4000 रुपये के स्कैम का मामला SBI पर भारी, अब ग्राहक को मिलेंगे 94,204 रुपये
हाल में शीर्ष कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के खिलाफ दायर की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि बैंक अपने ग्राहकों को उनके अकाउंट से की जाने वाली अनधिकृत लेनदेन से बचाने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं. जानें क्या है एसबीआई का यह मामला.
एक व्यक्ति ने कुछ साल पहले 4,000 रुपये का जैकेट खरीदा. पसंद नहीं आने पर ग्राहक ने उसे रिटर्न करने की रिक्वेस्ट डाली जिसके बाद उसके साथ हजारों का स्कैम हो गया. मामला इतना बढ़ गया कि सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा और SBI को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया. सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद ये मामला सुर्खियों में आया.
हाल में शीर्ष कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के खिलाफ दायर की गई एक याचिका की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि बैंक अपने ग्राहकों को उनके अकाउंट से की जाने वाली अनधिकृत लेनदेन से बचाने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं. इसके साथ कोर्ट ने अकाउंट होल्डर्स को भी सतर्क रहने की सलाह दी है. इन सभी सलाह मशविरा की शुरुआत 4000 रुपये के जैकेट को रिटर्न करने के नाम पर हुए स्कैम से हुई. आइए जानते हैं क्या है मामला.
क्या है मामला?
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी कहानी की शुरुआत 2021 में हुई थी. उस दौरान एक व्यक्ति ने Louis Philippe की वेबसाइट से एक जैकेट ऑर्डर किया और पसंद नहीं आने के कारण उसे रिटर्न करने के लिए रिक्वेस्ट डाल दिया. उसी दौरान कंपनी की वेबसाइट हैक हो गई. हैक में दुनियाभर के कई ग्राहकों की निजी जानकारी को ऑनलाइन बेच दी गई थी. उसी खरीद-बिक्री में स्कैम से पीड़ित व्यक्ति का डाटा भी शामिल था.
इस निजी जानकारी का इस्तेमाल करके एक स्कैमर ने पीड़ित व्यक्ति से कांटेक्ट किया और रिटर्न के लिए एक एप्लीकेशन डाउनलोड करने की बात कही. व्यक्ति ने उस एप्लीकेशन को जैसे ही इंस्टॉल किया, उसका पूरा खाता खाली हो गया. अकाउंट से सारे पैसे फेडरल बैंक के सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर किए गए. फेडरल से तुरंत ही पैसा जुपिटर नियो सेविंग अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया. वहां से यूपीआई और पेमेंट गेटवे के इस्तेमाल से कई दूसरे खातों में अमाउंट को ट्रांसफर कर दिया गया. कुछ ही घंटों में पीड़ित के एसबीआई खाते से चोरी हुए 94,204.90 रुपये निकाल किए गए.
ग्राहक ने दर्ज की शिकायत
आनन-फानन में ग्राहक ने एसबीआई के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई. एसबीआई ने ग्राहक के कार्ड और अकाउंट को ब्लॉक कर दिया. बाद में व्यक्ति ने जलुबकारी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई और असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग (CID) के साइबर क्राइम सेल में तीन शिकायतें दर्ज कराई. कुछ दिन के इंतजार के बाद व्यक्ति ने RBI बैंकिंग ओम्बड्समैन के पास शिकायत दर्ज कराई. जब वह यहां केस हार गया तब उसने गुवाहाटी उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.
हार के बाद भी SBI ने सुप्रीम कोर्ट में की अपील
इस बीच असम पुलिस ने उत्तर प्रदेश में फर्जी नाम से रह रहे एक स्कैमर को पकड़ लिया. उसके बाद केस में हाई कोर्ट ने अपनी जांच में इस धोखाधड़ी मामले में एसबीआई की ओर से की गई कार्रवाई में गलती पाई और पीड़ित को पूरा पैसा वापस करने का आदेश दिया. फैसले से नाखुश एसबीआई ने आखिर में इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में मौजूद तथ्य और साक्ष्यों के आधार पर एसबीआई को दोषी पाया और गुवाहाटी हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा.
SBI का क्या है कहना?
इस केस में एसबीआई का कहना है कि लापरवाही ग्राहक ने की है. साथ ही एसबीआई ने कहा कि धोखाधड़ी गूगल पे के जरिये हुई थी, इसलिए बैंक जिम्मेदार नहीं है. बैंक का कहना है कि GooglePay एक थर्ड पार्टी एप्लीकेशन है, बैंक कभी भी थर्ड पार्टी ऐप्स का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देता है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
RBI ओम्बड्समैन से हारने के बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति को न्याय दिया. इसके साथ ही एसबीआई को 94,000 रुपये का पूरा भुगतान करने का भी आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि एसबीआई के पास बेहतरीन टेक्नोलॉजी है. फिर भी वह साइबर धोखाधड़ी को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रहा है.