मस्क-अंबानी की खींचतान के बीच सरकार का बड़ा फैसला, अब सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऐसे मिलेगा लाइसेंस; जानें किसे फायदा

Starlink लंबे समय से भारत में अपनी सर्विस लॉन्च करने की योजना बना रही है. हाल के घटनाओं से उम्मीद की जा रही है कि यह जल्द ही संभव हो सकता है. सरकार ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने का फैसला लिया है. Deloitte के अनुमान के अनुसार, भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस मार्केट 2030 तक 1.9 बिलियन डॉलर का हो जाएगा.

एलन मस्क और मुकेश अंबानी Image Credit: money9live.com

Elon Musk Starlink: भारत में एलन मस्क की Starlink के आने की अटकलें लंबे समय से लगाई जा रही थीं. अब सरकार के हालिया फैसले से डेवलपमेंट साफ नजर आ रही है. टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को बताया कि भारत ने नीलामी के बजाय सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने का फैसला लिया है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक ऑप्शन मिलेंगे. सरकार ने मुकेश अंबानी की Reliance Jio की इस चिंता को खास महत्व नहीं दिया कि उनकी कंपनी Starlink से पिछड़ सकती है.

Starlink लंबे समय से भारत में अपनी सर्विस लॉन्च करना चाहती थी. हाल के महीनों में अंबानी की कंपनी और मस्क के बीच इस बात को लेकर मतभेद सामने आए थे कि देश में सैटेलाइट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम किस तरह आवंटित किया जाना चाहिए.

नीलामी की मांग

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी Reliance ने स्पेक्ट्रम की नीलामी का आग्रह किया था. हालांकि, भारत सरकार ने मस्क के इस नजरिए का समर्थन किया कि इसे ग्लोबल ट्रेंड के मुताबिक आवंटित किया जाना चाहिए. विश्लेषकों का मानना है कि नीलामी, जिसमें बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता होती है, संभवतः विदेशी प्रतिद्वंद्वियों को रोक सकती है.

अंबानी ने कहा कि वह level playing field चाहते हैं. उन्हें चिंता है कि उनकी दूरसंचार कंपनी, जिसने एयरवेव नीलामी में 19 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं, अब Starlink के कारण ब्रॉडबैंड ग्राहकों को खोने का जोखिम उठा रही है. भविष्य में Starlink के टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट से डेटा और वॉयस क्लाइंट्स भी प्रभावित हो सकते हैं.

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2030 तक 1.9 बिलियन डॉलर का मार्केट

टेलीकॉम मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नई दिल्ली में Reuters को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “मेरा काम यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं के पास अधिक से अधिक ऑप्शन हों.” जब उनसे पूछा गया कि क्या Reliance की चिंताओं में कोई दम है, तो उन्होंने किसी कंपनी का नाम लिए बिना कहा, “टेक्नोलॉजी कभी स्थिर नहीं रहती. कंपनियों को लगातार खुद को विकसित करते रहना चाहिए.”

Deloitte के अनुमान के अनुसार, भारत का सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस बाजार 2030 तक 1.9 बिलियन डॉलर का हो जाएगा. यह मार्केट Starlink, Amazon Kuiper, और Reliance जैसी कंपनियों के लिए बेहद आकर्षक है. सिंधिया ने यह भी कहा कि देश में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए Starlink और Amazon Kuiper के लाइसेंस एप्लिकेशन अभी भी समीक्षा के अधीन हैं.

मस्क से अंबानी को चिंता

एलन मस्क को बाजार में उथल-पुथल मचाने के लिए जाना जाता है. केन्या में, उन्होंने स्टारलिंक की कीमत अमेरिका में 120 डॉलर के मुकाबले 10 डॉलर प्रति माह रखी, जिसके कारण पिछले साल केन्या के सफारीकॉम ने शिकायत की थी. इससे संकेत मिल रहे हैं कि कि स्टारलिंक अगर भारत में आता है तो भारत में भी सस्ता प्लान पेश कर सकता है जिससे जियो जैसी अन्य कंपनियों के लिए परेशानी बढ़ सकती है.