ऑनलाइन Cab App के लिए iOS यूजर अमीर और Android वाले गरीब? इस सर्वे ने खोल दी पोल

एक जगह जाना है, वहां जाने का एक ही रास्ता है. मेरे पास एंड्रॉयड और ऐपल, दोनों मोबाइल फोन हैं लेकिन दोनों पर फेयर अलग दिख रहा है. इस तरह की बातें आपने जरूर सुनी होगी. इस प्रैक्टिस को लेकर एक सर्वे किया है. जिसके रिस्पॉन्स हैरान करने वाले हैं.

डार्क पैटर्न Image Credit: @Tv9

कुछ दिन पहले बेंगलुरु के एक शख्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक ट्वीट किया था जिसने सरकार से लेकर ऑनलाइन यूजर्स के अंदर के नागरिक को जगा दिया था. दरअसल एक्स पर शेयर अपने एक पोस्ट में शख्स ने एंड्रॉयड और iOS से उबर टैक्सी बुक करने पर अलग-अलग दिखाए जाने वाले फेयर को रिपोर्ट किया था.

उस ट्वीट के बाद से ही हर जगह इस बात की चर्चा होने लगी थी कि क्या वाकई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म डिवाइस के आधार पर लोगों से कम और ज्यादा पैसे वसूलते हैं. अब इसी को लेकर एक हैंडल ने सर्वे किया है.

269 जिलों के लोगों ने लिया हिस्सा

इस बहस की सच्चाई टटोलते हुए सोशल मीडिया की कम्युनिटी प्लेटफॉर्म LocalCircles ने एक सर्वे किया है. सर्वे के मुताबिक ऑनलाइन टैक्सी यूजर की एक बड़ी संख्या तमाम तरह के डार्क पैटर्न से परेशान हैं. इसमें जबरन एक्शन, ड्रिप प्राइसिंग के साथ ही ओला, उबर, रैपिडो, ब्लूस्मार्ट, इनड्राइव जैसे एप्लीकेशन पर प्राइस को लेकर होने वाले भिन्नता भी शामिल हैं. सर्वे में 269 जिलों के 33,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया था. इन लोगों में तमाम आधारों पर होने वाली संशय की जानकारी दी है.

फेयर में हेरफेर को लेकर शिकायत

सर्वे की रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कई यूजर्स ने अचानक प्राइस में आई वृद्धि को रिपोर्ट किया है. यूजर की जानकारी के आधार पर, डिवाइस के प्रकार (एंड्रॉयड और iOS) या कभी-कभी मोबाइल के बैटरी लेवल के आधार पर प्राइस में हेरफेर को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की.

यूजर्स ने बताया कि एंड्रॉयड की तुलना में iPhone पर दिखने वाले फेयर एक ही डेस्टिनेशन के लिए अधिक होते हैं. वहीं कुछ लोगों ने फोन की कम बैटरी लेवल के आधार पर भी अधिक किराये की बात रिपोर्ट की है. हालांकि इस प्रैक्टिस को भारत सरकार के 13 डार्क पैटर्न वाले कैटेगरी में नहीं डाला गया है. लोकलसर्किल्स ने सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) को इस बाबत अपील की है.

Credit: LocalCircles

सरकार ने क्या एक्शन लिया?

इस तरह की शिकायतों के बाद सरकार हरकत में आती है. हाल में CCPA ने ओला को निर्देश दिया किसी भी तरह के रिफंड के मोड को लेकर ग्राहकों के पास विकल्प होना चाहिए. लोकलसर्किल्स ने CCPA को फेयर के साथ होने वाले हेरफेर को डार्क पैटर्न की श्रेणी में जोड़ने और सख्त नियम बनाने का निवेदन किया है.

वहीं हालिया उबर के घटना के बाद कंज्यूमर मामले के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि एंड्रॉयड और ऐपल डिवाइस पर एक ही लोकेशन के लिए अलग-अलग किराया वसूलने वाले राइड हेलिंग एप्लीकेशन सुनने में काफी गलत लगते हैं. CCPA को इस और दूसरे क्षेत्रों में भी प्राइस हेरफेर की जांच करने का निर्देश दिया है.

सर्वे में किसने लिया भाग?

लोकलसर्किल्स के सर्वे में भारत के 33,000 एप्लीकेशन बेस्ड टैक्स सर्विस इस्तेमाल करने वाले लोग शामिल थे. इनमें से 61 फीसदी पुरुष और 39 फीसदी महिलाए थीं. पार्टिसिपेंट्स में टियर 1 के 48 फीसदी लोग, टियर 2 के 34 फीसदी लोग और टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों के 18 फीसदी लोगों को शामिल किया गया था.