ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर भारत ने आसान की मस्क की राह, संचार मंत्री ने किया ये ऐलान

ट्रंप की जीत के बाद मस्क के लिए भारत की ओर से एक खुशखबरी आई है. आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है और ट्रंप की जीत से मस्क को भारत से क्या मिलेगा तोहफा.

ट्रंप की जीत से मस्क को कैसे मिलेगा फायदा Image Credit: @Tv9

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे. उनकी इस जीत में स्टारलिंक और टेस्ला के मालिक एलन मस्क की बड़ी भूमिका रही है. मस्क ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्रंप का खुलकर समर्थन किया साथ ही डोनेशन में भी कोई कमी नहीं छोड़ी. ट्रंप की जीत के बाद मस्क के लिए भारत की ओर से एक खुशखबरी आई है. आइए जानते हैं आखिर पूरा मामला क्या है और ट्रंप की जीत से मस्क को क्या मिलेगा भारत से तोहफा.

मस्क के लिए क्या है खुशखबरी?

दरअसल मस्क, सैटेलाइट इंटरनेट प्रोवाइडर कंपनी स्टारलिंक की सर्विस को भारत में भी लाना चाहते हैं. अब भारत ने मस्क के लिए सहूलियत भरी खबर दी है. कम्युनिकेशन मिनिस्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन को लेकर बड़ा ऐलान किया है. सिंधिया ने कहा कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी नहीं बल्कि आवंटन होगा. इससे पहले भारत की दो मुख्य टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो के मुकेश अंबानी और एयरटेल के सुनील मित्तल ने भी इसकी मांग की है. टेलीकॉम के दोनों अरबपतियों ने भी स्पेक्ट्रम के आवंटन की ही मांग की थी. अब सिंधिया ने इस बाबत साफ करते हुए कह दिया है कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड स्पेक्ट्रम को फ्री में नहीं दिया जाएगा. इसकी कीमत को टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) निर्धारित करेगी.

क्या है सिंधिया ने?

सिंधिया ने कहा हर देश को इंटरनेशनल टेलीकॉम यूनियन (ITU) के नियमों का पालन करना होगा. आईटीयू, असाइनमेंट के आधार पर स्पेक्ट्रम देने की अपनी बात को लेकर काफी स्पष्ट है. इससे इतर आज अगर आप दुनिया भर में देखें तो एक भी ऐसा देश नहीं मिलेगा जहां पर सैटेलाइट के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी करता है. सिंधिया ने कहा कि दिसंबर में पारित दूरसंचार अधिनियम 2023 ने इस मामले को अनुसूची 1 में डाल दिया है. इसका मतलब है कि सैटकॉम स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासनिक रूप से किया जाएगा. मालूम हो कि ये आवंटन सरकार की ओर से तय की गई कीमतों पर होगा और स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को वॉयस और डेटा की सेवाएं प्रदान करने की इजाजत भी देगा. आगे चलकर अगर स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाती तो स्टारलिंक के लिए सेवाएं शुरू करना काफी महंगा हो जाता.