चीन अब लद्दाख बॉर्डर पर नहीं कर पाएगा नापाक हरकत! ये स्वदेशी ड्रोन रखेगा नजर
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने एक स्वदेशी सुसाइड ड्रोन विकसित किया है, जिसकी कई खासियतें हैं. इसे ऊंचाई वाले इलाकों में आसानी से ऑपरेट किया जा सकता है. इस ड्रोन का लद्दाख और राजस्थान में विभिन्न मौसमों में परीक्षण किया जा चुका है, और दोनों परिस्थितियों में इसने बेहतरीन प्रदर्शन किया है. इस ड्रोन को GPS की आवश्यकता नहीं होती और यह विजुअल टार्गेटिंग के माध्यम से काम करता है.
Tata Advanced drone: चीन की नापाक हरकतों पर नजर रखने के लिए भारत को एक बड़ा हथियार मिल गया है. इसके माध्यम से भारत LAC पर आसानी से निगरानी रख सकता है और चीन की किसी भी संदिग्ध गतिविधि का मुंहतोड़ जवाब दे सकता है.भारत में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने स्वदेशी सुसाइड ड्रोन बनाया है, जो ऊंचाई वाले इलाकों में प्रभावी तरीके से ऑपरेट करने में सक्षम है. यह सभी मौसमों में काम करने की काबिलियत रखता है. इस ड्रोन को एडवांस्ड लॉइटरिंग सिस्टम (ALS) नाम दिया गया है.
इसकी रेंज 250 किलोमीटर से अधिक है और यह 10,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड से उड़ान भर सकता है. भारत-चीन सीमा, विशेष रूप से लद्दाख, में ऐसे कई एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड मौजूद हैं, जहां से यह ड्रोन आसानी से संचालित किया जा सकता है.
सीमा सुरक्षा को मिलेगी मजबूती
इस नए ड्रोन के साथ भारतीय सशस्त्र बलों को चीन जैसे पड़ोसी देशों के साथ सीमा पर तैनाती के लिए एक और प्रभावी हथियार मिल गया है. यह ड्रोन न केवल भारत की सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री को भी बढ़ावा देगा.
लद्दाख और राजस्थान में सफल परीक्षण
कंपनी ने मई 2023 में ALS 50 सुसाइड ड्रोन भारतीय वायुसेना को सौंपा था. यह सिस्टम वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग करने में सक्षम है. लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों और राजस्थान की गर्म जलवायु में इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया जा चुका है.
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GPS के बिना करेगा सटीक हमला
यह ड्रोन विजुअल टार्गेटिंग के जरिए काम करता है और सभी मौसमों में संचालन करने में सक्षम है. खास बात यह है कि इसे उन परिस्थितियों के लिए डिजाइन किया गया है, जहां GPS उपलब्ध नहीं है या उसे जाम कर दिया गया हो. यह ड्रोन एंटी-टैंक वारहेड्स और अन्य म्यूनिशन ले जाने में सक्षम है, जो इस्तेमाल करने वालों की जरूरत के अनुसार एडजस्ट किया जा सकता है.
छोटे रनवे से भर सकता है उड़ान
यह ड्रोन एक छोटे रनवे से भी उड़ान भर सकता है. इसका डिजाइन पहले से ही भारतीय सशस्त्र बलों को प्रदान किए गए ALS 50 ड्रोन पर आधारित है. ALS 50 की रेंज लगभग 50 किलोमीटर है, लेकिन नया ड्रोन इससे काफी अलग है.ALS 50 बैटरी से संचालित होता है, जबकि नए ड्रोन में इंटरनल कंबशन सिस्टम लगा है, जिससे इसे अधिक रेंज और पेलोड क्षमता मिलती है.
स्वदेशी डिजाइन
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के एक अधिकारी के अनुसार, यह ड्रोन पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित किया गया है. इसमें सभी एवियोनिक्स, गाइडेंस सिस्टम और ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम स्वदेशी रूप से निर्मित हैं. साथ ही उन्होंने कहा, “यह एक ग्लोबली कंपीटेटिव सिस्टम है.