Zerodha को 15 साल में पहली बार बड़ा झटका, ब्रोकरेज बिजनेस में भी दिख रहा मंदी का असर
शेयर बाजार जहां एक भीषण मंदी के दौर से गुजर रहा है वहीं अब इस गिरावट के चपेट में देश का ब्रोकरेज बिजनेस भी आ गया. जरोधा अपने 15 साल के करियर में सबसे बड़ी गिरावट का सामना कर रहा है. आर्टिकल में पढ़ें किन प्लेटफॉर्म ने गिरावट देखा है.
Zerodha business decline: भारतीय शेयर बाजार में पिछले कुछ वर्षों में ब्रोकरेज फर्मों का जबरदस्त विस्तार हुआ है लेकिन अब इस बाजार में भी मंदी के संकेत मिलने लगे हैं. देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्मों में से एक जेरोधा के बिजनेस में पहली बार गिरावट (degrowth) आई है. इसका मतलब यह है कि जेरोधा अपने 15 साल के सबसे निचले स्तर (low) पर पहुंच गया है. इस बात की जानकारी CEO नितिन कामथ ने सोशल मीडिया एक्स के जरिए दी है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय शेयर बाजार भी मुश्किल दौर से गुजर रहा है.
ब्रोकर प्लेटफॉर्म पर घटे एक्टिव यूजर्स
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के आंकड़ों के मुताबिक, टॉप 10 ब्रोकिंग फर्मों में से 8 के सक्रिय निवेशकों की संख्या फरवरी में घटी है. जनवरी में जहां कुल सक्रिय यूजर्स 49.64 मिलियन थे, वहीं फरवरी में यह आंकड़ा 1.37 फीसदी घटकर 48.97 मिलियन रह गया.
- Groww: मार्केट में 26.57% हिस्सेदारी बनाए रखने के बावजूद, इसके सक्रिय यूजर्स 1.68% गिरकर 13.01 मिलियन रह गए.
- Zerodha: दूसरी सबसे बड़ी ब्रोकरेज कंपनी जेरोधा की हिस्सेदारी 16.25% है, लेकिन इसके सक्रिय यूजर्स 1.55% घटकर 7.96 मिलियन हो गए.
- Angel One: तीसरे स्थान पर मौजूद इस फर्म के यूजर्स 1.53% घटकर 7.65 मिलियन रह गए, जबकि इसका मार्केट शेयर 15.62% है.
- Upstox और ICICIdirect: Upstox के सक्रिय यूजर्स में 2.42% की गिरावट आई, जिससे इसका बेस 2.79 मिलियन पर पहुंच गया. वहीं, ICICIdirect के यूजर्स 0.57% घटकर 1.94 मिलियन हो गए.
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ट्रेडिंग वॉल्यूम में 30 फीसदी गिरावट
नितिन कामथ ने कहा कि मार्केट में तेजी से गिरावट आ रही है और ट्रेडिंग वॉल्यूम 30 फीसदी तक कम हुआ है. उन्होंने कहा,
“मार्केट हमेशा चरम सीमाओं के बीच झूलता रहता है. जैसे यह शिखर पर पहुंचा था, वैसे ही इसमें और गिरावट भी आ सकती है. हमें यह नहीं पता कि बाजार कहां जाएगा लेकिन ब्रोकिंग इंडस्ट्री में एक बड़ी गिरावट साफ दिख रही है.”
उन्होंने इस गिरावट के लिए बाजार की मौजूदा स्थिति और रेगुलेटरी बदलावों को जिम्मेदार बताया है. उनका मानना है कि भारतीय बाजार की गहराई अभी भी सीमित है जहां ट्रेडिंग 1-2 करोड़ निवेशकों तक ही सीमित रहती है.