किसान बन इस शख्स ने कमा लिए 300 करोड़, Zerodha भी मुरीद, कभी था सॉफ्टवेयर इंजीनियर
पिछले कुछ सालों से काफी लोगों ने नौकरी छोड़कर दूसरे काम करने की शुरुआत की है. इसी कड़ी में एक विप्रो के सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे जिन्होंने 2010 में अपनी अच्छी-खासी को छोड़कर किसानी करने का फैसला किया. जानें उनकी पूरी कहानी.
किसी नए बिजनेस के लिए अपनी अच्छी-खासी नौकरी को छोड़ना काफी बड़ा दांव हो सकता है. सुनने में यह काम रिस्की जरूर लगता है लेकिन जो लोग रिस्की पड़ाव को पार कर जाते हैं वही लोग फिर दूसरों के लिए प्रेरणा बनते हैं .वैसी ही एक कहानी शशि कुमार की है. कुमार ने 2010 में अपने 17 साल लंबे टेक करियर को पीछे छोड़ कर एग्रीकल्चर सेक्टर में कदम रखा था. उनका मानना था कि एग्री सेक्टर में वह काफी बड़ा बदलाव ला सकते हैं. इसी सोच के साथ उन्होंने अक्षयकल्प ऑर्गेनिक की शुरुआत की. ये भारत की पहला सर्टिफाइड ऑर्गेनिक डेयरी कंपनी है.
टेक से एग्री तक का सफर
शशि कुमार का बैकग्राउंड हमेशा से टेक्निकल रहा है. उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई पूरी की उसके बाद इलेनॉइस इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से टेलिकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में मास्टर किया. इन तमाम टेक डिग्री के बाद भी कुमार ने एग्री सेक्टर में अपनी रुचि देखी और उसका चुनाव कर लिया.
किसानों की तकलीफ
कुमार का जन्म किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने छोटे किसानों की मुश्किलों को काफी करीब से देखा है. शशि कुमार ने रूरल वॉयस से बात करते हुए बताया कि उनके पिता नहीं चाहते थे कि वह खेती में जाए. उन्हें लगता था कि एग्री फील्ड काफी अटपटा है. लेकिन कॉर्पोरेट सेक्टर में तकरीबन दो दशक बिताने के बाद कुमार ने अपनी जड़ों की ओर लौटने का फैसला किया. इसी के साथ शुरुआत हुई अक्षयकल्प ऑर्गेनिक की, एक ऐसा वेंचर जो ग्रामीण माहौल में सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा देता है.
क्या है अक्षयकल्प ऑर्गेनिक का काम
अक्षयकल्प ऑर्गेनिक की शुरुआत भारत में डेयरी फार्मिंग को बेहतर करने के मिशन के साथ हुई़ थी. कंपनी, किसानों को उद्यमी बनाकर उन्हें सशक्त करने की दिशा में काम करती है साथ यह भी सुनिश्चित करती है कि उन्हें ऑर्गेनिक फार्मिंग के लिए जरूरी रिसोर्सेज और टूल्स मुहैया कराया जाए. इसके जरिये किसानों को टेक्निकल सपोर्ट, फाइनेंशियल लिंकेज और बाजार तक पहुंच प्रदान करता है.
300 करोड़ का कारोबार
कुमार ने रूरल वॉयस को अपने कारोबार के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में लगभग 300 करोड़ रुपये के कारोबार हुआ था. उसी को आगे बढ़ाते हुए इस वित्त वर्ष में 400 करोड़ रुपये का कारोबार करने का टारगेट बनाया गया है. कंपनी को रेनमैटर फाउंडेशन नाम के एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NGO) की ओर से भी सपोर्ट मिलता है. यह जीरोधा के संस्थापक नितिन और निखिल कामथ का NGO है.
लाखों की सैलरी
अक्षयकल्प का मुख्य उद्देश्य इकोनॉमिक स्तर पर किसानों को बेहतर करना है. कंपनी नए, युवा किसानों के साथ मिलकर काम करती है जिन्होंने पैसों की तंगी के कारण इस सेक्टर को छोड़ दिया है. अक्षयकल्प उन्हें बेहतर करने के लिए ट्रेन भी करती है. रेनमैटर के मुताबिक, अक्षयकल्प के साथ काम करने वाले किसान ऑर्गेनिक दूध, मुर्गी पालन, शहद, केले, नारियल और बाजरा के प्रोडक्शन के जरिये हर महीने औसतन 1,00,000 रुपये कमा लेते हैं.