Google Tax: आज से भारत में खत्म हुआ गूगल टैक्स, जानें कब और क्यों हुई थी इसकी शुरुआत

आज यानी 1 अप्रैल से भारत ने गूगल टैक्स को खत्म कर दिया है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है ये गूगल टैक्स और इसकी शुरुआत कब हुई थी. शुरू करने के पीछे का कारण क्या था और अब इसके बंद होने के बाद भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा.

क्या है गूगल टैक्स Image Credit: @Tv9

US टैरिफ की धमकियों के बीच आज यानी 1 अप्रैल से भारत में गूगल टैक्स को हटा दिया गया है. इसके अगले ही दिन यानी 2 अप्रैल से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उन देशों पर बदले की कार्रवाई के तौर पर टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुके हैं जो अमेरिका की टेक कंपनियों पर डिजिटल टैक्स लगाते हैं. इन सब के बीच, भारत सरकार की गूगल टैक्स हटाने की पहल को ट्रंप सरकार की इस कार्रवाई से बचने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.

क्या है गूगल टैक्स?

आम भाषा में समझने की कोशिश करें तो गूगल टैक्स के जरिये भारत सरकार विदेशी डिजिटल कंपनियों से भारत में की जाने वाली कमाई पर टैक्स वसूलती है. इसी को गूगल टैक्स कहते हैं. गूगल, मेटा और अमेजन जैसी विदेशी कंपनियों की ओर से भारत में की जाने वाली कमाई पर इक्वलाइजेशन टैक्स या इक्विलाइजेशन लेवी लगाती है. यह टैक्स 2016 में शुरू किया गया है. इसको शुरू करने के पीछे का कारण विदेशी कंपनियों का भारत में होने वाली कमाई पर वाजिब टैक्स वसूलना था. इस इक्वलाइजेशन टैक्स या इक्विलाइजेशन लेवी को ही आम बोलचाल की भाषा में गूगल टैक्स के नाम से जाना जाता है.

क्या है इस टैक्स का इतिहास?

भारत सरकार ने इस टैक्स की शुरुआत 2016 में की थी. उस वक्त वित्त विधेयक में इन कंपनियों की ऑनलाइन विज्ञापन सर्विसेज पर 6 फीसदी का टैक्स लगाया था. इसके बाद 2020 में सरकार ने इसका विस्तार करते हुए उन सभी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2 फीसदी टैक्स लगाया जो भारत में स्थानीय तौर पर दुकान खोलकर कारोबार करती हैं.

हालांकि पिछले साल भारत ने 2 फीसदी वाला एक टैक्स हटा दिया था. यह विदेशी कंपनियों जैसे गूगल, मेटा और अमेजन से लिया जाता था. टैक्स को लेकर भारत और अमेरिका के बीच थोड़ी तनातनी चल रही थी. हालांकि 6 फीसदी वाला टैक्स तब भी चलता रहा था. अब इसी बचे हुए टैक्स को हटाने की बात हो रही है.

इस टैक्स को हटाने के बाद क्या असर होगा?

इस टैक्स को हटाए जाने के बाद सबसे ज्यादा फायदा गूगल, अमेजन और मेटा जैसी कंपनियों को होगा. इन कंपनियों की टैक्स देनदारी काफी कम हो जाएगी जिससे भारतीय बाजार में उनके विस्तार में मदद मिलेगी. वहीं दूसरी तरफ टैक्स से राहत मिलने से ये कंपनियां भारत में अपना निवेश बढ़ा सकती हैं जिससे डिजिटल एडवरटाइजिंग, ई-कॉमर्स और टेक सेक्टर को फायदा मिल सकता है. वहीं दूसरी ओर, इस कदम से भारत की डिजिटल कंपनियों का कंपटीशन काफी हद तक बढ़ जाएगा.