्रंप के टैरिफ वॉर, रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते जियो-पॉलिटिकल टेंशन और कमजोर ग्लोबल सेंटीमेंट ने बाजार को झकझोर कर रख दिया है. गिरावट के इस दौर के बीच शेयर मार्केट की कहानी में कुछ ट्विस्ट आ सकता है. बाजार को वेलेंटाइन डे का गिफ्ट मिल सकता है, क्योंकि बीते दिन कुछ ऐसी गतिविधियां देखने को मिली है, जो मार्केट के चाल को बदल सकती हैं.

महंगाई के मोर्चे पर राहत

महंगाई के मोर्चे पर जनवरी के महीने में राहत मिली है, क्योंकि रिटेल महंगाई दर पांच महीने के निचले स्तर पर आ गई. शेयर बाजार महंगाई दर में आई गिरावट के आंकड़े पर पॉजिटिव प्रतिक्रिया दे सकता है. क्योंकि महंगाई दर लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई थी, जो अब रिजर्व बैंक बैंक के तय लक्ष्य के दायरे में आ गई है.

महंगाई दर में आई गिरावट के पीछे फूड प्राइस महंगाई में कमी है. जनवरी में वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति दर 4.31 फीसदी रही. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि दिसंबर 2024 की तुलना में जनवरी 2025 की हेडलाइन मुद्रास्फीति में 91 बेसिस प्वाइंट की गिरावट आई है. अगस्त 2024 के बाद यह साल-दर-साल के आधार पर सबसे कम महंगाई दर है. अगस्त 2024 में खुदरा मुद्रास्फीति दर 3.65 फीसदी दर्ज की गई थी.

रुपये ने बदली चाल

भारतीय करेंसी रुपये में आ रही लगातार गिरावट पिछले दो दिनों से थमी है. बीते दिन भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मजबूत होकर खुला. यह 39 पैसे मजबूत होकर 86.44 पर नजर आया. मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 65 पैसे मजबूत होकर 86.83 पर बंद हुआ था. सोमवार और मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने रुपये को 86.8275 पर बनाए रखने के लिए हस्तक्षेप किया था, जबकि यह 86.60 के उच्चतम स्तर पर था. रुपये की बदली ये चाल शेयर बाजार के चाल को भी क्या बदलेगी, इसपर निवेशकों की नजरें टिकी हैं.

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रूस-यूक्रेन युद्ध में अहम मोड़

लंबे समय से चला रहा है रूस-यूक्रेन में अब एक नया मोड़ आता हुआ नजर आ रहा है. खबर है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच फोन पर लंबी बातचीत हुई है. रायटर्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की दोनों ने बुधवार को उनके साथ अलग-अलग फोन कॉल में शांति की इच्छा व्यक्त की.

ट्रंप ने शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों को यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए बातचीत शुरू करने का आदेश दिया है. यह बातचीत ट्रंप के रक्षा सचिव द्वारा पहले कहा गया था कि कीव को नाटो सैन्य गठबंधन में शामिल होने और रूस द्वारा कब्जा किए गए अपने सभी क्षेत्रों को वापस पाने के अपने लंबे समय से रखे गए लक्ष्यों को छोड़ना होगा, जो संघर्ष के लिए वाशिंगटन के नजरिए में एक नाटकीय बदलाव का संकेत देता है.

अगर रूस-यूक्रेन युद्ध समाप्त हो जाता है, तो जियो-पॉलिटिकल तनाव कम होगा. साथ ही क्रूड से लेकर सप्लाई चेन तक पर इसका पॉजिटिव असर नजर आ सकता, जो ग्लोबल मार्केट के साथ भारतीय बाजार के लिए भी बेहतर साबित हो सकता है.

ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच अमेरिका में पीएम मोदी

ट्रंप के टैरिफ वॉर के बीच भारतीय निवेशकों की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो दिवसीय अमेरिकी यात्रा पर टिकी है. पीएम मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्यापार, रक्षा, आर्थिक सहयोग और इमिग्रेशन नीतियों सहित प्रमुख रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. टैरिफ को लेकर ट्रंप के आक्रामक रवैये के बीच भारत की कोशिश इस शुल्क से बचने की है.

सोमवार को ट्रंप ने किसी भी देश के लिए कोई छूट, कोई अपवाद नहीं के साथ एल्यूमीनियम और स्टील के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा की. भारतीय कंपनियों को दुनिया के सबसे बड़े अमेरिकी स्टील बाजार में हारने के जोखिम के कारण घरेलू स्टील की कीमतों में गिरावट का दबाव का डर है. भारत में स्टील की डंपिंग को लेकर भी चिंताएं हैं. इसलिए, दिल्ली अधिक व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत करने की कोशिश करेगी. जहां दोनों पक्षों को टैरिफ कम करने और बाजार पहुंच से लाभ हो.