आपकी पहचान ही चुरा लेते हैं हैकर्स, बच्चे भी निशाने पर; ऐसे हो रहा है खेल
क्या आपको पता है कि आपकी निजी जानकारी किसी और के हाथ में जा सकती है? आपकी पहचान का इस्तेमाल कौन, कैसे और क्यों कर रहा है? जानिए इस चौंकाने वाली सच्चाई को और पहचान की चोरी से बचने के अहम उपाय.
Identity Theft Prevention: कल्पना कीजिए, आप अपनी रोजमर्रा की जिंदगी जी रहे हैं और अचानक आपको पता चलता है कि कोई आपकी पहचान का इस्तेमाल कर चुका है. उसने आपके नाम का बैंक में लोन ले लिया है, मेडिकल सेवाएं ली जा रही हैं या किसी आपराधिक गतिविधि में आपका नाम आ रहा है. डिजिटल युग में तरीका ठगों का शातिर पैंतरा है. इस वक्त पहचान की चोरी (Identity Theft) के मामलों में तेजी आई है.साइबर अपराधी आपकी निजी जानकारी चुराकर उसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं और आपको भारी वित्तीय व कानूनी संकट में डाल सकते हैं. आइए समझते हैं कि पहचान की चोरी कैसे होती है, इसके प्रकार क्या हैं और इससे बचने के लिए क्या सावधानियां बरती जा सकती हैं.
पहचान की चोरी क्या है?
जब कोई व्यक्ति आपकी निजी जानकारी जैसे नाम, पता, ईमेल, पासवर्ड, बैंक डिटेल्स, आधार या सोशल सिक्योरिटी नंबर का इस्तेमाल धोखाधड़ी या आर्थिक लाभ के लिए करता है तो इसे पहचान की चोरी कहा जाता है. अपराधी इस डेटा का इस्तेमाल करके न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा सकते हैं बल्कि आपकी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचा सकते हैं.
पहचान की चोरी के प्रकार
वित्तीय पहचान की चोरी- यह सबसे आम प्रकार की पहचान की चोरी है, जिसमें अपराधी किसी व्यक्ति की वित्तीय जानकारी चुराकर बैंक खाते से पैसे निकालते हैं या उसके नाम पर कर्ज लेते हैं.
मेडिकल पहचान की चोरी- इसमें धोखेबाज किसी और की चिकित्सा बीमा जानकारी का इस्तेमाल करके मुफ्त में इलाज करवाते हैं, दवाएं खरीदते हैं या मेडिकल इक्विपमेंट हासिल करते हैं.
सिंथेटिक पहचान की चोरी- यह एक नया प्रकार का साइबर अपराध है, जिसमें ठग किसी असली व्यक्ति की जन्मतिथि, पता और सोशल सिक्योरिटी नंबर का इस्तेमाल करके फर्जी पहचान बनाते हैं और फिर इसका इस्तेमाल अपराध करने या वित्तीय लाभ उठाने के लिए करते हैं.
बाल पहचान की चोरी- इसमें किसी नाबालिग के नाम पर फर्जी बैंक खाते खोले जाते हैं या लोन लिया जाता है. अक्सर माता-पिता को तब तक इस बारे में जानकारी नहीं होती जब तक बच्चा बड़ा नहीं हो जाता और अपना पहला बैंक खाता खोलने की कोशिश नहीं करता.
आपराधिक पहचान की चोरी- इस तरह की धोखाधड़ी में अपराधी किसी अन्य व्यक्ति का नाम, ड्राइविंग लाइसेंस या अन्य सरकारी पहचान पत्र का इस्तेमाल करके अपराध करते हैं और असली व्यक्ति को कानूनी पचड़ों में फंसा देते हैं.
कैसे होती है पहचान की चोरी?
पहचान चुराने के कई तरीके हो सकते हैं, जैसे:
- डेटा ब्रीच: बड़ी कंपनियों के डेटा सिस्टम में सेंध लगाकर हजारों लोगों की निजी जानकारी चुराई जाती है.
- मैलवेयर और फिशिंग: नकली वेबसाइट्स, स्पैम ईमेल और मैलवेयर से लोगों की जानकारी चुराई जाती है.
- कार्यालय से डेटा चोरी: कर्मचारियों की निजी जानकारी को ऑफिस से चुरा लिया जाता है.
- वॉलेट या दस्तावेजों की चोरी: बटुए, पर्स या पासपोर्ट चोरी कर धोखाधड़ी की जाती है.
- डंपस्टर डाइविंग: अपराधी कूड़ेदान से बैंक स्टेटमेंट, पुराने बिल और अन्य दस्तावेज उठाकर जानकारी निकालते हैं.
- स्किमिंग और शोल्डर सर्फिंग: ATM कार्ड क्लोनिंग और पासवर्ड चुराने जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है.
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कैसे करें बचाव?
निजी दस्तावेज नष्ट करें – बैंक स्टेटमेंट, क्रेडिट कार्ड बिल और अन्य निजी दस्तावेजों को फाड़कर या जलाकर नष्ट करें.
डाक की सुरक्षा करें – अपने पत्रों को तुरंत खाली करें ताकि अपराधी संवेदनशील जानकारी चुरा न सकें.
आधार और सोशल सिक्योरिटी नंबर को सुरक्षित रखें – यह सबसे संवेदनशील जानकारी होती है, इसे कभी किसी के साथ साझा न करें.
क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करें – साल में कम से कम एक बार अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की समीक्षा करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें.
लिखित रिकॉर्ड न छोड़ें – एटीएम और क्रेडिट कार्ड रसीदों को सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ें.