ई-कॉमर्स पर बेचते हैं प्रोडक्ट या करते हैं ऑनलाइन शॉपिंग तो हो जाएं सावधान, त्रिकोणीय फ्रॉड हाल करेगा बेहाल

ऑनलाइन खरीदारी में छूट और ऑफर्स हर किसी को आकर्षित करते हैं लेकिन क्या हो अगर आपकी हर खरीदारी के पीछे एक गहरी साजिश हो? जानिए कैसे एक नया डिजिटल स्कैम ग्राहकों और व्यापारियों दोनों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.

त्रिकोणीय धोखाधड़ी Image Credit: id-work/DigitalVision Vectors/Getty Images

ऑनलाइन खरीदारी अब हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है लेकिन इसी के साथ धोखाधड़ी के नए तरीके भी सामने आ रहे हैं. ग्राहकों और व्यापारियों के बीच होने वाले लेनदेन में अगर दोनों ही पक्ष सही हों, तो खरीदारी का अनुभव बेहतरीन होता है. लेकिन जब एक तीसरा अनजान खिलाड़ी इसमें शामिल हो जाए, तो यह पूरे सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसी ही एक खतरनाक धोखाधड़ी है त्रिकोणीय (Triangulation) फ्रॉड, जो ई-कॉमर्स क्षेत्र के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है. इस स्कैम में ठग खुद को एक मध्यस्थ के रूप में पेश कर असली ग्राहक और व्यापारी के बीच आ जाता है, जिससे न केवल वित्तीय नुकसान होता है बल्कि ब्रांड की साख भी प्रभावित होती है.

क्या है त्रिकोणीय धोखाधड़ी?

त्रिकोणीय धोखाधड़ी कार्ड-नॉट-प्रेजेंट (CNP) फ्रॉड का एक एडवांस रूप है जिसमें धोखेबाज किसी ग्राहक और वास्तविक विक्रेता के बीच आकर लेन-देन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करता है.

इस फ्रॉड में तीन मुख्य किरदार होते हैं:

  • फर्जी विक्रेता (Fraudulent Outlet): एक नकली ऑनलाइन स्टोर या फर्जी सेलर अकाउंट, जहां ग्राहक असली समझकर खरीदारी करता है.
  • वास्तविक सप्लायर (Genuine Supplier): एक असली लेकिन अनजान कंपनी, जो इस फर्जी प्लेटफॉर्म पर लिस्टेड प्रोडक्ट्स की डिलीवरी करती है.
  • असली ग्राहक (Unsuspecting Buyer): ग्राहक, जिसे यह पता ही नहीं होता कि वह ठगी का शिकार हो रहा है और उसका भुगतान गलत हाथों में जा रहा है.

कैसे काम करता है यह ऑनलाइन स्कैम?

इस फ्रॉड में अपराधी एक नकली ऑनलाइन स्टोर या तीसरे पक्ष के मार्केटप्लेस पर फर्जी विक्रेता खाता बनाते हैं. इसके बाद वे ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट वाले ऑफर्स डालते हैं. धोखाधड़ी के पूरे प्रोसेस को इन स्टेप्स में समझा जा सकता है:

त्रिकोणीय धोखाधड़ी कैसे काम करती है?

  1. धोखेबाज विक्रेता और ग्राहक के बीच भूमिका निभाता है: ठग पहले किसी ई-कॉमर्स वेबसाइट, सोशल मीडिया, या किसी फर्जी ऑनलाइन स्टोर पर किसी महंगे प्रोडक्ट (जैसे मोबाइल, लैपटॉप, गहने) का बेहद कम कीमत पर विज्ञापन डालता है.
  2. ग्राहक से भुगतान प्राप्त करता है: ग्राहक को लगता है कि वह किसी वास्तविक विक्रेता से सामान खरीद रहा है और वह दिए गए बैंक खाते या सीधे UPI, या किसी अन्य माध्यम से भुगतान कर देता है.
  3. असली विक्रेता से खरीदारी: ठग उसी प्रोडक्ट को किसी असली ई-कॉमर्स वेबसाइट से ग्राहक के नाम और पते पर ऑर्डर करता है. लेकिन भुगतान करने के लिए वह किसी चोरी हुए क्रेडिट कार्ड, हैक किए गए बैंक अकाउंट, या किसी अन्य की वित्तीय जानकारी का इस्तेमाल करता है.
  4. ग्राहक को ऑर्डर मिल जाता है, लेकिन असली पीड़ित कोई और होता है: ग्राहक को उसका ऑर्डर सही समय पर मिल जाता है, जिससे उसे कोई संदेह नहीं होता. लेकिन जिस व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड या बैंक अकाउंट से भुगतान हुआ था, वह कुछ समय बाद इस धोखाधड़ी को पहचानकर बैंक में शिकायत करता है.
  5. पुलिस और बैंक की जांच: जब असली अकाउंट होल्डर (जिसका क्रेडिट कार्ड या बैंक अकाउंट इस्तेमाल हुआ) चार्जबैक या धोखाधड़ी की शिकायत करता है तो बैंक उस ट्रांजेक्शन को रिवर्स करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है. असली विक्रेता को नुकसान होता है, क्योंकि वह पहले ही प्रोडक्ट डिलीवर कर चुका होता है और उपर से उसे वह भुगतान वापस देना पड़ता है जो उसने कभी लिया ही नही. वहीं जिस कस्टमर ने अभी पेमेंट किया उसके कार्ड की जानकारी वह अगले केस में इस्तेमाल करेगा.

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कैसे बचें इस फ्रॉड से?

  • अविश्वसनीय रूप से कम कीमतों वाले ऑफर्स से बचें – अगर कोई डील असली से ज्यादा आकर्षक लग रही है, तो सतर्क रहें.
  • केवल विश्वसनीय वेबसाइटों से खरीदारी करें – हमेशा भरोसेमंद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और आधिकारिक विक्रेताओं से ही खरीदारी करें.
  • क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट की नियमित जांच करें – अपने बैंक स्टेटमेंट और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री पर नजर रखें.
  • 2FA और सिक्योरिटी फीचर्स का इस्तेमाल करें – भुगतान के दौरान टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) और सुरक्षित पेमेंट गेटवे का उपयोग करें.
  • ई-कॉमर्स कंपनियां AI और मशीन लर्निंग का उपयोग करें – फर्जी विक्रेताओं और असामान्य लेनदेन को ट्रैक करने के लिए उन्नत सुरक्षा उपाय अपनाएं.