क्या चीन की DeepSeek ने सिंगापुर के जरिए हासिल किए Nvidia चिप्स? अमेरिका कर रहा जांच -ब्लूमबर्ग रिपोर्ट
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं कि क्या चीनी एआई स्टार्टअप DeepSeek ने प्रतिबंधों के बावजूद सिंगापुर के डिस्ट्रीब्यूटर्स के जरिए NVIDIA कॉर्पोरेशन की एडवांस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.
DeepSeek AI : चीनी स्टार्टअप DeepSeek का AI मॉडल तकनीकी जगत में हलचल मचा रहा है. इसके लॉन्च के साथ ही न केवल एआई क्षेत्र में कंपटीशन तेज हो गई है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी यह बहस का मुद्दा बन गया है, विशेष रूप से अमेरिका और चीन के बीच. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका की जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि क्या DeepSeek ने प्रतिबंधों के बावजूद सिंगापुर के डिस्ट्रीब्यूटरों के माध्यम से NVIDIA कार्पोरेशन के एडवांस्ड प्रोसेसर खरीदे हैं. अमेरिका को संदेह है कि DeepSeek ने Nvidia की अत्याधुनिक टेक्नॉलाजी का उपयोग करके अपना R1 AI मॉडल विकसित किया है, जबकि इन चिप्स पर अमेरिका ने पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है.
DeepSeek R1 पर उठे कई सवाल
DeepSeek का R1 मॉडल फिलहाल एआई जगत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि यह पुराने हार्डवेयर और सीमित बजट में भी ChatGPT को टक्कर देता दिख रहा है. इस अप्रत्याशित सफलता ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे अमेरिकी एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं. अमेरिका का दावा है कि चीन इस मॉडल को विकसित करने के लिए उन्हीं एडवांस्ड तकनीकों का उपयोग कर रहा है, जिन पर प्रतिबंध लगा हुआ है. क्योंकि DeepSeek ने 2022 में घोषणा की थी कि वह 10,000 Nvidia A100 चिप्स का उपयोग कर रहा है. वहीं, Scale AI के सीईओ Alexandr Wang का हाल ही में दावा था कि DeepSeek के पास 50,000 Nvidia H100 चिप्स हैं, जो कि Nvidia की सबसे एडवांस चिप्स मानी जाती हैं. हालांकि, इस दावे के समर्थन में अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है.
इसे भी पढ़ें- Economic Survey 2025 LIVE: PM नरेंद्र मोदी ने किया मां लक्ष्मी को याद, बोले मध्यम और गरीब तबके पर बनी रहे कृपा
Microsoft भी कर रही है जांच
Microsoft भी यह जांच कर रहा है कि कहीं DeepSeek ने OpenAI के संवेदनशील डेटा तक अवैध रूप से पहुंच तो नहीं बनाई. दरअसल DeepSeek R1 की अप्रत्याशित सफलता ने अमेरिकी टेक कंपनियों को झटका दिया है. इसकी वजह से Nvidia के शेयरों में लगभग 600 बिलियन डॉलर (करीब 50 लाख करोड़ रुपये) की गिरावट देखी गई, जिससे निवेशकों में यह चिंता बढ़ गई कि क्या एआई इंफ्रास्ट्रक्चर में किया गया भारी निवेश वास्तव में लाभदायक साबित होगा या नहीं.
इसे भी पढ़ें- Budget 2025: CAPEX में 20 फीसदी बढ़ोतरी करे सरकार, लोगों के पास आएगा पैसा- E&Y की मांग