इंटरनेट बन रहा बच्चों के लिए खतरा, कहीं आपका मासूम भी तो नहीं फंस रहा साइबर ग्रूमिंग के जाल में
आज के डिजिटल दौर में इंटरनेट पर बच्चों के लिए एक नया खतरा मंडरा रहा है. साइबर ग्रूमिंग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और सरकार ने इससे निपटने के लिए कई उपाय किए हैं. आर्टिकल में पढ़ें इस साइबर क्राइम की सारी जानकारी और जानें कैसे इससे बचा जा सकता है.

Prevention of Online Grooming: आज के डिजिटल युग में जहां बच्चे ऑनलाइन शिक्षा, मनोरंजन और सोशल मीडिया पर अधिक समय बिता रहे हैं, साइबर ग्रूमिंग का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. साइबर ग्रूमिंग वह प्रक्रिया है जिसमें ऑनलाइन शिकारी बच्चों से दोस्ती कर उन्हें यौन शोषण या अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए निशाना बनाते हैं. खासकर COVID-19 महामारी के बाद, जब भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 692 मिलियन तक पहुंच गई और इनमें से लगभग 30.4 फीसदी बच्चे थे. और इसी आंकड़े का फायदा उठा रहे हैं ऑनलाइन बैठे शिकारी जो समय के साथ और गंभीर रूप लेता जा रहा है.
क्या है ऑनलाइन साइबर ग्रूमिंग और कैसे होता है शिकार?
ऑनलाइन साइबर ग्रूमिंग में अपराधी सोशल मीडिया, गेमिंग प्लेटफॉर्म और चैट ऐप्स के जरिए बच्चों से संपर्क बनाते हैं. वे बच्चों के मन में अपने लिए विश्वास पैदा कर, उन्हें निजी जानकारी साझा करने के लिए मजबूर करते हैं और फिर इसका दुरुपयोग करते हैं. ये ठग बच्चों को यह महसूस कराते हैं कि वो उनके लिए कितने खास हैं और फिर उन्हें अश्लील बातें करने के लिए उकसाते हैं, हो सकता है कि वह नाबालिगों से उनकी निजी तस्वीरों की मांग करें या फिर धोखे से कहीं मिलने को बुलाएं. बच्चों का मन इन सबके झांसे में अक्सर बेहद आसानी से फंस जाता है, जिसका अंजाम आखिरकार बहुत बुरा होता है. तस्वीरों का वह गलत इस्तेमाल कर सकते हैं और अगर कोई बच्चा मिलने को चला जाएं तो संभावना है कि उसे किडनैप कर लिया जाए.
अक्सर, ये शिकारी खुद को बच्चों के हमउम्र या किसी मददगार के रूप में पेश कर उन्हें बहलाते हैं. National Crime Records Bureau (NCRB) के एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 में साइबर अपराधों के 1823 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 के 1376 मामलों की तुलना में तेजी से बढ़े.
बचाव के लिए माता-पिता और बच्चों को क्या करना चाहिए?
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए माता-पिता को सतर्क रहने की जरूरत है. कुछ महत्वपूर्ण उपाय जो साइबर ग्रूमिंग से बचने में मदद कर सकते हैं:
- बातचीत करें: बच्चों ऑनलाइन क्या करते हैं इसकी जानकारी आपको होनी चाहिए, इसलिए उनसे बात करते रहें, साथ ही उन्हें किसी भी संदिग्ध व्यक्ति से सतर्क रहने की सलाह दें.
- प्राइवेसी सेटिंग्स अपडेट करें: सोशल मीडिया और गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बच्चों की प्रोफाइल को प्राइवेट रखें ताकि अजनबियों तक उनकी जानकारी न पहुंचे.
- अनजान लिंक और फ्रेंड रेक्वेस्ट से बचें: बच्चों को सिखाएं कि वे किसी भी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें और किसी अजनबी का फ्रेंड रेक्वेस्ट स्वीकार न करें.
- साइबर बुलिंग और ब्लैकमेल की रिपोर्ट करें: अगर बच्चा किसी प्रकार की धमकी, ब्लैकमेल या अनुचित अनुरोध का सामना करता है, तो तुरंत इसकी रिपोर्ट करें.
अगर आप साइबर ग्रूमिंग के शिकार हो गए हैं तो क्या करें?
सरकार ऑनलाइन अपराधों के खिलाफ मजबूत कदम उठाए है और पीड़ितों को सहायता देने के लिए कई सुविधाएं उपलब्ध करवाई हैं:
- राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल: सरकार ने cybercrime.gov.in पोर्टल शुरू किया है, जहां साइबर अपराधों की शिकायत दर्ज की जा सकती है.
- टोल-फ्री हेल्पलाइन 1930: यह हेल्पलाइन साइबर अपराधों से जुड़ी शिकायतों के लिए 24×7 उपलब्ध है.
- Indian Cyber Crime Coordination Centre (I4C): गृह मंत्रालय के तहत यह केंद्र साइबर अपराधों को रोकने और जांच में सहायता करता है.
- POCSO एक्ट और IT एक्ट: भारत में POCSO (2012) और IT एक्ट (2000) के तहत ऑनलाइन यौन अपराधों के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं. IT एक्ट की धारा 67B चाइल्ड पोर्नोग्राफी और साइबर ग्रूमिंग को रोकने के लिए सख्त सजा का प्रावधान करती है.
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की जवाबदेही: IT नियम 2021 के तहत, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज कंटेंट को पहचानने और हटाने के लिए तकनीक का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं.
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साइबर ग्रूमिंग के खिलाफ जागरूकता और सतर्कता
सरकार विभिन्न अभियानों के जरिए साइबर अपराधों के खिलाफ जागरूकता बढ़ा रही है. @CyberDost जैसे एक्स हैंडल, रेडियो अभियानों, स्कूलों में इंटरनेट सुरक्षा निर्देशों और हेल्पलाइन सेवाओं के माध्यम से बच्चों और माता-पिता को जागरूक किया जा रहा है. बच्चों को डिजिटल सुरक्षा के प्रति शिक्षित करना और साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग को बढ़ावा देना ही इस खतरे से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है. अगर आप या आपका बच्चा साइबर ग्रूमिंग का शिकार हो गया है, तो घबराने की बजाय कानूनी मदद लें और साइबर अपराध रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्रवाई करें. जागरूकता और सही कदम ही इस बढ़ते खतरे को रोक सकते हैं.
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