आधार-पुलिस और 20 करोड़ का फ्रॉड, हो जाएं अलर्ट नहीं तो अगला नंबर आपका!
मुंबई में एक 86 वर्षीय महिला से 20 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर आधार कार्ड के दुरुपयोग का झांसा दिया और 'डिजिटल अरेस्ट' में रखकर पैसे ट्रांसफर करवा लिए. पुलिस ने जनता को ऐसे साइबर फ्रॉड से सतर्क रहने की सलाह दी है.
Aadhar Card Fraud: मुंबई में एक 86 वर्षीय बुजुर्ग महिला के साथ 20 करोड़ रुपये की बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. ठगों ने खुद को पुलिस अधिकारी बताकर महिला को यह यकीन दिलाया कि उनकी आधार कार्ड की जानकारी का गलत इस्तेमाल हुआ है. डर और दबाव में आकर महिला ने दिसंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच ठगों द्वारा बताए गए अलग-अलग खातों में करोड़ों रुपये ट्रांसफर कर दिए.
कैसे दिया गया ‘डिजिटल अरेस्ट’ का धोखा?
ठगों ने न सिर्फ महिला को डराया, बल्कि उन्हें मानसिक रूप से ऐसा जकड़ लिया कि वह किसी से अपनी परेशानी साझा भी न कर सकें. उन्होंने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर महिला को फोन और इंटरनेट पर पूरी तरह से नियंत्रित कर लिया. उन्हें यह यकीन दिलाया गया कि अगर उन्होंने इस मामले की चर्चा की तो उनके परिवार पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
जब महिला को अहसास हुआ कि वह ठगी का शिकार हो गई हैं, तो उन्होंने मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई. पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए लेन-देन के रिकॉर्ड को ट्रेस किया और ठगों को गिरफ्तार किया. यह मामला सामने आने के बाद अधिकारियों ने जनता को आगाह किया कि पुलिस या UIDAI अधिकारी कभी भी फोन पर व्यक्तिगत जानकारी नहीं मांगते. उन्होंने लोगों को ऐसे किसी भी कॉल को तुरंत काटने और UIDAI हेल्पलाइन नंबर 1947 पर शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी है.
आखिर क्यों फंस जाते हैं लोग?
बावजूद इसके कि लगातार साइबर फ्रॉड के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं फिर भी कई लोग इनका शिकार हो रहे हैं. साइबर अपराध विशेषज्ञों का कहना है कि ठग मनोवैज्ञानिक हथकंडों का इस्तेमाल करते हैं जिससे तकनीकी रूप से समझदार लोग भी इनके जाल में फंस जाते हैं.
कैसे काम करते हैं ये साइबर अपराधी?
- डर और घबराहट पैदा करना: ठग खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी एजेंट बताकर पीड़ित को डराते हैं कि उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त होने का आरोप है.
- फर्जी कॉल और स्पूफिंग: वे ऐसे कॉलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनका नंबर पुलिस या सरकारी एजेंसी की तरह दिखाई देता है.
- तुरंत भुगतान का दबाव: पीड़ित को तुरंत पैसे ट्रांसफर करने या अन्य वित्तीय जानकारी साझा करने के लिए मजबूर किया जाता है.
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कैसे बचें ऐसे फ्रॉड से?
- अज्ञात नंबर से आने वाले किसी भी कॉल पर भरोसा न करें, भले ही वे सरकारी एजेंसी का होने का दावा करें.
- फोन पर कोई भी व्यक्तिगत या बैंकिंग जानकारी साझा न करें.
- अगर कोई आपको डराकर पैसे मांग रहा है, तो तुरंत कॉल काट दें और साइबर सेल में शिकायत करें.
- UIDAI हेल्पलाइन 1947 पर कॉल करके अपने आधार से जुड़ी जानकारी की पुष्टि करें.
- पुलिस ने जनता से अपील की है कि ऐसे धोखाधड़ी करने वालों से सतर्क रहें और किसी भी संदेहास्पद गतिविधि की तुरंत सूचना दें.