रिटेलर्स हो जाएं सावधान! 2025 में यह साइबर हमला कर सकता है आपका कारोबार बर्बाद

2025 में ऑनलाइन शॉपिंग और डिजिटल पेमेंट्स बढ़ने के साथ साइबर हमलों का खतरा भी बढ़ रहा है. क्या आपका डेटा सुरक्षित है? जानिए कैसे साइबर अपराधी रिटेल इंडस्ट्री को निशाना बना रहे हैं और इससे बचने के लिए आपको क्या कदम उठाने जरूरी हैं.

ई-कॉमर्स वेबसाइट्स के लिए अलर्ट! Image Credit: AI Generated

Retail Cyber Attack Prevention: ई-कॉमर्स और रिटेल इंडस्ट्री लगातार बढ़ रही है लेकिन इसके साथ ही साइबर अटैक में भी बढ़ोतरी हो रही है. आज के साइबर अपराधी सिर्फ क्रेडिट कार्ड नंबर ही नहीं, बल्कि संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा और ई-कॉमर्स बिजनेस में होने वाले बड़े वित्तीय लेन-देन को भी निशाना बना रहे हैं. शादी सीजन में दुकानों पर लोगों की भीड़ जुटी होती है ऐसे में अक्सर दुकानदार सुरक्षा के साथ कोताही बरतता है. उसके एक छोटी सी चूक न केवल ग्राहकों की जानकारी को खतरे में डाल देती है बल्कि कारोबार की साख और वित्तीय स्थिरता को भी नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए, 2025 में खुदरा व्यापार में साइबर सुरक्षा पहले से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है.

रिटेल साइबर सिक्योरिटी के बड़े खतरे

  1. डेटा ब्रीच

ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइटें लाखों ग्राहकों की संवेदनशील जानकारी जैसे कि नाम, क्रेडिट/डेबिट कार्ड डिटेल्स, सीवीवी और अन्य डेटा स्टोर करती हैं. साइबर अपराधी फिशिंग, मैलवेयर या अन्य तरीकों से इस डेटा को चुराकर डार्क वेब पर बेचते हैं. अगर कोई रिटेलर डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देता तो उसके ग्राहक और उसकी ब्रांड छवि दोनों ही खतरे में पड़ सकती हैं.

  1. रैनसमवेयर

रैनसमवेयर हमलों में हैकर्स रिटेलरों के नेटवर्क में सेंध लगाकर उनके सिस्टम को एन्क्रिप्ट कर देते हैं और उसे अनलॉक करने के बदले फिरौती मांगते हैं. कई मामलों में, फिरौती देने के बाद भी डेटा वापस नहीं किया जाता और भविष्य में दोबारा ब्लैकमेल करने के लिए इसे सेव कर लिया जाता है.

  1. फिशिंग स्कैम

फिशिंग साइबर अपराध का एक पुराना लेकिन प्रभावी तरीका है. इसमें धोखाधड़ी से भरे ईमेल या लिंक भेजे जाते हैं जो देखने में किसी प्रतिष्ठित कंपनी या व्यक्ति द्वारा भेजे गए लगते हैं. एक बार रिटेलर इस लिंक पर क्लिक कर लेता है तो वायरस उसके पूरे नेटवर्क में फैल जाता है जिससे अपराधियों को पूरा डेटा मिल जाता है.

रिटेल साइबर हमलों से बचाव के उपाय

ग्राहकों के क्रेडिट/डेबिट कार्ड की जानकारी को स्टोर करने से बचें. अगर स्टोर करना जरूरी हो तो इसे एडवांस एन्क्रिप्शन तकनीकों से सुरक्षित करें ताकि डेटा चोरी होने की स्थिति में भी इसका गलत इस्तेमाल न किया जा सके.

फिशिंग या रैनसमवेयर हमले के वजह से डेटा लॉस की संभावना को कम करने के लिए नियमित रूप से बैकअप लेना जरूरी है. पीओएस (POS) सिस्टम, ई-कॉमर्स साइट और अन्य एप्लिकेशन से डेटा का ऑटोमेटेड बैकअप एक प्रभावी समाधान हो सकता है.

मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का इस्तेमाल करें, जिसमें लॉगिन के लिए पासवर्ड के साथ-साथ एक और सुरक्षा चरण शामिल हो. यह सिस्टम को सुरक्षित बनाता है और अनधिकृत इस्तेमाल को रोकता है.