अभी सैटेलाइट से नहीं कटेगा टोल, लेट हुआ प्रोजेक्ट, जानें क्या है कारण
भारत सरकार ने सैटेलाइट आधारित टोल सिस्टम को फिलहाल रोक दिया है और अब NavIC (IRNSS) के पूरी तरह तैयार होने का इंतजार करेगी. यह सिस्टम वाहन की वास्तविक दूरी के आधार पर टोल वसूलेगा, जिससे टोल प्लाजा हटाए जा सकेंगे. वर्तमान में FASTag सिस्टम चल रही है, लेकिन नया सिस्टम बिल्कुल बैरियर-फ्री टोलिंग को संभव बनाएगा.
Satellite Toll System: भारत सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी सैटेलाइट आधारित हाइवे टोल सिस्टम लागू करने की योजना को फिलहाल रोक दिया है. सरकार अब NavIC (Indian Regional Navigation Satellite System – IRNSS) के पूरी तरह तैयार होने का इंतजार करेगी, ताकि अधिक सटीक टोल कलेक्शन सिस्टम लागू किया जा सके.
क्या है नया टोल सिस्टम?
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ऑटोमेटिक टोल कलेक्शन सिस्टम अपनाने की योजना बना रहा है, जिससे टोल बूथ हटाए जा सकें और वाहनों से उनकी यात्रा की वास्तविक दूरी के आधार पर टोल लिया जा सके. यह सिस्टम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) पर आधारित होगा, जो वाहन की लोकेशन ट्रैक कर टोल चार्ज तय करेगा.
NavIC से ज्यादा सटीकता मिलेगी
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अभी तक इस प्रणाली के लिए अमेरिकी GPS का उपयोग किया जाता है, लेकिन GPS की सटीकता भारत में लगभग 30 मीटर है. जबकि NavIC की सटीकता 3 मीटर तक हो सकती है, जिससे हाईवे और सर्विस रोड में फर्क करना आसान होगा. हालांकि, फिलहाल NavIC के 11 में से केवल 5 सैटेलाइट पूरी तरह काम कर रहे हैं, इसलिए सरकार इसे पूरी तरह तैयार होने तक इंतजार करेगी.
दुनिया के कई देशों में पहले से मौजूद
दिल्ली-एनसीआर में द्वारका एक्सप्रेसवे को पहली पायलट साइट के रूप में चुना गया है, जहां यह बैरियर-फ्री टोलिंग सिस्टम लागू किया जाएगा. यूरोप, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे देशों में यह प्रणाली पहले से इस्तेमाल हो रही है.
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FASTag की तुलना में नया सिस्टम बेहतर कैसे?
वर्तमान में FASTag सिस्टम RFID तकनीक पर आधारित है, जिससे टोल प्लाजा पर वाहनों की इंतजार करने का समय 734 सेकंड से घटकर 47 सेकंड हो गई है. लेकिन GNSS आधारित टोलिंग में वाहन बिल्कुल नहीं रुकेंगे और सीधे चलते रहेंगे.
डाटा सेफ्टी और एक्यूरेसी चुनौती
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, नया सिस्टम डाटा प्राइवेसी और एक्यूरेसी के बैलेंस पर निर्भर करेगा. गलत टोल चार्जिंग और सर्विस रोड से हाईवे की पहचान में गलतियों को दूर करने के लिए NavIC और प्राइवेट सेक्टर टेक्नोलॉजी के कंबीनेशन से इसे बेहतर बनाया जा सकता है.