AI युग में बदल जाएगा जॉब मार्केट, WITT सम्मेलन में दिग्गजों ने बताया कैसे रखें अपनी नौकरी सुरक्षित

AI की बढ़ती भूमिका के बीच भारत को अपनी वर्कफोर्स को नए जमाने की जरूरतों के हिसाब से तैयार करना होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि एआई नौकरियां खत्म नहीं करेगा बल्कि मौजूदा जॉब्स की प्रकृति को बदलेगा और नए अवसर पैदा करेगा. लेकिन इसके लिए नौकरी चाहने वालों को स्किल-अपग्रेडेशन पर ध्यान देना होगा, ताकि वे बदलते बाजार में प्रतिस्पर्धा में बने रह सकें.

WITT इवेंट Image Credit: Money9 Live

TV9 नेटवर्क द्वारा आयोजित ‘What India Thinks Today’ के तीसरे संस्करण में AI के बढ़ते प्रभाव और जॉब मार्केट पर उसके असर को लेकर विस्तार से चर्चा हुई. Skilling & Education: Preparing India for Viksit Bharat विषय पर आयोजित इस सेशन में जॉब और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी. सभी दिग्गजों ने इस बात पर सहमति जताई कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस नौकरियों की संख्या को कम नहीं करेगा बल्कि जॉब्स की प्रकृति और जरूरी स्किल्स में बदलाव लाएगा.

जॉब्स हैं, लेकिन स्किल की कमी बड़ी चुनौती

सेशन के दौरान टीमलीज सर्विसेज के स्टाफिंग सीईओ कार्तिक नारायण ने स्पष्ट किया कि भारत में नौकरियों की कोई कमी नहीं है, बल्कि योग्य उम्मीदवारों की कमी बड़ी समस्या है. उन्होंने बताया कि हर महीने उनकी कंपनी के पास 20 से 30 हजार जॉब ओपनिंग्स आती हैं लेकिन स्किल गैप के चलते केवल एक तिहाई उम्मीदवारों को ही मौका मिल पाता है. उनका मानना है कि AI नौकरियां खत्म नहीं करेगा बल्कि उनके काम करने के तरीके में बदलाव लाएगा.

इस बात से पीपल रिसर्च ऑन इंडिया कंज्यूमर इकोनॉमी के एमडी और सीईओ डॉ. राजेश शुक्ला भी सहमत नजर आए. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों की रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि भारत की सिर्फ 4 फीसदी वर्कफोर्स ही एडवांस लेवल स्किल्स रखती है, जबकि चीन में यह आंकड़ा 25 फीसदी, कोरिया में 90 फीसदी और अमेरिका में 70 फीसदी तक पहुंच चुका है. विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए हमें अपनी स्किलिंग सिस्टम को और सशक्त बनाना होगा.

री-स्किलिंग ही बदलते दौर की जरूरत

ग्रांट थॉर्टन इंडिया के जीसीसी लीडर जसप्रीत सिंह ने इस विचार से आंशिक असहमति जताते हुए कहा कि एआई से जॉब्स की संरचना में बदलाव तो होगा ही, लेकिन कई पारंपरिक नौकरियां भी खतरे में पड़ सकती हैं. हाल ही में सामने आई कई रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि फ्रेशर्स को नौकरी मिलने में मुश्किलें आ रही हैं, जबकि आईटी कंपनियां उन उम्मीदवारों को प्राथमिकता दे रही हैं, जिनके पास एआई से जुड़ी स्किल्स हैं.

उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि कंपनियां वर्कफोर्स को री-स्किलिंग के लिए तैयार करें. यह आसान प्रक्रिया नहीं होगी, क्योंकि केवल आईटी सेक्टर ही नहीं बल्कि अन्य उद्योगों में भी एआई का प्रभाव दिखने वाला है. इसके अलावा, उन्होंने कंपनियों के एचआर लीडर्स से अपील की कि वे केवल फ्रेशर्स को जॉब देने पर ध्यान न दें बल्कि मिड-मैनेजमेंट स्तर पर भी स्किलिंग और रोजगार के नए अवसर बनाएं.

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डिग्री नहीं, स्किल-ड्रिवेन सिस्टम अपनाने की जरूरत

इसी सत्र में कैरेट कैपिटल के फाउंडर पंकज बंसल ने भी अहम विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि सरकार ने स्किलिंग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती माइंडसेट में बदलाव लाने की है. उन्होंने कहा, “हम आज भी डिग्री-ड्रिवेन समाज में रहते हैं, जबकि दुनिया तेजी से स्किल-ड्रिवेन सिस्टम की ओर बढ़ रही है.”

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एआई के दौर में सिर्फ शैक्षिक डिग्री से करियर बनाना मुश्किल होगा बल्कि जरूरी स्किल्स हासिल करना ही सफलता की कुंजी होगी. इसलिए, आने वाले वर्षों में शिक्षा प्रणाली में बदलाव और इंडस्ट्री के हिसाब से स्किलिंग को प्राथमिकता देना बेहद जरूरी हो जाएगा.