डिजिटल अरेस्ट से बचाएगा I4C, इमरजेंसी में ऐसे करें यूज, बच जाएंगे आपके पैसे

भारत सरकार ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना साइबर अपराध पर नियंत्रण और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के समन्वय को मजबूत करने के लिए की. 5 अक्टूबर 2018 को मंजूरी मिली और 10 जनवरी 2020 को इसे लागू किया गया. I4C डेटाबेस, नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर उपलब्ध है.

इस साल 8 फरवरी तक 17,718 मामलों की सूचना मिली Image Credit: @Tv9

Indian Cybercrime Coordination Centre or I4C: क्या आप जानते है कि देश में साइबर अपराध पर रोक लगाने के लिए केद्र सरकार ने एक पहल शुरू किया है जिसका नाम भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र यानी I4C के नाम से भी जानते है. गृह मंत्रालय के अंदर काम करने वाले इस पहल का उद्देश्य देश में साइबर अपराधों को गृह मंत्रालय, जिसका उद्देश्य देश में साइबर अपराधों को इंटीग्रेटेड और कंप्रिहेंसिव रूप से कंट्रोल करना है. I4C का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को साइबर अपराध से बचाना, विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों (LEAs) और अन्य संबंधित पक्षों के बीच समन्वय को मजबूत करना, और साइबर अपराधों से निपटने की भारत की क्षमता में सुधार करना है.I4C योजना को 5 अक्टूबर 2018 को मंजूरी दी गई थी और 10 जनवरी 2020 को इसे लागू किया गया था.

कैसे मदद करता है?

I4C डेटाबेस नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर ‘Report and Check Suspect’ सेक्शन में उपलब्ध है. यहां आप संदेहास्पद पहचान की जांच कर सकते हैं, किसी संदिग्ध की रिपोर्ट कर सकते हैं या Grievance Redressal Appellate Authority में अपील कर सकते हैं.

I4C डेटाबेस के फायदे

ये भी पढ़ें- मस्क की बड़ी प्लानिंग, AIRTEL के बाद अब Jio से मिलाया हाथ, Starlink की इनडायरेक्ट एंट्री

फर्जी आईडी को कर सकते हैं ब्लॉक

यह डेटाबेस अज्ञात कॉलर्स या सरकारी एजेंसी का दावा करने वाले धोखेबाजों की पहचान करने में मदद करता है. खासकर, जब जालसाज जांच अधिकारियों का रूप धरकर डिजिटल अरेस्ट स्कैम करते हैं, तो कंज्यूमर संदेहास्पद पहचान को वेरिफाई कर सकते हैं और फर्जी आईडी को ब्लॉक कर सकते हैं.

I4C पोर्टल का उपयोग कैसे करें?