रतन टाटा की इस कंपनी ने सस्ता कर दिया था फोन पर बात करना, टेलीकॉम सेक्टर में मचा धूम

रतन टाटा का निधन 86 वर्ष की उम्र में हो गया. रतन टाटा ने देश हित में कई काम किए. ऐसे में टेलीकॉम कंपनी में अपनी छाप छोड़ने वाले ब्रांड टाटा डोकोमो ने उस दौर में फोन पर बात करना आम लोगें के लिए सस्ता कर दिया था.

रतन टाटा Image Credit: Internet

देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा का निधन 86 वर्ष की उम्र में हो गया, उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली. पिछले दिनों 7 अक्टूबर को ब्लड प्रेशर की समस्या होने के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद उनकी हालत बिगड़ गई. रतन टाटा ने देश हित में कई काम किए. ऐसे में टेलीकॉम कंपनी में अपनी छाप छोड़ने वाले ब्रांड टाटा डोकोमो ने उस दौर में फोन पर बात करना आम लोगें के लिए सस्ता कर दिया था.

टाटा डोकोमो की शुरुआत

टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएल) ने जापान की एनटीटी डोकोमो के साथ मर्जर कर लिया था. जापान की एनटीटी डोकोमो ने टीटीएल में 26 फीसदी हिस्सेदारी ले लिया था. इसके लिए उसने 2.7 बिलियन डॉलर का निवेश करने पर सहमति बनी, जिसे बाद में टाटा डोकोमो कहा गया. इस नई कंपनी की मदद से टाटा का प्लान टेलीकॉम कंपनी को एफोर्डेबल बनाना था, जहां एक तरफ दूसरे कंपनी के फोन कॉल्स महंगे थे, वहीं 24 जून 2009 को टाटा डोकोमो का प्लान टेलीफोन कॉल के लिए एक पैसा प्रति सेकंड बिलिंग का था. उस वक्त के टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएल) के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल सरदाना ने इस नई टैरिफ प्लान के जरिए पहला फोन कॉल तत्कालीन दूरसंचार मंत्री अंदिमुथु राजा को किया था.

मार्केट में टाटा डोकोमो का क्रेज

टाटा डोकोमो के प्रति सेकंड वाला टैरिफ प्लान शुरू करने से पहले न्यूनतम समय सीमा एक मिनट थी. इसका मतलब यह था कि यूजर्स को पूरे मिनट के लिए पेमेंट करना पड़ता था. भले ही वे केवल पांच सेकंड के लिए बात करते हो. इस स्कीम से टेलीकॉम कंपनियों को फायदा ही हो रहा था, लेकिन रतन टाटा तो रतन टाटा ही है. उन्होंने अपना फायदा न देखते हुए आम लोगों का फायदा देखा. टाटा का इस पर बयान दिया था कि प्रति मिनट वाला यह टैरिफ प्लान अपने कस्टमर से बेईमानी थी. इस नई टैरिफ योजना ने रातों रात समीकरण बदल दिया.

कंपनी ने ‘सेकंड इज द न्यू मिनट’ जैसे टैगलाइन के साथ टीवी और प्रिंट विज्ञापन शुरू किए. टाटा डोकोमो को एक “लाइट हाउस ब्रांड” बनाना था, जिससे टेलिकॉम सेक्टर में जलजला आ जाए. लॉन्च के पांच महीने के भीतर टाटा डोकोमो ने 10 मिलियन ग्राहक बनाए. टाटा डोकोमो को देखते हुए जल्द ही दुसरे प्लेयर ने भारती एयरटेल, वोडाफोन और आइडिया सेल्युलर सहित सभी ऑपरेटरों ने प्रति सेकंड प्लान शुरू कर दिए. इसके बाद सबसे सस्ता प्लान देने की होर सी शुरू हो गई.

यूजर्स की संख्या में हुई भारी बढ़ोतरी

इस क्रांति की वजह से देश में मोबाइलों की संख्या एक साल के भीतर 29 प्रतिशत से बढ़कर 43 प्रतिशत हो गई. हर महीने लगभग 15 मिलियन ग्राहक जुड़ना शुरू हो गया. साल 2009 में लगभग 500 मिलियन ग्राहकों से, बाजार 2014 तक लगभग 800 मिलियन यूजर्स तक फैल गया. टाटा डोकोमो ने वॉयस कॉल के लिए प्रति सेकंड की योजना पर ही रोक नहीं लगाई. इसने डाइट एसएमएस पैक भी लॉन्च किया, जिसमें टेक्स्ट मैसेज के लिए अक्षरों की संख्या के आधार पर शुल्क लिया जाएगा. 2010 में उसने इंटरनेट सर्फ करने के लिए पहली पे-पर-साइट लॉन्च की. प्रति सेकंड की योजनाओं की सफलता ने ऑपरेटरों को 10 रुपये से कम के रिचार्ज कूपन लॉन्च किया.

अंत ही आरंभ है

इस नई टैरिफ प्लान से नकारात्मक प्रभाव भी आए. उसने ऑपरेटरों की कमाई में भारी गिरावट आने लगी. ऑपरेटरों ने सोचा कि घटती हुई आय के बावजूद प्रति ग्राहक उपयोग में बढ़ोतरी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 2010 में महंगी स्पेक्ट्रम नीलामी के बाद घटते मार्जिन और नेटवर्क विस्तार पर बढ़ते खर्च ने ऑपरेटरों को परेशान करना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से टेलिकॉम सेक्टर आज 2,80,000 करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है. टाटा डोकोमो पर भी इसका गहरा प्रभाव पड़ा. कंपनी भारी घाटे में चली गई. इसी के साथ 25 अप्रैल को जापान की कंपनी एनटीटी डोकोमो ने एटीएम से बाहर निकल गया.