ब्रोकरेज फीस खत्म कर देती है रिटर्न, नितिन कामथ बोले- हमनें निवेशकों के 20,000 करोड़ तक बचाए
Zerodha No-Brokerage: कामथ ने एक दशक पहले इक्विटी डिलीवरी ट्रेडों पर ब्रोकरेज शुल्क माफ करने के जीरोधा के फैसले का जिक्र किया. अधिकतर लोग अपनी ट्रेडिंग लागत वसूलने के लिए भी पर्याप्त नहीं कमा पाते हैं. इसलिए ब्रोकरेज फीस रिटर्न की राह में रोड़ा बन सकती है.

Zerodha No-Brokerage: कई रिटेल निवेशकों के लिए ट्रेडिंग की बारीक प्रिंट लागत अक्सर अनदेखी हो जाती है. जब इसमें बढ़ोतरी की शुरुआत होती है, तब सभी का ध्यान इसपर जाता है. ब्रोकरेज फीस, जो निवेशकों को बेहद मामूली लगती है, लेकिन यह समय के साथ चुपचाप आपके रिटर्न खा सकती है. मतलब रिटर्न को समाप्त कर सकती है. खासतौर से हाई फ्रिक्वेंसी या छोटे ट्रेडर्स के लिए यह फीस साइलेंट डीलब्रेकर साबित हो सकती है, जिससे मार्जिनल गेन निराशाजनक नुकसान में बदल सकता है.
ब्रोकरेज फीस का प्रभाव
जीरोधा के फाउंडर और सीईओ नितिन कामथ ने ब्रोकरेज फीस के लॉन्ग टर्म प्रभाव पर जोर देते हुए ट्रेडिंग लागतों के बारे में फिर से चर्चा शुरू कर दी है. एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कामथ ने एक दशक पहले इक्विटी डिलीवरी ट्रेडों पर ब्रोकरेज शुल्क माफ करने के जीरोधा के फैसले का जिक्र किया. इस फैसले को लेकर उनका दावा है कि जिरोधा ने पिछले कुछ वर्षों में यूजर्स को 2,000 करोड़ रुपये से 20,000 करोड़ रुपये के बीच की बचत कराई है.
10 साल से ब्रोकरेज माफ
नितिन कामथ ने लिखा कि लगभग 10 साल हो गए हैं जब से हमने इक्विटी डिलीवरी के लिए ब्रोकरेज को माफ किया है. हालांकि, ट्रेंड बदलने के लिए बहुत दबाव है, क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग वॉल्यूम में काफी कमी आई है, फिर भी हम अब तक इसी पर कायम हैं. एक डिटेल पोस्ट में कामथ ने निवेशकों की एक आम चूक के बारे में बताया, जो ट्रेडिंग लागतों के बोझ को कम आंकना है. निवेशकों और ट्रेडर्स दोनों द्वारा की जाने वाली सबसे बड़ी गलतियों में से एक है अपने ओवरऑल रिटर्न के लिए लागतों के महत्व को अनदेखा करना. वे यह समझ नहीं पाते हैं कि लागतें वास्तविक रिटर्न पर सबसे बड़ी बाधाओं में से एक हैं.
प्रॉफिटेबिलिटी में पहली बाधा
कामथ ने फीसदी ब्लाइंडलेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि 0.5 फीसदी की ब्रोकरेज छोटी लगती है. इसलिए ज्यादातर लोग इसे अनदेखा कर देते हैं. विडंबना यह है कि अधिकतर लोग अपनी ट्रेडिंग लागत वसूलने के लिए भी पर्याप्त नहीं कमा पाते. कामथ ने चेतावनी दी कि कम-फ्रिक्वेंसी रणनीति के साथ भी, लागत तेजी से बढ़ती है. लागत प्रॉफिटेबिलिटी में पहली बाधा है. इसलिए, लागतों के प्रति सचेत रहने से आपकी प्रॉफिटेबिलिटी की संभावनाएं आसानी से एक नॉन ट्राइवल मार्जिन से बढ़ सकती हैं.
जानते हुए लोग करते हैं गलती
कम लागत वाले निवेश के एक मजबूत समर्थक, कामथ ने ईटीएफ और इंडेक्स फंड पर जीरोधा एएमसी के फोकस पर जोर दिया. फिर भी उन्होंने देखा कि कई निवेशक अभी भी इन कम लागत वाले उत्पादों पर महत्वपूर्ण ब्रोकरेज का भुगतान करते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में जो बात है वह यह है कि बहुत से निवेशक कम लागत वाले ईटीएफ के बेनिफिट्स को जानते हैं, लेकिन फिर भी 0.5 फीसदी ब्रोकरेज का भुगतान करते हैं. यह सिर्फ फीसदी ब्लाइंडलेस है. ईटीएफ का पूरा उद्देश्य लागत बचाना है, लेकिन ऐसे ट्रांजेक्शन पर ब्रोकरेज पहले से ही इन ETF के खर्च रेश्यो का 1-5 गुना है.
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