इसरो के वैज्ञानिक ने शुरू किया अपना बिजनेस, खड़ी कर दी 2 करोड़ की कंपनी
तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के रहने वाले उथया फिलहाल कैब व्यवसाय चला रहे हैं, जो 2 करोड़ रुपये की कंपनी बन गई है. उथया ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में काम किया. इसके बाद, वह एक इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए.
आप सोचिए कि आप कैब से कहीं जा रहे हैं, और जो कैब ड्राइवर है वह पहले इसरो का वैज्ञानिक रह चुका हो और फिलहाल दो करोड़ रुपये का अपना बिजनेस चला रहा हो. अगर ऐसा वाकया आपके साथ हो तो शायद आप चौंक जाएंगे. लेकिन ऐसा ही वाकया तमिलनाडु के रामभद्रन सुंदरम के साथ हुआ. उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट कर इसकी जानकारी दी.
उन्होंने अपने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के रहने वाले उथया की कहानी बताई, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में काम किया. इसके बाद वह एक इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए. इसके बाद उन्होंने उद्यमिता में हाथ आजमाने का फैसला किया और अपना कैब व्यवसाय शुरू किया.
कैसे शुरू किया कैब व्यवसाय
सुंदरम ने बताया कि 2017 में उथया ने कुछ दोस्तों से पैसे जुटाकर एसटी कैब्स नाम से कैब सर्विस शुरू की थी. इसका नाम उन्होंने अपने माता-पिता सुकुमारन और तुलसी के नाम पर रखा था. आज वह और उनका भाई 37 कारों का बेड़ा चलाते हैं और सालाना 2 करोड़ रुपये कमाते हैं. उन्हें अब सिर्फ तीन साल की ईएमआई चुकानी है.
क्या है बिजनेस मॉडल
सुंदरम ने बताया कि उथया ने एक नीच से शुरुआत की और धीरे-धीरे इसे डाइवर्सिफाइ किया. आईटी/आईटीईएस कंपनियों ने उन्हें मौका दिया, जिससे उन्हें 2,500 रुपये प्रति ट्रिप पर प्रतिदिन तीन पिक-अप और ड्रॉप-ऑफ सर्विस मिलती है. इससे उनके कारोबार के शुरुआती दौर में नगदी की कमी नहीं हुई.
उथया अब उबर का परीक्षण कर रहे हैं और फिल्म उद्योग के साथ भी विकल्प तलाश रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके व्यवसाय में उनके कर्मचारियों की भूमिका अहम है, जो उनके साथ सैलरी पर नहीं बल्कि साझेदार के रूप में काम करते हैं. वह ड्राइवरों को वेतन नहीं देते, बल्कि कमाई में 70:30 का साझेदारी करते हैं. उथया न केवल यह करते हैं बल्कि सामाजिक कामों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. वह अपने गृहनगर में चार बच्चों की शिक्षा का खर्च भी उठाते हैं.