अगर ऑनलाइन किया जा रहा है आपको स्टाक, तो ऐसे करें खुद की मदद

ऑनलाइन दुनिया जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही जोखिम भरी भी. अपनी डिजिटल सुरक्षा खुद करना आज समय की मांग है. थोड़ा सतर्क रहें, प्राइवेसी का ध्यान रखें, और जरूरत पड़ने पर कानून का सहारा लें. तभी आप बन पाएंगे एक जिम्मेदार और सुरक्षित इंटरनेट यूजर.

Online Stalking Prevention: सोचिए आप रोजमर्रा की तरह सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं, ईमेल चेक कर रहे हैं या किसी फोरम में अपने विचार रख रहे हैं. लेकिन धीरे-धीरे कोई अनजान शख्स आपकी हर हरकत पर नजर रखने लगता है. आपके पोस्ट्स पर अश्लील या लगातार कमेंट करता है, नकली प्रोफाइल बनाकर आपको फॉलो करता है और निजी जानकारी तक पहुंचने की कोशिश करता है. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं बल्कि साइबरस्टॉकिंग की सच्चाई है, जो इंटरनेट की दुनिया में तेजी से फैल रही है.

क्या है साइबरस्टॉकिंग?

साइबरस्टॉकिंग यानी इंटरनेट के जरिए किसी व्यक्ति का पीछा करना, उसे डराना, मानसिक रूप से प्रताड़ित करना या परेशान करना. यह केवल एक महिला या पुरुष तक सीमित नहीं है बल्कि कोई भी ऑनलाइन यूजर इसका शिकार हो सकता है.

साइबरस्टॉकिंग के प्रकार

  1. ईमेल स्टॉकिंग: इसमें हमलावर लगातार धमकी भरे, अभद्र या अश्लील ईमेल भेजता है. इनमें वायरस या स्पैम भी हो सकते हैं.
  2. इंटरनेट स्टॉकिंग: इसमें हमलावर किसी की छवि खराब करने के लिए इंटरनेट पर अफवाहें फैलाता है या फोरम्स में जाकर उन्हें ट्रैक करता है.
  3. कंप्यूटर स्टॉकिंग: इसमें हैकर पीड़ित के कंप्यूटर को हैक कर उसके सिस्टम पर कंट्रोल पा लेता है. यह तकनीकी रूप से जटिल लेकिन खतरनाक होता है.

साइबरस्टॉकिंग के उदाहरण

इससे कैसे बचें?

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भारत में साइबरस्टॉकिंग के खिलाफ कानून

आईटी एक्ट की धारा 67 और 67A के तहत अश्लील या यौन कंटेंट ऑनलाइन भेजने वालों को 3 से 5 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान तय किया गया है. इसके अलावा, IPC की धारा 354D कहता है कि अगर कोई व्यक्ति महिला की ऑनलाइन एक्टिविटी पर निगरानी करता है तो उसे जेल और जुर्माना हो सकता है. महिलाएं किसी भी साइबरक्राइम सेल में शिकायत दर्ज कर सकती हैं, भले ही अपराध कहीं भी हुआ हो.