कंगाल हो चुकी BYJU’S की मुश्किलें बढ़ी, अमेरिकी अदालत ने सुनाया ये बड़ा फैसला

बायजू के अमेरिकी कर्जदाताओं ने कहा कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने पुष्टि की है कि बायजू ने टर्म लोन बी पर चूक की है. हालांकि बायजू के कर्जदाताओं और उनके प्रशासनिक एजेंट, ग्लास ट्रस्ट को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है.

बायजू Image Credit: GettyImages

कर्ज में डूबी एडटेक फर्म बायजू की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है. कंपनी लगातार कंगाल होने के थोड़े और करीब पहुंचती जा रही है. ऐसे में कंपनी की चुनौतियां बढ़ती ही जा रही है. दरअसल बायजू के अमेरिकी कर्जदाताओं ने कहा कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने पुष्टि की है कि बायजू ने टर्म लोन बी पर चूक की है. जबकि कंपनी ने इससे साफ इनकार कर दिया है. हालांकि बायजू के कर्जदाताओं और उनके प्रशासनिक एजेंट, ग्लास ट्रस्ट को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है.

एडटेक फर्म ने कहा कि क्रेडिट एग्रीमेंट के तहत GLAS द्वारा की गई कार्रवाइयों की वैधता का मुद्दा अभी भी न्यूयॉर्क सुप्रीम कोर्ट के में है. BYJU’S ने अपनी होल्डिंग कंपनी BYJU’S अल्फा के माध्यम से यूएस-आधारित कर्जदाताओं से 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का टर्म लोन B (TLB) जुटाया था. कर्जदाताओं ने अपने प्रशासनिक एजेंट GLAS ट्रस्ट के माध्यम से डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी से संपर्क किया. साथ ही 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के TLB का तुरंत पेमेंट की मांग की. BYJU’S ने अमेरिकी कर्जदाताओं द्वारा किए गए दावे का विरोध किया था.

टर्म लोन देने वाले एड हॉक ग्रुप की संचालन समिति ने एक बयान मेंस कहा कि BYJU’S के संस्थापक और सीईओ बायजू रविंद्रन और उनके भाई रिजू रवींद्रन ने स्वीकार किया कि BYJU’S अक्टूबर 2022 तक क्रेडिट एग्रीमेंट का डिफॉल्टर था. GLAS ट्रस्ट के माध्यम से यूएस-आधारित कर्जदाताओं ने एडटेक फर्म के खिलाफ चल रही दिवालियेपन कार्यवाही प्रतिक्रिया दी है. इसके दौरान भारतीय अदालतों में 1.35 बिलियन अमरीकी डालर के बकाये का दावा दायर किया था.

कर्जदाताओं ने अपना कुल दावा 1.5 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ा दिया है. अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि अक्टूबर 2022 और जनवरी 2023 के बीच क्रेडिट समझौते को स्वीकार किया है कि डिफ़ॉल्ट की घटनाएं हुईं. BYJU’S ने कहा कि नवंबर 2026 तक चुकाया जाना था और इसने TLB पर लगभग 140 मिलियन अमरीकी डालर का ब्याज पहले ही चुका दिया है. एडटेक फर्म ने आगे कहा कि GLAS के पास अमेरिका में कोई कानूनी स्थिति या भारतीय अदालतों में चल रहे मुकदमे में कोई अधिकार नहीं है.