ब्राउजिंग हिस्ट्री रिकॉर्ड करता है Google? डेटा ट्रैकिंग को लेकर मुश्किल में पड़ सकती है कंपनी
गूगल को लेकर यूजर्स का कहना होता है कि तमाम परमिशन को ऑफ करने के बावजूद कंपनी अपने यूजर्स के डाटा को सुनती रहती है. इसी को लेकर कंपनी सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में मुकदमा झेल रही है.
ग्लोबल सर्च इंजन गूगल के प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर समय-समय पर सवाल उठता रहा है. गूगल को लेकर यूजर्स का कहना होता है कि तमाम परमिशन को ऑफ करने के बावजूद कंपनी अपने यूजर्स के डाटा को सुनती रहती है. इसी को लेकर कंपनी सैन फ्रांसिस्को की संघीय अदालत में मुकदमा झेल रही है. दरअसल एक यूजर ने गूगल को लेकर आरोप लगाया है कि ट्रैकिंग बंद करने के बावजूद उसके डेटा को इकट्ठा किया गया है.
क्या है पूरा मामला?
मुकदमे में यूजर ने गूगल पर आरोप लगाया कि सर्च इंजन ने उनकी निजी ब्राउजिंग हिस्ट्री बगैर परमिशन के रिकॉर्ड कर लिया है. इसके साथ ही यूजर ने गूगल पर कैलिफोर्निया के अनाधिकृत धोखाधड़ी वाले कंप्यूटर एक्सेस कानून का उल्लंघन करने का भी आरोप लगाया है. इसके बाद गूगल ने प्राइवेसी क्लास मुकदमे को रद्द करने की मांग करते हुए कोर्ट के समक्ष अपील दायर की थी जिसे सैन फ्रांसिस्को की संघीय कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अदालत के इस निर्णय ने केस के संभावित 18 अगस्त 2025 ट्रायल का रास्ता साफ कर दिया है.
कोर्ट ने क्या कहा?
इस मामले को लेकर कोर्ट का मानना है कि गूगल सेटिंग्स और ट्रैकिंग बटन के बारे में दी गई जानकारी अस्पष्ट और भ्रामक थी. कंपनी का ये रवैया यूजर को परेशानी में डाल सकता है. इसको लेकर गूगल ने भी अपनी दलील पेश की है.
गूगल ने क्या कहा?
इस केस को लेकर गूगल ने भी दलील पेश की है. कंपनी का कहना है कि उसकी सेवाओं में पहले से ही प्राइवेसी कंट्रोल मौजूद हैं. यूजर्स ने उसकी टर्म्स एंड कंडीशन को एक्सेप्ट किया था. इसके अलावा गूगल ने यह भी बताया है कि उसके डेटा कलेक्शन से किसी को कोई नुकसान नहीं है.