क्या है D2D टेक्नोलॉजी, जिससे BSNL उड़ाएगा JIO और Airtel की नींद

अगर हमें किसी को कॉल करना हो, तो अभी सिम कार्ड की आवश्यकता होती है. लेकिन डी2डी टेक्नोलॉजी में सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती है. D2D यानी डायरेक्ट-टू-डिवाइस टेक्नोलॉजी का फंडा बहुत ही सरल है. यह सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर आधारित है, जिसके लिए मोबाइल टावर की आवश्यकता नहीं होती है.

डी2डी टेक्नोलॉजी Image Credit: Matthias Kulka/The Image Bank/Getty Images

बीएसएनएल ने हाल ही में डी2डी (डायरेक्ट-टू-डिवाइस) टेक्नोलॉजी का सफल परीक्षण किया है, जिससे बिना सिम कार्ड के कॉल किया जा सकता है. बीएसएनएल के यूजर्स की संख्या पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रही है, और इसके सस्ते प्लान लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्या है यह डी2डी (डायरेक्ट-टू-डिवाइस) टेक्नोलॉजी और इसके फायदे क्या हैं?

डी2डी टेक्नोलॉजी

अगर हमें किसी को कॉल करना हो, तो अभी सिम कार्ड की आवश्यकता होती है. लेकिन डी2डी टेक्नोलॉजी में सिम कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती है. D2D यानी डायरेक्ट-टू-डिवाइस टेक्नोलॉजी का फंडा बहुत ही सरल है. यह सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर आधारित है, जिसके लिए मोबाइल टावर की आवश्यकता नहीं होती है. यह सैटेलाइट के जरिए मोबाइल कनेक्शन को जोड़ता है और रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करता है, जिससे एक डिवाइस दूसरे डिवाइस से संपर्क साध सकता है. साथ ही, बिना मोबाइल नेटवर्क के भी आप आराम से ऑडियो और वीडियो कॉल कर सकते हैं.

क्या होंगे इसके फायदे?

डी2डी टेक्नोलॉजी के जरिए एक यूजर कई ऐसी सेवाओं का लाभ उठा सकता है जो अन्यथा संभव नहीं हैं. जैसे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान, जब टावर क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो इस टेक्नोलॉजी की उपयोगिता बढ़ जाती है. Viasat का मानना है कि डायरेक्ट-टू-डिवाइस एक क्रांतिकारी टेक्नोलॉजी है, जो फोन, स्मार्टवॉच और कारों को सीधे सैटेलाइट नेटवर्क से जोड़ने में सक्षम बनाती है.

इसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह व्यक्तिगत और डिवाइस दोनों प्रकार के कम्युनिकेशन के लिए सक्षम हो. इस डेवलपमेंट से यूजर्स के लिए अधिक कवरेज और भरोसेमंद संचार की संभावना है, खासकर उन दूरदराज क्षेत्रों में जहां कनेक्टिविटी अभी नहीं पहुंची है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि इसे जल्दी से जल्दी उपयोग में लाया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें. यह देखना दिलचस्प होगा कि इसे कब लागू किया जा सकता है.