पुराने सिक्के से ये लड़का बना रहा लाखों की घड़ी, जयपुर का यह ब्रांड दे रहा स्विस घड़ियों को टक्कर
लग्जरी घड़ियों की दुनिया में स्विट्ज़रलैंड और जापान का वर्चस्व रहा है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत से भी एक कंपनी निकल रही है जो इस धारणा को तोड़ रही है? इसकी अनोखी घड़ियां इतिहास को कलाई पर पहनने का मौका देती हैं!
लग्जरी घड़ियों की दुनिया में नाम लेते ही दिमाग स्विट्ज़रलैंड की बारीक कारीगरी और जापान की तकनीकी निपुणता की ओर भागता है. ऐसा लगता है कि लग्जरी घड़ियां सिर्फ उन्हीं देशों की बपौती हैं. लेकिन भारत के दिल में, राजस्थान की शाही हवाओं के बीच, एक ऐसा ब्रांड खड़ा हो रहा है जो इस धारणा को चुनौती दे रहा है—जयपुर वॉच कंपनी.
2013 में इस ब्रांड की नींव रखी गई. यह भारत की पहली बेस्पोक (Bespoke) यानी कस्टमाइज्ड लग्जरी वॉच ब्रांड है. इसकी शुरुआत हुई एक छोटे से सपने से, जिसे हकीकत में बदल रहे हैं गौरोव मेहता. एक ऐसे इंसान, जो इतिहास से इतना मोहब्बत करते हैं कि उन्होंने वक्त को कलाई पर थाम दिया. यह कंपनी ‘मेक इन इंडिया’ के सपने का जीता-जागता उदाहरण है, जिसमें हर घड़ी हाथ से बनाई जाती है और इसमें भारतीय धरोहर की झलक होती है.
इतिहास के पन्नों में खोए बच्चे ने देखा सपना
गौरोव मेहता का यह सफर बचपन में ही शुरू हो गया था. वे एक ऐसे बच्चे थे, जिन्हें इतिहास से गहरा लगाव था. पुराने सिक्कों और डाक टिकटों का संग्रह उनका पहला प्यार बन गया. गौरोव के लिए यह हर सिक्के और टिकट के पीछे एक कहानी बसी हुई है. ये सिर्फ संग्रह नहीं था बल्कि इतिहास से जुड़ने का उनके लिए एक जरिया था.
बस, इसी लगाव ने उन्हें एक अनोखा विचार दिया कि क्यों न इन सिक्कों को घड़ियों में बदल दिया जाए?
उन्होंने अपने पिता के औजार लिए, एक पुरानी घड़ी उठाई और उसमें एक प्राचीन सिक्का फिट कर दिया. यह थी उनकी पहली सिक्का घड़ी (Coin Watch), जो न केवल दिखने में अनोखी थी, बल्कि इतिहास को भी समेटे हुए थी. उस समय शायद गौरोव को भी नहीं पता था कि उनका यह छोटा-सा प्रयोग एक दिन भारत की पहली लग्जरी वॉच ब्रांड की नींव रखेगा.
चुनौतियों की राह: लग्जरी ब्रांड की शुरुआत
2013 में, जब गौरोव ने जयपुर वॉच कंपनी की शुरुआत की तब भारतीय बाजार में माइक्रो-ब्रांड्स का कोई नामोनिशान नहीं था. लग्जरी घड़ियां यानी स्विस ब्रांड, जापानी तकनीक या बड़े इंटरनेशनल नाम. गौरोव को शुरू में खूब संघर्ष करना पड़ा. उन्होंने इंडियन रिटेलर के हवाले से कहा “पहले चार-पांच साल बहुत मुश्किल थे. कोई समझ नहीं पा रहा था कि भारत में भी लग्जरी घड़ी ब्रांड बन सकता है.”
तब न इंस्टाग्राम पूरी तरह विकसित था न ही मेटा बिजनेस मैनेजर जैसे टूल्स. उन्होंने सिर्फ फेसबुक विज्ञापनों और वर्ड ऑफ माउथ (मौखिक प्रचार) के जरिए ब्रांड को बढ़ाया. लेकिन वे जानते थे कि असली काम ब्रांड बनाना है, सिर्फ घड़ियां बेचना नहीं. यही वजह थी कि शुरुआत में उन्होंने वेबसाइट पर कभी भी कीमत नहीं डाली. ‘प्राइस ऑन रिक्वेस्ट’ मॉडल अपनाया जिससे एक्सक्लूसिविटी बनी रहे
धीरे-धीरे मेहनत रंग लाने लगी. 2014 में कंपनी ने शॉप-इन-शॉप मॉडल से घड़ियां बेचना शुरू किया. लेकिन असली पहचान तब मिली जब 2022 में शार्क टैंक इंडिया में जयपुर वॉच कंपनी ने हिस्सा लिया. धीरे-धीरे मेहनत रंग लाने लगी. 2014 में कंपनी ने शॉप-इन-शॉप मॉडल से घड़ियां बेचना शुरू किया. लेकिन असली पहचान तब मिली जब 2022 में शार्क टैंक इंडिया में जयपुर वॉच कंपनी ने हिस्सा लिया. इसके तुरंत बाद, दिल्ली के सेलेक्ट सिटीवॉक मॉल में कंपनी का पहला फ्लैगशिप स्टोर खुला.
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फ्रेंचाइज से ग्लोबल एक्सपेंशन तक
अगर जयपुर वॉच कंपनी की खासियत की बात करें, तो वो हैं सिक्का घड़ियां. यह एक ऐसी घड़ी होती है, जिसमें डायल के रूप में वास्तविक ऐतिहासिक सिक्कों का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे लोकप्रिय है ‘वन रुपी 1947’ सीरीज, जिसमें ब्रिटिश काल के आखिरी साल का एक रुपया सिक्का लगाया जाता है. इन घड़ियों कि कीमत 30 हजार से शुरु होकर लाखों में हैं.
इंडियन रिटेलर्स के रिपोर्ट के मुताबिक, आज जयपुर वॉच कंपनी भारत में पांच स्टोर्स चला रही है और साल के अंत तक 10 और फ्रेंचाइज स्टोर्स खोलने की योजना बना रही है. यही नहीं, कंपनी अब दुबई में भी अपनी घड़ियां लॉन्च करने जा रही है.