पानी कम हो या ज्यादा, फसल बचाने की गारंटी मेड इन इंडिया फसल अमृत!
खेतों में पानी कम हो या ज्यादा, दोनों ही हालात में किसान परेशान होता है. पानी कम हो, तो फसल सूखकर खराब हो जाती है. ज्यादा हो तो गलकर खराब हो जाती है. फसल अमृत किसानों को इस मुसीबत से निजात दिला रहा है. जानते हैं, क्या है यह मैजिक सोल्युशन और कैसे काम करता है?
सूखा हो या बाढ़ जैसी स्थिति. दोनों ही किसानों के लिए मुसीबत होती हैं. दुनियाभर की सरकारें और तमाम संगठन इन दोनों परिस्थितियों से निपटने के समाधान तलाशने में जुटे हैं. इन कोशिशों के बीच फसल अमृत सुर्खियां बटोर रहा है. यह एक ऐसा इनोवेटिवक प्रोडक्ट है, जिससे किसानों को दोनों ही परिस्थितियों से निपटने में मदद मिलती है.
क्या है फसल अमृत
यह एक सुपर अब्जॉर्वेंट पॉलिमर (एसएपी) है. यह अपने वजन से 50 गुना ज्यादा पानी सोखने में सक्षम है. इस तरह यह पानी को सोखकर जमीन में नमी बनाए रखता है. फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोडक्ट की वजह से गुजरात के बाढ़ संभावित साबरकंठा जिले में किसानों को खासी मदद मिली है. साबरकंठा में में जिन किसानों ने इसका इस्तेमाल किया उनकी फसल को बहुत कम नुकसान हुआ. वहीं, अन्य किसानों के बीज पूरी तरह खत्म हो गए.
पानी कम हो या ज्यादा दोनों स्थिति में प्रभावी
ऑर्गेनिक पदार्थों से बनाया गया यह सुपर अब्जॉर्वेंट असल में कम पानी और ज्यादा पानी दोनों तरह की स्थिति में किसानों के लिए फायदेमंद है. मसलन, अगर कहीं पानी कम है, तो यह पानी को सोखकर फसल को लंबे समय तक सिंचाई देता है. मोटे तौर पर राजस्थान जैसे रेतली इलाकों में इसकी मदद से सिंचाई में 40 फीसदी तक कमी आ सकती है. वहीं, जहां पानी बहुत ज्यादा होता है, वहां यह अतिरिक्त पानी को सोखकर फसल को खराब होने से बचाता है.
फोर्ब्स की 100 टू वाच लिस्ट में शामिल बनाने वाली कंपनी
फसल अमृत बनाने वाली कंपनी ईएफ पॉलिमर को फोर्ब्स ने अपनी 100 टू वाच लिस्ट में शामिल किया है. यह लिस्ट एशिया की ऐसी 100 कंपनियों के बारे में बताती है, जो आने वाले दिनों में अपने क्षेत्र की लीडर हो सकती हैं. इसके अलावा इनके इनोवेटिव प्रोडक्ट दुनिया में बड़े बदलाव लाने में सक्षम होते हैं.
कौन हैं कंपनी के मालिक
ईएफ पॉलिमर को बनाने वाले राजस्थान के तीन युवा हैं. तीनों किसान परिवारों से संबंध रखते हैं. नारायण गुर्जर, अंकित जैन और पूरन राजपूत इस कंपनी के को-फाउंडर हैं. कंपनी की शुरुआत 2018 में हुई. फिलहाल भारत, जापान और कई देशों में 40 हजार से ज्यादा किसान फसल अमृत का इस्तेमाल कर रहे हैं. कंपनी का बाजार मूल्य 50 करोड़ से ज्यादा का हो चुका है. इसके प्रमुख इन्वेस्टरों में जापानी कंपनी यूनिवर्सल मैटेरियल्स इनक्यूबेटर, निशिमोटो विश्मेटेक होल्डिंग्स, एमटीजी वेंचर्स, बियॉन्ड नेक्स्ट वेंचर और ओकिनावा डवलपमेंट फिन कॉर्प शामिल हैं.
दिलचस्प है कंपनी बनाने की कहानी
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक नारायण गुर्जर जब 11वीं कक्षा में थे, तो बारिश नहीं होने की वजह से उनके पिता को मक्के की फसल में भारी नुकसान हुआ. इसकी वजह से उनके परिवार को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा. नारायण ने तभी से यह प्रण किया कि वह इस समस्या का समाधान खोजेंगे. उन्होंने तभी से ऐसे समाधान खोजने शुरू किए. आखिर में उन्हें केले, और संतरे के छिलकों में इसका समाधान मिला. इन फलों के छिलकों में मिलने वाले ऑर्गेनिक कंपाउंड्स से नारायण ने सुपर अब्जॉर्वेंट पॉलिमर तैयार किए. बाद में अंकित और पूरन के साथ मिलकर कंपनी बनाई.