टीवी और वीडियो देखने के लिए अब इंटरनेट की जरूरत नहीं, जानिए कैसे काम करती है D2M टेक्नोलॉजी
पिछले साल जून में, आईआईटी-कानपुर ने प्रसार भारती और टेलीकॉम डेवलपमेंट सोसाइटी के सहयोग से डी2एम प्रसारण पर एक श्वेत पत्र जारी किया था, जिसमें इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी दी गई थी.
यदि आपसे कहा जाए कि आप बिना इंटरनेट के लाइव टीवी देख सकते हैं और अपने मोबाइल पर किसी भी वीडियो का आनंद ले सकते हैं, तो यह सुनकर आपको थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन यह जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है. इस सपने को साकार करेगी डी2एम टेक्नोलॉजी, जिसे ‘डायरेक्ट टू मोबाइल’ कहा जाता है.
पिछले साल जून में, आईआईटी-कानपुर ने प्रसार भारती और टेलीकॉम डेवलपमेंट सोसाइटी के सहयोग से डी2एम प्रसारण पर एक श्वेत पत्र जारी किया था, जिसमें इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानकारी दी गई थी.
क्या है डी2एम?
इस पत्र के अनुसार, ऑन डिमांड कंटेंट की लोकप्रियता के चलते डायरेक्ट टू मोबाइल का विकास हुआ है. इस टेक्नोलॉजी की मदद से आप पारंपरिक तरीकों को छोड़ते हुए अपने स्मार्टफोन पर आसानी से वीडियो देख सकते हैं. यह ठीक वैसे ही काम करता है जैसे प्रसारण स्टेशन से सिग्नल प्राप्त करके टेलीविजन और रेडियो तक पहुंचता है.
डी2एम कैसे काम करता है?
डी2एम टेक्नोलॉजी बिल्कुल एफएम रेडियो की तरह कार्य करती है, जहां एक स्टेशन से सिग्नल भेजे जाते हैं और ये सिग्नल कुछ निश्चित आवृत्तियों पर एफएम रेडियो के माध्यम से प्राप्त किए जाते हैं. इसी तरह, डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) प्रसारण में एक डिश एंटीना सीधे उपग्रहों से सिग्नल प्राप्त करके सेट-टॉप बॉक्स तक भेजता है.
डी2एम में इन दोनों तकनीकों का बेहतर उपयोग करके मोबाइल उपकरणों को सिग्नल भेजने की योजना है. इसके लिए 470-582 मेगाहर्ट्ज का स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाएगा. इसके शुरू होने से एक ओर 5जी नेटवर्क पर भार कम होगा, वहीं डिजिटल विकास में भी सहायता मिलेगी.
सरकार के अनुसार भारत में लगभग 80 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में से 69 प्रतिशत सामग्री वीडियो होती है, जिससे भविष्य में इसका लाभ देखने को मिलेगा. देश के लगभग 280 मिलियन घरों में से करीब 190 मिलियन के पास वर्तमान में टेलीविजन सेट हैं.