Budget 2025: बिजनेसवुमेन को वित्त मंत्री से इस बार बड़ी उम्मीदें, चाहिए स्पेशल स्कीम और सस्ता रॉ मैटेरियल

बिजनेसवुमेन को 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट से इस बार बड़ी उम्मीदें. इन्हीं उम्मीदों को समझने के लिए मनी 9 लाइव ने नोएडा सेक्टर 45 के बिजनेसवुमेन से बातचीत की जिससे ये जानने की कोशिश की आखिर वो बजट को लेकर क्या उम्मीद लगाए बैंठी हैं. उनका मानना है कि सरकार को महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं लानी चाहिए, ताकि वे आसानी से लोन ले सकें और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें.

बजट 2025 Image Credit: tv9 bharatvarsh

Budget se Umeed: एक फरवरी को देश का आम बजट पेश होने जा रहा है. यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का दूसरा आम बजट होगा और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आठवां बजट है. जाहिर है, आम जनता को इस बजट से कई उम्मीदें हैं चाहे वह कर टैक्स से जुड़ी हों, घर के बजट से संबंधित हों या फिर बचत को लेकर हों. इन्हीं उम्मीदों को समझने के लिए मनी 9 लाइव ने नोएडा सेक्टर 45 के लिटिल मिलेनियम स्कूल की संचालिका पूर्णिमा शर्मा से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि एक महिला उद्यमी के रूप में उन्हें किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा और आगामी बजट से उनकी क्या अपेक्षाएं हैं.

महिला उद्यमी के रूप में चुनौतियां

एक महिला उद्यमी के रूप में चुनौतियां को लेकर पूर्णिमा शर्मा ने बताया, “किसी भी व्यवसाय को शुरू करना आसान नहीं होता, खासकर जब आप एक महिला हों. सबसे बड़ी चुनौती फाइनेंस और पेपरवर्क की होती है. इसके अलावा, स्टाफ को मैनेज करना और उनकी समस्याओं को समझना भी अहम होता है. चूंकि हमारे स्कूल में अधिकतर स्टाफ महिलाएं हैं, तो उनकी व्यक्तिगत परेशानियां भी आती हैं, जिन्हें हमें मैनेज करना पड़ता है. लेकिन एक बार जब आप अपना काम शुरू कर लेते हैं, तो इन सभी बाधाओं से पार पाने के रास्ते भी निकाल ही लेते हैं.”

जब उनसे पूछा गया कि इस स्कूल को शुरू करने में कितना निवेश करना पड़ा और किस तरह खर्चों को मैनेज किया जाता है, तो उन्होंने कहा, “महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे हमारे खर्चे भी बढ़ गए हैं. स्कूल की स्टेशनरी, बच्चों की सुविधाएं, स्टाफ की सैलरी, सब कुछ मिलाकर एक बड़ी लागत बन जाती है. हम चाहते हैं कि सरकार ऐसे कदम उठाए जिससे छोटे व्यवसायों के लिए लागत को नियंत्रित करना आसान हो. हम कुछ क्रॉस-कटिंग करके खर्चों को संतुलित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी, महंगाई का सीधा असर हमारे ऑपरेशन्स पर पड़ता है.”

घर का बजट बनाम बिजनेस का बजट

जब उनसे पूछा गया कि घर चलाने और एक बिजनेस चलाने में क्या अंतर है, तो उन्होंने कहा, “दोनों ही चुनौतीपूर्ण हैं. घर का बजट हम अपनी जरूरतों के हिसाब से थोड़ा एडजस्ट कर सकते हैं, लेकिन बिजनेस का बजट एडजस्ट नहीं किया जा सकता. अगर किसी चीज की जरूरत आज है, तो वह आज ही चाहिए. इसे अगले हफ्ते तक टालना संभव नहीं होता. खासतौर पर, जब महंगाई बढ़ रही हो और डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी हो रही हो, तो हर चीज की लागत पर असर पड़ता है.”

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सरकारी योजनाओं से मदद

जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ मिला, तो उन्होंने कहा, “मैंने अभी तक कोई योजना उपयोग नहीं की, क्योंकि उनमें बहुत ज्यादा डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत होती है और ब्याज दरें भी ज्यादा होती हैं. मैं चाहती हूँ कि सरकार महिलाओं के लिए ऐसी योजनाएं लाए जिनमें कम कागजी कार्रवाई हो और प्रक्रिया तेज हो. बैंकों और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटना किसी भी कामकाजी महिला के लिए संभव नहीं होता. अगर सरकार महिलाओं को फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस देने के लिए कुछ रियायतें दे, तो यह हमारे लिए काफी फायदेमंद रहेगा.”

बजट 2024 से उम्मीदें

पूर्णिमा शर्मा का मानना है कि सरकार को महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं लानी चाहिए, ताकि वे आसानी से लोन ले सकें और अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें. उन्होंने कहा,”अगर कोई महिला लोन लेने जाती है, तो उसे पति, भाई या पिता की मदद लेनी पड़ती है. सरकार को ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए कि महिलाएं अकेले भी लोन प्राप्त कर सकें, वह भी आसान डॉक्यूमेंटेशन और कम ब्याज दरों के साथ. इससे ज्यादा महिलाएं अपने बिजनेस शुरू करने की हिम्मत जुटा पाएंगी.”