IndusInd Bank में आई ऐसी गिरावट कि Yes Bank ने भी पछाड़ दिया, टूटते शेयरों ने मचा दी तबाही

Yes Bank Share vs IndusInd Bank: इंडसइंड बैंक के शेयरों में आज 27 फीसदी की गिरावट आई. इसकी वजह से निवेशकों में चिंता बढ़ गई है. लेकिन सबसे बड़ा झटका ये है कि इंडसइंड बैंक टॉप-5 की लिस्ट से बाहर हो गया है. यह झटका उसे यस बैंक ने दिया है.

यस बैंक और इंडसइंड बैंक Image Credit: Money9live

Yes Bank Share vs IndusInd Bank: देश के प्राइवेट सेक्टर के बैंक इंडसइंड बैंक के लगभग 6.4 लाख शेयरहोल्डरों को मंगलवार की सुबह जोरदार झटका लगा. आज के कारोबार समाप्त होने तक इंडसइंड बैंक के शेयर एक सेशन में 27 फीसदी टूट गए. दरअसल, यह गिरावट फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो के अकाउंट्स में गड़बड़ी के चलते आई है. बैंक ने फॉरेक्स डेरिवेटिव पोर्टफोलियो के अकाउंट्स लगभग 1,577 करोड़ रुपये की गड़बड़ी का खुलासा किया है. गिरावट सिर्फ इंडसइंड बैंक तक सीमित नहीं रही, बल्कि हिंदुजा ग्रुप के अन्य स्टॉक्स में भी तेज गिरावट देखने को मिली. क्योंकि इंडसइंड बैंक पर मालिकाना हक ब्रिटिश भारतीय उद्योग समूह ‘हिंदुजा ग्रुप’ का है.

मार्केट कैप में आगे निकला यस बैंक

इंडसइंड बैंक में आई गिरावट इतनी बड़ी है कि यस बैंक ने मार्केट कैपिटलाइजेशन के मोर्चे पर इसे पछाड़ दिया है. दोपहर 3:00 बजे के बाद कारेबार के दौरान यस बैंक का मार्केट कैप 51,350 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया है. वहीं, इंडसइंड बैंक का मार्केट कैपिटलाइजेशन आज की गिरावट के बाद फिसलकर 51,110 करोड़ रुपये पर आ गया. मार्केट कैप की लिहाज से यस बैंक देश का पांचवें सबसे बड़े बैंक की लिस्ट में शामिल हो गया और इंडसइंड बैंक फिसलकर छठे नंबर पर चला गया.

कारोबार का मॉडल

हालांकि, यस बैंक और इंडसइंड बैंक के कारोबार के मॉडल में काफी अंतर है. इसे वित्तीय वर्ष 25 की दिसंबर की तिमाही से समझा जा सकता है. इंडसइंड बैंक की लोन बुक काफी डाइवर्सिफाइड है. लोन बुक में व्हीकल फाइनेंस, माइक्रोफाइनेंस, और कॉरपोरेट लोन शामिल हैं. दूसरी तरफ यस बैंक अब रिटेल और SME बैंकिंग पर फोकस कर रहा है. इस वजह से बैंक के मुनाफे में सुधार की संभावना बढ़ गई है.

दोनों बैंकों की वित्तीय स्थिति

इंडसइंड बैंक नेट प्रॉफिट मार्जिन और नेट इंटरेस्ट मार्जिन यस बैंक मुकाबले अधिक है. इंडसइंड बैंक का नेट इंटरेस्ट मार्जिन 3.93 फीसदी है. वहीं, यस बैंक 2.4 फीसदी (रिपोर्टेड) है और 3.0 फीसदी नॉर्मलाइज्ड है.

किसकी ग्रोथ बेहतर?

यस बैंक की डिपॉजिट ग्रोथ इंडस्ट्री एवरेज से बेहतर रही है, लेकिन इसका करंट अकाउंट सेविंग अकाउंट (CASA) रेश्यो इंडसइंड बैंक से कम है. यस बैंक का CASA रेश्यो 33.1 फीसदी है और इंडसइंड बैंक का CASA रेश्यो 35 फीसदी है. इसका मतलब यह है कि इंडसइंड बैंक को कम कॉस्ट पर फंडिंग मिल रही है, जिसकी वजह से बैंक की बैंलेंश शीट अधिक मजबूत है.

दोनों में से अधिक सुरक्षित कौन?

एसेट क्वालिटी के मामले में भी इंडसइंड बैंक अधिक सुरक्षित नजर आता है. इसका एनपीए कम है और PCR अधिक मजबूत है. दूसरी ओर, यस बैंक अपने पांच साल पुराने संकट से उबरते हुए लिगेसी एसेट क्वालिटी की समस्याओं को सुलझाया है. अब इसका ग्ऱॉस एनपीए और नेट एनपीए कंट्रोल में है.

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पतन की कगार पर था यस बैंक

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पांच साल पहले यस बैंक पर शिकंजा कसा था, तब यह प्राइवेट बैंक पतन के कगार पर था. लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) अगले 30 दिनों के कुल कैश आउटफ्लो के 37 फीसदी के निचले स्तर पर था. ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बढ़कर 16.8 फीसदी पर पहुंच गई थी. एसेट पर रिटर्न गिरकर 7.1 फीसदी हो गया था. स्पष्ट रूप से बैंक दिवालिया होने वाला था, क्योंकि डिपॉजिट खत्म होनी शुरू हो गई थी. लेकिन फिर सरकार ने दखल दिया और RBI ने बैंक को बचाने के लिए कदम उठाया.

क्यों संकट में फंसा था यस बैंक?

यस बैंक के पतन के पीछे उसके कॉरपोरेट ग्राहक थे. दरअसल, बैंक में रिटेल से अधिक कॉरपोरेट ग्राहक थे. बैंक ने जिन कंपनियों को लोन बांटे थे, उनमें से ज्यादातर घाटे में थीं. लिहाजा लोन की वापसी की गुंजाइस कम हो गई औऱ एनपीए बढ़ता गया. इधर कंपनियां डूबने लगी और उधर यस बैंक वित्तीय संकट के जाल में फंस गया.

रिपोर्ट के अनुसार, तब यस बैंक पर कुल 24 हजार करोड़ रुपये की देनदारी थी. यस बैंक के शेयर तब आसमान छू रहे थे और एक समय पर यह 1400 रुपये पर थे, लेकिन जब एनपीए में इजाफा शुरू हुआ, तो शेयरों ने नीचे की राह पकड़ ली और जब तक रिजर्व बैंक स्थिति को संभालने के लिए आगे आया, शेयर गिरकर 4 रुपये तक के स्तर पर आ गए.

जब मच गया था हड़कंप

रिजर्व बैंक ने जैसे ही 50,000 रुपये की निकासी की लिमिट लगाई. पूरे देश में हड़कंप मच गया. एटीएम के बाहर यस बैंक के ग्राहकों की कतार पैसे निकालने के लिए लग गई. कई जगहों पर अफरातफरी जैसी स्थिति बन गई. फिर सरकार ने ग्राहकों भरोसा दिया कि उनका पैसा नहीं डूबेगा. इसके बाद हालात काबू में आए और फिर सरकार ने बैंक को बचाने की कोशिशें शुरू कर दीं.