KYC के नाम पर हो रही है धांधली, जानें बचने के उपाय नहीं तो हो सकता है भारी नुकसान

KYC के नाम पर तरह तरह के फ्रॉड हो रहे हैं. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि केवाईसी फ्रॉड होता है, इसे पहचानने के तरीके क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.

KYC के जरिये हो रहे हैं फ्रॉड Image Credit: Wong Yu Liang/Moment/Getty Images

KYC यानी अपने ग्राहक को जानने का एक प्रक्रिया. इसका इस्तेमाल बैंक से लेकर कई वित्तीय सेवा प्रदान करने वाले संस्थान और दूसरे सर्विस प्रोवाइडर करते हैं. इसकी मदद से उन संस्थाओं को अपने ग्राहक को जानने का मौका मिलता है जिससे उन्हें तमाम फ्रॉड, गैरकानूनी, मनी लॉन्ड्रिंग से बचाया जा सके और उस खास संस्थान से जुड़ी गतिविधियों में ही शामिल किया जा सके.

इसके अंतर्गत ग्राहकों की निजी जानकारी जैसे पहचान पत्र, एड्रेस का प्रूफ और वित्तीय जानकारी मांगी जाती है. चूंकि केवाईसी, किसी की निजी जानकारी की एक महत्वपूर्ण पोटली होती है इसलिए आमतौर पर फ्रॉड करने वाले लोगों के निशाने पर भी रहती है. केवाईसी फ्रॉड की मदद से फ्रॉड करने वाला शख्स ग्राहक की जरूरी जानकारियों को जान सकता है जिसका इस्तेमाल कर तमाम तरह के वित्तीय फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है. आमतौर पर फिशिंग, फर्जी फोन कॉल और निजी जानकारियों को चुराने के लिए वेबसाइट डिजाइन किया जाता है. हम आपको केवाईसी के जरिये होने वाले तमाम तरीकों की जानकारी देंगे, साथ ही इससे निजात पाने का रास्ता भी बताएंगे.

केवाईसी फ्रॉड

केवाईसी फ्रॉड तभी होता है जब घोटालेबाज को अपने फायदे के लिए ग्राहकों या संस्थाओं को धोखा देने के लिए केवाईसी प्रक्रिया का फायदा उठाना होना होता है. फ्रॉड करने वाले लोग अक्सर लोगों के पहचान से जुड़े दस्तावेज, बैंक अकाउंट से जुड़े विवरण या लॉगिन क्रेडेंशियल जैसी अहम जानकारियों को चुराने के मकसद से बैंक या किसी वित्तीय संस्थान के अधिकारी बनकर आपसे मिलेंगे. इससे इतर केवाईसी के साथ घोटाला करने वाले लोग आमतौर पर ईमेल, फर्जी कॉल जैसी रास्तों का सहारा लेते हैं.

कैसे होता है KYC फ्रॉड?

फर्जी कॉल या एसएमएस

फ्रॉड करने वाले लोग खुद को बैंक का अधिकारी बताकर ग्राहक से संपर्क करते हैं. उनसे केवाईसी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आधार, पैन या ओटीपी साझा करने लिए कहते हैं. केवाईसी के नाम पर जरूरी जानकारी जुटा के बाद ये बैंक अकाउंट बंद होने या डेबिट कार्ड एक्सपायर होने जैसी बातें कह कर तुरंत कार्रवाई करने का जोर बनाते हैं.

ईमेल के जरिये फ्रॉड

कई बार तो फ्रॉड करने वाले लोग ग्राहकों को ईमेल के जरिये केवाईसी करने की सूचना देते हैं. बैंक की तरह ही दिखने वाली झूठी वेबसाइट बनाकर वह ग्राहकों से निजी जानकारी का पता लगा लेते हैं. लेकिन अगर ग्राहक ध्यान से देखे तो वेबसाइट के डिजाइन और यूआरएल से फर्जी वेबसाइट का पता लगा सकता है.

मोबाइल एप के जरिये फ्रॉड

वेबसाइट की तरह ही फर्जी मोबाइल एप्लिकेशन बनाना बहुत मुश्किल नहीं होता है. बैंक के नाम पर लोगों से मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करने का झांसा देते हैं उसके बाद उसमें केवाईसी की जानकारी अपलोड करने की बात करते हैं.

केवाईसी फ्रॉड से कैसे बचें?

  1. सोर्स को वेरीफाई करें- केवाईसी के लिए कहीं से भी आए हुए लिंक, ईमेल, फोन कॉल को वेरीफाई जरूर करें. ये वेरिफिकेशन ग्राहक बैंक में कांटेक्ट कर के कर सकते हैं. क्योंकि बैंक से लेकर आरबीआई, सभी समय समय पर याद दिलाते रहते हैं कि कभी भी किसी ग्राहक से कोई जानकारी फोन कॉल, मैसेज, या ईमेल के जरिये नहीं मांगी जाती है.
  2. आधिकारिक प्रक्रिया का इस्तेमाल करें- ऑनलाइन केवाईसी के लिए हमेशा बैंक या संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट का ही इस्तेमाल करें. उसके बाद ही केवाईसी की जानकारियों को भरें और सबमिट करें.
  3. वेबसाइट की सुरक्षा को जाचें- वेबसाइट पर ऑनलाइन केवाईसी करने से पहले देख लें कि वो अधिकृत है या नहीं. यह जांचने के लिए ग्राहक वेबसाइट पर HTTPS देख कर सुनिश्चित कर सकते हैं. संस्थाए अपने आधिकारिक वेबसाइट के डोमेन में इसका इस्तेमाल जरूर करती हैं.

वहीं कभी भी किसी अंजान नंबर से आए हुए ओटीपी को किसी के साथ बांटने से बचें. इसके अलावा एसएमएस या ईमेल के जरिये भेजे गए लिंक को भी बगैर किसी वेरिफिकेशन के मत खोले. वो आपके लिए खतरनाक हो सकता है. पब्लिक प्लेस पर लगे वाई फाई का इस्तेमाल करने से बचें. आमतौर पर वह सुरक्षित नहीं होते हैं.