रैनसमवेयर के निशाने पर हैं भारतीय बिजनेसमैन, इस अमेरिकी कंपनी के रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

जेडस्केलर, कैलिफोर्निया में स्थित एक अमेरिकी क्लाउड सुरक्षा कंपनी है. हाल में जेडस्केलर की वार्षिक Threat Labz 2024 रिपोर्ट आई जिसके अनुसार पूरे एशिया प्रशांत और जापान (एपीजे) क्षेत्र में रैनसमवेयर से पीड़ित देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है.

रैनसमवेयर से परेशान देशों में भारत दूसरे स्थान पर Image Credit: sarayut Thaneerat/Moment Getty Images

भारत रैनसमवेयर हमलों के शिकार का तेजी से टारगेट बनता जा रहा है. जेडस्केलर, कैलिफोर्निया में स्थित एक अमेरिकी क्लाउड सुरक्षा कंपनी है. हाल में जेडस्केलर की वार्षिक Threat Labz 2024 रिपोर्ट आई जिसके अनुसार पूरे एशिया प्रशांत और जापान (एपीजे) क्षेत्र में रैनसमवेयर से पीड़ित देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है. जेडस्केलर की प्रकाशित रिपोर्ट अप्रैल 2023 से अप्रैल 2024 तक की अवधि को कवर करती है. यह रिपोर्ट भारतीय बिजनेसमैन जो मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग, दूरभाष और टेक्नोलॉजी सेक्टर में हैं, उनके लिए काफी चिंताजनक रुझान पेश करती है.

क्या होता है रैनसमवेयर?

इससे पहले की रिपोर्ट में शामिल दूसरी बिंदुओं की बात करें, ये जानना जरूरी है कि रैनसमवेयर होता क्या है. रैनसमवेयर एक प्रकार का मैलिसियस सॉफ्टवेयर होता है जो आपके कंप्यूटर को प्रभावित कर उसे लॉक कर देता है. उसे अनलॉक करने के लिए आपसे फिरौती के तौर पर पैसे मांगे जाते हैं. इससे बचने के उपाय के तौर पर कहा जाता है कि लोगों को अपने सिस्टम के सॉफ्टवेयर को हमेशा अपडेट रखना चाहिए.

फिरौती में हो रही वृद्धि

रिपोर्ट में वैश्विक रैनसमवेयर घटनाओं में साल-दर-साल 18 फीसदी की वृद्धि का संकेत मिला है. इससे इतर डार्क एंजेल्स ग्रुप जो कि बड़े स्तर पर फिरौती इकठ्ठा करता है, उसे भी इस दौरान 75 मिलियन डॉलर की फिरौती का भुगतान किया गया है. बता दें कि डार्क एंजेल्स ग्रुप को किया गया भुगतान पिछले साल के मुकाबले दोगुना है. इस तरह के चौंका देने वाले रिपोर्टों की वजह से दूसरे साइबर अपराधियों को भी इस तरह से काम करने की हिम्मत मिल सकती है.

कौन सा क्षेत्र है सबसे ज्यादा प्रभावित?

रिपोर्ट में इससे सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र की भी बात कही गई है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र रैनसमवेयर का सबसे बड़ा टारगेट है जहां तकरीबन 29 फीसदी घटनाएं होती हैं. वहीं इससे प्रभावित दूसरे सेक्टरों में स्वास्थ्य सेवा, प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और वित्तीय सेवाएं शामिल है.